हाड़ोती के साहित्य में अपना योगदान कर रहे हैं। कहते हैं बचपन से ही साहित्य में रुचि रही है और जो हिंदी के लेक्चर बजरंग लाल जी आर्य तथा स्व. गणेश लाल गौतम मिले वे भी अच्छे विद्वान थे। बूंदी में 2008 में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था जिसमें इनकी कविता को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। उसी समय से ही ये साहित्य परिषद से जुड़ गए। हिंदी साहित्य समिति, बूंदी के वरिष्ठ साहित्यकार रामस्वरूप मूंदड़ा से भी विगत 13 साल से जुड़ कर साहित्य साधना कर रहे हैं।
इनको गीत, गजल और कविताएं लिखते हुए लगभग 20 साल से ऊपर हो गए । जालंधर पंजाब से काव्य सरस, आगरा कला कुंज और भारती लखनऊ से इनकी कविताएं प्रकाशित होती रही हैं। इनकी अब तक एक पुस्तक कविताओं का संग्रह ” काव्य सरस” 2012 में प्रकाशित हुई है। बूंदी में होने वाली हर काव्य गोष्ठी में ये काव्य पाठ करते हैं।
आपको अजमेर द्वारा गुरु पूर्णिमा सम्मान 2010 ,अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा 2008 में साहित्य रत्न सम्मान , 2019 में महाकवि कालिदास सम्मान, के साथ-साथ तुलसीदास सम्मान, गोपाल नीरज सम्मान से समय- समय पर सम्मानित किया गया है।
परिचय
आपका जन्म 27 नवंबर 1989 को बूंदी जिले के लाडपुर गांव में पिता धनराज सेन एवं माता कांताबाई के आंगन में हुआ। आपने हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर कर 2012 में मेडिकल में जीएनएम किया और प्राइवेट कंपाउंडर के रूप में कार्य करते हैं। ये संस्कार भारती के जिला महामंत्री भी हैं और इनकी गतिविधियों में निरंतर सहभागिता करते हैं और अपना काव्य सृजन भी।
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