इस बार चुनाव में सभी 16 सीटें जहाँ मुस्लिम जनसँख्या 50% या उस से अधिक है वहाँ भाजपा बुरी तरह हार गई। सबका साथ सबका विकास और ट्रिपल तलाक कोई काम न आया।
कई जगह तो जमानत भी जप्त हो गई।
लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आ चुके हैं और इस चुनाव ने कई चीजों को एकदम साफ़ कर दिया है, सेकुलरों के लिए सीखने लायक बहुत कुछ है।
नरेंद्र मोदी दोबारा चुनाव जीत गए है, और फिर से वो प्रधानमंत्री बनेंगे, उन्होंने एक नारा दिया था “सबका साथ सबका विकास” साथ ही बीजेपी ने ट्रिपल तलाक की भी बहुत बात की थी
सबका विकास तो किया पर चुनावी नतीजों से साफ़ हो गया की मोदी को सबका साथ नहीं मिला, और खासकर मुस्लिम सीटों पर तो बीजेपी का बुरा हाल हुआ
देश में ऐसी 16 लोकसभा सीटें है जहाँ पर मुसलमानों की संख्या 50% से अधिक है, ये सीटें, बंगाल, केरल, कश्मीर, असम, उत्तर प्रदेश, बिहार इत्यादि में है
इन 16 सीटों पर जहाँ पर मुस्लिम जनसँख्या 50% से अधिक है, सभी पर बीजेपी हार गयी, 1 भी मुस्लिम बहुसंख्यक सीट पर बीजेपी नहीं जीती।
ये सीटें है – मल्लापुरम, किशनगंज, रामपुर, श्रीनगर, बारामुला, अनंतनाग, मालदा दक्षिण, धुबरी, जंगीपुर, लक्षद्वीप, हैदराबाद, बहरामपुर, पोंनल, मुर्शिदाबाद, बारपेटा और वायनाड।
कुछ सीटों पर तो बीजेपी की जमानत भी जप्त हुई है
बीजेपी के कुछ नेता इस जुगत में थे की ट्रिपल तलाक बिल पर मुस्लिम महिलाओं का खूब वोट मिलेगा, उन नेताओं को भी नतीजों ने जवाब दे दिया है
देश में 29 ऐसी सीटें है जहाँ पर मुस्लिम जनसँख्या 40% से अधिक है, इन 29 सीटों में से बीजेपी सिर्फ 5 जीती है, उत्तर प्रदेश में है सहारनपुर, संभल, गाजीपुर, अमरोहा, मोरादाबाद जैसी सीटें बीजेपी हार गयी है, और मेरठ जैसी सीट पर जीत का अंतर 10 हज़ार से भी कम का है।