देशवासियों से चीनी सामानों के बहिष्कार की अपील का असर दिवाली की बिक्री पर पड़ रहा है। यह कहना है पुरानी दिल्ली के विभिन्न बाजारों के कारोबारियों का। उड़ी अटैक के बाद पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा होने पर चीन के विरोध में सोशल मीडिया पर चीनी सामान नहीं खरीदने की लगातार अपील की जा रही है। कुछ नेताओं ने भी देशवासियों से सिर्फ भारतीय सामान खरीदने की अपील की है।
पुरानी दिल्ली के व्यापारी इस अभियान से जुड़ी भावना से सहमत हैं, लेकिन उनका कहना है कि इससे उन्हें भारी नुकसान होगा क्योंकि हजारों व्यापारियों और दुकानदारों ने पिछले चार महीनों में लाखों रुपये के चीनी सामान मंगवा रखे हैं। लाजपत राय मार्केट के एक दुकानदार नितिन मल्होत्रा कहते हैं, ‘इन (चीनी) प्रॉडक्ट्स पर लोगों ने बहुत पैसा लगाया है। कोई निर्णय लेने से पहले नेताओं को हमारे नुकसान का भी ध्यान रखना चाहिए। भारत में चीनी सामानों को रोकने की कोई योजना सही नहीं है क्योंकि हमारे पास ऐसे प्रॉडक्ट्स बनाने के इन्फ्रास्ट्रक्चर अभी नहीं हैं।’
भारत सरकार चीनी सामानों के आयात को प्रोत्साहित करे और आम जनता से उसके बहिष्कार की आशा करे, यह सरकार के किस चरित्र का नमूना है ? भारत की आधी जनता के हाथ में चायनीज़ मोबाइल शोभायमान है, देशभक्त पहले इनको तोड़कर कूड़े में क्यों नहीं फेंक देते । बेकार का ढो़ग क्यों करती है, मोदी सरकार ?
जलती-बुझती रहने वाली छोटी-छोटी लाइटें (फेयरी लाइट्स), साज-सज्जा के सामान और मूर्तियों समेत दिवाली पर बिकने वाले कई प्रॉडक्ट्स के मामले में पिछले कुछ सालों से चीनी कंपनियों का करीब-करीब एकाधिकार हो गया है। सोशल मीडिया में इस दिवाली पर चीनी सामान नहीं खरीदने की अपील का अभियान छिड़ा हुआ है। इनमें बताया जा रहा है कि बहिष्कार से दोहरा फायदा होगा। एक तो चीन की अर्थव्यवस्था को झटका लगेगा और दूसरे स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, कई लोग इस तर्क से सहमत नहीं हैं। पुरानी दिल्ली के दो दुकानदार भाइयों राजकुमार और संजय गुप्ता का मानना है कि जो भारत के खिलाफ है, उसके प्रॉडक्ट्स का बायकॉट होना चाहिए। लेकिन, अब बायकॉट से सेल्स प्रभावित होंगी।
राजकुमार के मुताबिक, सरकार को आयातकों को चीन से प्रॉडक्ट्स खरीदने से रोकना करना चाहिए, ना कि खुदरा बिक्री पर पाबंदी लगानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘अगर वह इसे (चीनी सामानों की बिक्री) रोकना चाहते हैं तो उन्हें दिवाली से पहले हमें परेशान करने की जगह आयातकों को ही प्रॉडक्ट खरीदने से रोक देना चाहिए।’ दुकानदारों का कहना है कि बाजारों में चीनी सामानों की भरमार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियां भी चीन में ही बनी मिलती हैं। फेयरी लाइट्स और एलईडी के कारोबारी मनोज कटारिया अब तक की बिक्री से बहुत दुखी हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारे खराब बिजनस के लिए नेता जिम्मेदार हैं। बहुत कम ग्राहक आ रहे हैं और हमारे लिए यह साल बुरा साबित होने का डर है।’ उन्होंने कहा कि अगर ये प्रॉडक्ट्स भारत में ही आसानी से उपलब्ध होने लगें तो दुकानदार भी चीनी सामानों के बहिष्कार अभियान का साथ देंगे।
हालांकि, कुछ व्यापारी ऐसे भी हैं जो इस अभियान का साथ दे रहे हैं। भागीरथ पैलेस मार्केट में मेक इन इंडिया के नाम से दुकान चला रहे रवि कुमार कहते हैं, ‘हमारे सभी प्रॉडक्ट्स भारत में बने हुए हैं जिससे स्थानीय कामगारों को रोजगार मिल रहा है।’ लेकिन, कई दूसरे दुकानदार और खासकर चावड़ी बाजार के दुकानदारों का मानना है कि चीनी सामानों की बिक्री रोकने से 2 से 3 लाख परिवारों की आमदनी का जरिया खत्म हो जाएगा। पटाखों का होलसेल बाजार दरीबा कलां के ज्यादातर दुकानदार पोस्टर लगा रखे हैं जिनमें कहा गया है कि वे चीनी सामान नहीं बेचेंगे। इलाके के एक दुकानदार कुंवर मनूचा ने कहा, ‘वे (चीनी प्रॉडक्ट्स) पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं और उनसे सेहत को बड़ा खतरा हो सकता है।’ उन्होंने कहा कि चीन के पटाखों पर पाबंदी के बावजूद सड़क किनारे चीन के सामान पाए जा रहे हैं जहां कई हॉकर्स अवैध बिक्री कर रहे हैं।
साभार- इकॉनामिक टाईम्स से