प्यारे बच्चों…
मेरे एक सहकर्मी अपनी बिटिया के किस्से बड़े गर्व से सुनाते हैं। उनकी बिटिया वकील बन गई है। कुछ अरसे पहले की ही बात है, यह बच्ची अपने बोर्ड एग्जाम दे रही थी और बच्ची और उसके पिता तनाव में थे। रातों को जाग-जागकर वह उसे रिवीजन कराते थे। फिर आया रिजल्ट और बिटिया के नंबर वैसे नहीं आए जैसी उन्हें उम्मीद थी। वे निराश हो गए। उनकी बिटिया उनसे मिलने आई और उनका उदास चेहरा देखा तो बोली, निराश न हों पापा, आपने अपना बेस्ट दिया…। मैं आज भी उस बच्ची की आवाज की वह खनक नहीं भूली। उसका मनोबल उसके चेहरे पर दमक रहा था। वह बखूबी जानती थी यह परीक्षा उसकी काबिलियत की कसौटी नहीं है।
बच्चों, स्कूलिंग का मतलब सिर्फ बोर्ड एग्जाम नहीं है। मैं अतीत में देखती हूं तो सोचती हूं कि स्कूल से मैं घर क्या लेकर लौटती थी। मुझे पिकनिक्स याद हैं, एनुअल फेयर्स याद हैं, स्पोर्ट्स-डे और एनुअल फंक्शंस याद हैं। मुझे मेरे दोस्त, उनके साथ धमाचौकड़ी, हंसी-मजाक और रोना भी याद है, लेकिन पढ़ाई की चंद यादें ही हैं मेरे जहन में और वह भी धुंधली सी। मुझे याद है हिस्ट्री में बहुत सी तारीखें याद करना पड़ती थीं। तब मैंने याद की भी थीं पर आज मुझे वो याद नहीं हैं। मैं फ्रेंड्स से कहती थी- लाइफ में कुछ भी करना, लेकिन इतिहास मत बनाना। अगली पीढ़ी के बच्चे तुम्हें कभी माफ नहीं करेंगे। भूगोल में अमेरिका को कोसती थी मैं कि उनके जंगल अफ्रीका से अलग क्यों हैं। दुनिया एक जैसी और साधारण क्यों नहीं हो सकती?
गणित में तो मेरा हाल ऐसा था जैसा एलिस का वंडरलैंड में था। केमिस्ट्री मेरे लिए अंग्रेजी शब्दों और अरेबिक न्यूमरल्स का कॉम्बिनेशन था। बायोलॉजी के लिए मैं इतनी जिज्ञासु थी कि रेड ब्लड सेल्स और माइटोकॉन्ड्रिया की ऑटोबायोग्राफी लिखती थी। एक्स्ट्रा कॅरिकुलम एक्टिविटीज में पढ़ाई से बेहतर थी। कोरे कैनवास पर अपनी कल्पनाएं उकेरना मुझे सुकून देता था। मुझे यह याद नहीं है कि बोर्ड में क्या सवाल पूछे गए थे और उन्हें मैंने उन्हें कैसे हल किया। आज मैं आपसे यह सब शेयर कर रही हूं कि क्योंकि मैं बताना चाहती हूं कि हम बड़े आज जहां हैं, वहां तक हर सबजेक्ट में बेस्ट होकर, स्कूल की हर एक्टिविटी में सर्वश्रेष्ठ होकर नहीं पहुंचे हैं। स्कूल में हमें हर फील्ड का एक्सपोजर मिलता है, लेकिन उससे कहीं ज्यादा यह लाइफ लॉन्ग लर्नर बनाता है, वैल्यूज और स्किल्स सिखाता है।
आप 21वीं सदी के बच्चे हैं। आपका एम्प्लॉयर इस बात की फिक्र नहीं करेगा कि आपको नंबर कितने मिले थे, पर यह जरूर जानना चाहेगा कि क्या आप मेहनती हैं। क्रिएटिव हैं। कुछ लोग जानना चाहेंगे कि आपकी क्रिटिकल थिंकिंग, समस्या हल करने काबिलियत, कम्युनिकेशन स्किल्स क्या हैं। लेकिन सभी यह जरूर जानना चाहेंगे कि आप अपने काम में कितने ईमानदार हैं, जेंडर सेंसिटिव हैं, अच्छे नागरिक हैं और टीम का हिस्सा बन सकते हैं या नहीं। आपको पता हो या न हो, लेकिन मुझे यकीन है कि आप सभी इन क्वालिटीज, स्किल्स, वैल्यूज को हासिल कर चुके हो। तो जहां तक आपके फ्यूचर की बात है, आप सभी ‘फ्लाइंग कलर्स’ से पास हो चुके हैं।
जिंदगी में आपने कई ऊंचाइयां भी हासिल कर ली हैं। घुटने के बल होते हुए अपने पैरों पर चलने लगे हैं, कभी तोतला बोलते थे मगर तोतली जुबान से अब साफ बोलने लगे हैं। आपने दोस्त बनाए हैं, टीम वर्क किया है, लिखना-पढ़ना, पेंट करना, डांस सीखा है। इंटरनेट सर्च करना, कुकिंग, गार्डनिंग जानते हैं। बड़ों का सम्मान करते हैं… यह लिस्ट बहुत लंबी। इन सब चीजों ने आपकी पर्सनैलिटी को तराशा है और एक नायाब हीरे में तब्दील कर दिया है और इसी फेहरिस्त का एक छोटा सा हिस्सा हैं परीक्षाएं। यह उतनी बड़ी चीज नहीं है जितना इसे बना दिया गया है। सफर का बस एक पड़ाव है जिससे आपको पता लगता है कि आप जीवन में क्या करना चाहते हैं। खुद को क्या बनते देखना चाहते हैं। क्रिएटिविटी से भरा कॅरियर आपका इंतजार कर रहा है। अपनी खूबियों क्षमताओं के दम पर अपनी चिंताओं पर हमला बोल दीजिए और उन्हें परास्त कर दीजिए।
अनिता कारवाल
अध्यक्ष
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल (सीबीएसई)