मध्य प्रदेश में 2013 के विधानसभा चुनाव में एससी की 35 सीटों में बीजेपी ने 31 जीती थीं, जबकि कांग्रेस केवल 4 जीती थी. वहीं इस बार कांग्रेस ने 17 एससी सीटें जीती हैं. हाल के दिनों में एससी सीटों पर कांग्रेस की यह सबसे बड़ी हार है. इसके अलावा मालवा-निमाड़ इलाके में बीजेपी ने 27 सीटें गंवाईं हैं. इंदौर-उज्जैन संभाग की 66 निर्णायक सीटों पर ही किसान आंदोलन की शुरुआत हुई थी. सवर्ण आंदोलन का असर भी उज्जैन और शाजापुर जिलों में दिखा था. यहां पर कांग्रेस को 25 सीटों पर फायदा मिला है.
राजस्थान में भी SC सीटों पर घटा बीजेपी का जनाधार: 2013 के विधानसभा चुनाव में एससी की 58 सीटों में से बीजेपी ने 49 जीती थीं. इस बार 31 एससी सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है. इसके अलावा ढूंढाड़-मारवाड़ संभाग में बीजेपी 60 सीटें हारी है. पिछले चुनाव में बीजपी यहां 91 सीटें जीती थी. इस बार केवल 31 पर जीत मिली है. आनंदपाल एनकाउंटर और पद्मावत प्रकरण से शेखावटी में बीजेपी की 12 सीटें कम हुई. ढूंढाड़ में सचिन पायलट तो मारवाड़ में अशोक गहलोत का असर रहा. मत्स्य क्षेत्र में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हनुमानजी को दलित बताया था. इस वजह से राजपूत नाराज थे.
छत्तीसगढ़ में SC और OBC ने बीजेपी के प्रति जताई नाराजगी: छत्तसीगढ़ में एससी की 10 सीटें सुरक्षित हैं. इसमें बीजेपी ने इस बार 9 गंवा दी है. इसका सीधा फायदा कांग्रेस को हुआ है. इस तरह ग्रामीण इलाके 53 में से 42 सीटें कांग्रेस जीती है. राज्य में करीब 51 फीसदी ओबीसी हैं. चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस ने ओबीसी मुख्यमंत्री देने और किसानों का कर्जमाफ करने और धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपए करने का वादा किया था. माना जा रहा है कि इन दोनों बातों की वजह से बीजेपी को नुकसान और कांग्रेस को फायदा हुआ है.