Friday, November 29, 2024
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हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनाने के लिए नियमों में बदलाव की मुहिम

सरकार ने हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए वैश्विक निकाय के उस नियम में बदलाव की मुहिम शुरू की है जिसमें इस आशय के प्रस्ताव का अनुमोदन करने वाले देशों पर खर्च वहन करने का जिम्मा डाला गया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज यहाँ विश्व हिन्दी दिवस के मौके पर अपने मंत्रालय में आयोजित एक कार्यक्रम में यह जानकारी दी। कार्यक्रम में विदेश राज्य मंत्री जनरल वी.के. सिंह और गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू भी उपस्थित थे।

श्रीमती स्वराज ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए इस संबंध में आने वाले प्रस्ताव का दो-तिहाई देशों द्वारा अनुमोदन जरूरी होगा। दिक्कत इस बात की है कि अनुमोदन करने वाले देशों को इसके लिए होने वाले व्यय में हिस्सेदारी वहन करनी होगी। उन्होंने कहा कि 177 देशों द्वारा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव का समर्थन करने को देखते हुये हिन्दी के पक्ष में करीब 129 देशों का समर्थन हासिल करना मुश्किल नहीं होगा। लेकिन, खर्च वहन करने की शर्त के कारण छोटे एवं गरीब देशों को समस्या होगी।

विदेश मंत्री ने कहा कि यूँ तो भारत पूरा खर्च वहन करने के लिए तैयार है लेकिन नियम के कारण ऐसा संभव नहीं है। इसी वजह से जर्मन एवं जापानी भाषा को भी संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र के इस नियम को बदलवाने के लिए मुहिम शुरू कर दी है। भारत का कहना है कि अगर वह खुद पूरा खर्च वहन करने का तैयार है तो हिन्दी को वैश्विक निकाय की आधिकारिक भाषा बनाने की इजाज़त मिलनी चाहिये।
उन्होंने कहा कि भारत यही पर नहीं रुका है। संयुक्त राष्ट्र के प्रचार-प्रसार विभाग में हिन्दी भाषा में साप्ताहिक समाचार बुलेटिन का प्रसारण तथा ट्विटर एवं फेसबुक पर हिन्दी के समाचारों को देने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेजों के हिन्दी में अनुवाद का काम शुरू हो चुका है। इस प्रकार से हिन्दी ने आधिकारिक दर्जा हासिल किये बिना ही संयुक्त राष्ट्र में जगह बना ली है। आशा है कि आधिकारिक दर्जा हासिल करने में बहुत देर नहीं होगी।

श्रीमती स्वराज ने कहा कि सरकार ने विदेश नीति एवं अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लेकर हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में कामकाज बढ़ाने की कई पहल आरंभ की है जिनके अच्छे परिणाम आये हैं। इसके साथ ही पहली बार अंग्रेज़ी को छोड़कर हिन्दी के माध्यम से ही संयुक्त राष्ट्र में मान्यता प्राप्त विदेशी भाषाओं के साथ संवाद एवं भाषान्तरण का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम आरंभ किया है।

उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय के चार कार्यक्रम – ‘समीप’, ‘भारत एक परिचय’, ‘विदेश आया प्रदेश के द्वार’ और ‘अटल भाषान्तर’ योजना आरंभ की है। समीप के तहत राजनयिकों के स्कूल एवं विश्वविद्यालयों में जाकर स्थानीय भाषाओं में विदेश नीति एवं अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर व्याख्यान देने की पहल आरंभ हुई है। भारत एक परिचय के तहत 29 भाषाओं में 51 पुस्तकों का एक सेट तैयार किया गया है जिसे विदेशों में सभी भारतीय मिशनों एवं भारतीय भाषाओं में शिक्षा देने वाले विश्वविद्यालय एवं शिक्षण संस्थानों को देने की पहल की गयी है जबकि विदेश आया प्रदेश के द्वार के तहत विभिन्न राज्यों की राजधानियों में स्थानीय मीडिया के साथ उन्हीं की भाषा में संवाद किया जा रहा है।
श्रीमती स्वराज ने बताया कि अटल भाषान्तर योजना के तहत विदेश मंत्रालय ने पहली बार हिन्दी से सीधे विदेशी भाषाओं में अनुवाद तैयार करने का फैसला किया है जो बिना अंग्रेज़ी का सहारा लिये भाषान्तरण का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर शुरू किया गया है क्योंकि उन्होंने पहली बार संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी में भाषण दिया था।

विश्व हिन्दी दिवस के मौके पर केन्द्रीय हिन्दी संस्थान में हिन्दी का अध्ययन कर रहे विदेशी छात्रों ने अनेक सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं। विदेश मंत्री ने हिन्दी में भाषण प्रतियोगिता के विजेता विदेशी छात्रों को पुरस्कृत भी किया। इस मौके पर अनेक सांसद, साहित्यकार, हिन्दीविद आदि उपस्थित थे

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