पैसों की बर्बादी कैसे होती हैं इसका ज्वलंत उदाहरण बीकेसी में बनी नई बेस्ट की स्वतंत्र लेन हैं। यह लेन 6.50 करोड़ खर्च कर बने उस साइकिल ट्रैक पर हैं जिसका आज तक किसी ने इस्तेमाल नहीं किया। उसी ट्रैक पर एमएमआरडीए ने फिर एक बार 1.24 करोड़ रुपए खर्च कर बेस्ट बस के लिए नई लेन बनाई हैं।
बीकेसी जो एक वित्तीय संकुल के अलावा कुर्ला और बांद्रा को जोड़नेवाला एक लिंक रोड हैं। इस क्षेत्र में निवासी बस्ती न के बराबर होते हुए भी एमएमआरडीए बिना कोई अध्ययन 6.50 करोड़ खर्च कर साइकिल ट्रैक बनाया जो गत 5 वर्षो में कभी भी इस्तेमाल नहीं हुआ। इस ट्रैक पर अवैध पार्किंग के चलते ट्रैक कभी किसी की समझ में नहीं आया । इस बात को आरटीआई से उजागर करने के बाद आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री और प्रशासनिक अधिकारीयों से शिकायत की लेकिन पैसे की बर्बादी करनेवाले किसी भी अफसर पर कोई कारवाई नहीं हुई और मामला ठंडे बस्ते में जाकर खत्म हुआ।
हाल ही में फिर एक बार एमएमआरडीए ने 1.24 करोड़ खर्च कर इसी साइकिल ट्रैक पर बेस्ट बस के लिए नई स्वतंत्र लाइन बना दी हैं और साइकिल ट्रैक का चैप्टर को हमेशा के लिए बंद कर दिया। अनिल गलगली जो इस ट्रैक की दुर्गती और पैसों की बर्बादी पर लगातार जिम्मेदार अफसरों पर कारवाई के लिए प्रयासरत थे उनका मानना हैं कि बिना अध्ययन किए योजना बनाने का दुष्परिणाम साइकिल टैक हैं। बीकेसी में ऐसे मार्ग की कोई आवश्यकता नहीं थी ना अब बेस्ट के लिए नई स्वतंत्र बस लेन की। इससे अच्छा तो कुर्ला और बांद्रा को रेलवे से जोड़ना अधिक समझदारी का काम हैं।