Sunday, November 24, 2024
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देश मरे भूखा चाहे पर अपना पेट भराओ जी

 

 

 

 

आओ मिलकर आग लगाएं, नित नित नूतन स्वांग करें,
पौरुष की नीलामी कर दें, आरक्षण की मांग करें,
पहले से हम बंटे हुए हैं, और अधिक बंट जाएँ हम,
100 करोड़ हिन्दू है, मिलकर इक दूजे को खाएं हम,
देश मरे भूखा चाहे पर अपना पेट भराओ जी,
शर्माओ मत, भारत माँ के बाल नोचने आओ जी,
तेरा हिस्सा मेरा हिस्सा, किस्सा बहुत पुराना है,
हिस्से की रस्साकसियों में भूल नही ये जाना है,
याद करो ज़मीन के हिस्सों पर जब हम टकराते थे,
गज़नी कासिम बाबर मौका पाते ही घुस आते थे
अब हम लड़ने आये हैं आरक्षण वाली रोटी पर,
जैसे कुत्ते झगड़ रहे हों कटी गाय की बोटी पर,
हमने कलम किताब लगन को दूर बहुत ही फेंका है,
नाकारों को खीर खिलाना संविधान का ठेका है,
मैं भी पिछड़ा, मैं भी पिछड़ा, कह कर बनो भिखारी जी,
ठाकुर पंडित बनिया सब के सब कर लो तैयारी जी,
जब पटेल के कुनबों की थाली खाली हो सकती है,
कई राजपूतों के घर भी कंगाली हो सकती है,
बनिए का बेटा रिक्शे की मज़दूरी कर सकता है,
और किसी वामन का बेटा भूखा भी मर सकता है,
आओ इन्ही बहानों को लेकर, सड़कों पर टूट पड़ो,
अपनी अपनी बिरादरी का झंडा लेकर छूट पड़ो,
शर्म करो, हिन्दू बनते हो, नस्लें तुम पर थूंकेंगी,
बंटे हुए हो जाति पंथ में, ये ज्वालायें फूकेंगी,
मैं पटेल हूँ मैं गुर्जर हूँ, लड़ते रहिये शानों से,
फिर से तुम जूते खाओगे गजनी की संतानो से,
ऐसे ही हिन्दू समाज के कतरे कतरे कर डालो,
संविधान को छलनी कर के, गोबर इसमें भर डालो,
राम राम करते इक दिन तुम अस्सलाम हो जाओगे,
बंटने पर ही अड़े रहे तो फिर गुलाम हो जाओगे,

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