केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ वैसे तो अपनी कई विशेषताओं के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। उदाहरण के तौर पर इसे देश का सबसे स्वच्छ एवं हरित केंद्र शासित प्रदेश माना गया है। चंडीगढ़ अपनी व्यवस्थित यातायात व्यवस्था तथा सुचारू प्रशासनिक व्यवस्था के लिए भी प्रसिद्ध है। इसे पंजाब व हरियाणा जैसे दो विकसित राज्यों की राजधानी होने का भी गौरव प्राप्त है। इन दोनों राज्यों की विधानसभाएं तथा राज्य सचिवालय भी चंडीगढ़ में ही स्थित हैं। इसी प्रकार इन दोनों राज्यों के उच्चतम न्यायालय भी चंडीगढ़ में ही हैं। परंतु इन सबके अतिरिक्त चंडीगढ़ के लोगों का स्वभाव तथा उनके धार्मिक सोच-विचार भी भारतीय चिंतन के अनुरूप ही हैं। अर्थात् चंडीगढ़वासी प्राय: सर्वधर्म संभाव तथा सांप्रदायिक सौहाद्र्र बनाए रखने के पक्षधर रहे हैं। इस केंद्र शासित प्रदेश में मौजूद विभिन्न गुरुद्वारे,मंदिर,मस्जिदें तथा कई दरगाहें इस बात का उदाहरण भी हैं। चंडीगढ़ में सर्वधर्म संभाव तथा सांप्रदायिक एकता की ऐसी ही एक मिसाल पेश करने वाले स्थान को ‘राम दरबार’ के नाम से जाना जाता है।
चंडीगढ़-दिल्ली मार्ग पर स्थित धर्मस्थली ‘राम दरबार’ के नाम से उस पूरे क्षेत्र को ही राम दरबार के नाम से जाना जाता है। इसके अंतर्गत् औद्योगिक क्षेत्र,रिहायशी इलाके,दुकानें व छोटे बाज़ार आदि स्थित हैं। इसके केंद्र में लगभग चार एकड़ अर्थात् 32 कनाल क्षेत्र में बसा धर्मस्थल ‘राम दरबार’ ईश्वर-अल्लाह,वाहेगुरू तथा गॉड सभी का एक ही रूप होने की सीख देता है। माता रामबाई उर्फ़ अम्मी हुज़ूर के द्वारा राम दरबार की स्थापना लगभग 6 दशक पूर्व की गई थी। अम्मी हुज़ूर ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में बालक पप्पू सरकार को गोद लिया था। हालांकि पप्पु सरकार बचपन में ही अपने परिवार के साथ अमेरिका जा बसे थे तथा विदेश में उनका व्यापक व्यवसाय भी है। परंतु अपने व्यवसाय को पीछे छोडक़र पप्पू सरकार अम्मी हुज़ूर की इच्छाओं का आदर करते हुए अपना अधिकांश समय राम दरबार की गतिविधियों का संचालित करने में लगाते हैं। इन दिनों पप्पु सरकार की देखरेख में राम दरबार में लगभग दस करोड़ की लागत से एक विशाल मकबरा जिसे ‘मज़ार-ए-शरीफ अम्मी हुज़ूर’ के नाम से जाना जाएगा, निर्मित किया जा रहा है। मजाऱ-ए-शरीफ के निर्माण में लगी इंजीनियर्स की टीम का कहना है कि अम्मी हुज़ूर को समर्पित इस विशाल भवन के निर्माण के बाद चंडीगड़ की पहचान राम दरबार के इस मकबरे से ही बनेगी।
देश के विभिन्न धर्मों के बड़े से बड़े व छोटे से छोटे धर्मस्थलों में उनके अपने धर्मों के अनुरूप पूजा-पाठ,भजन-कीर्तन, शब्द,पाठ,कव्वाली व कसीदे आदि पढ़ा जाना तो साधारण सी बात है। परंतु राम दरबार देश का एक ऐसा धर्मस्थान है जहां एक ही छत के नीचे तथा एक ही प्रांगण में एक ही समय में सभी धर्मों के अनुयायी व धर्मगुरु एकत्रित होते हैं तथा सभी धर्मों से जुड़े हुए धार्मिक शब्द,पाठ,भजन,कव्वाली आदि का पठन-पाठन किया जाता है। यहां प्रत्येक वर्ष 13 जनवरी से लेकर 21 जनवरी तक साप्ताहिक उर्स का आयोजन किया जाता है। और इस पूरे सप्ताह में सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे धर्मों से संबंधित कार्यक्रमों में सप्ताह भर शरीक होते हैं। इस वर्ष भी यह साप्ताहिक उर्स आयोजित हुआ। पंजाब के प्रमुख त्यौहार लोहड़ी के कार्यक्रम से इसकी शुरुआत की गई। उसके बाद 14 जनवरी को श्रीमद् भागवद की कथा तथा भजन-कीर्तन से उर्स की शुरुआत विधिवत् रूप से की गई। इसके बाद 21 जनवरी तक प्रतिदिन गुरु ग्रंथ साहब अखंड पाठ,भजन-कीर्तन,अखंड पाठ भोग,राम चरित्र मानस पाठ,हवन यज्ञ,फरियाद,झंडा रस्म तथा बीस जनवरी की पूरी रात कव्वाली का आयोजन किया गया। इस कव्वाली में उत्तर प्रदेश,दिल्ली,पंजाब तथा मलेरकोटला से पधारी कव्वाली पार्टियों ने शिरकत की। प्रत्येक वर्ष इस पूरे सप्ताह में हिंदू,मुस्लिम व सिख समुदाय के लोगों का यहां इस प्रकार आना जाना लगा रहता है गोया यह स्थान भारतवर्ष की अनेकता में एकता की जीती-जागती मिसाल नज़र आता है। इस दौरान लाखों लोगों ने सामूहिक लंगर में प्रतिदिन शिरकत की।
राम दरबार विशेषकर यहां की गद्दीनशीन रहीं अम्मी हुज़ूर अर्थात् माता रामबाई व संत सखी चंद से जहां चंडीगढ़ के स्थानीय वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, राजनेता तथा बुद्धिजीवी तथा उद्योगपति वर्ग के लोग प्रभावित रहते थे वहीं मुंबई की फि़ल्म नगरी के लोग भी राम दरबार के मोह से अछूते नहीं रहे। संत बाबा सखी चंद तथा अम्मी हुज़ूर द्वारा सर्वधर्म संभाव व सांप्रदायिक सौहाद्र्र की मशाल रौशन करने का िफल्म जगत के लोगों पर इतना प्रभाव पड़ा कि जब कभी िफल्मी दुनिया के लोग अपनी फ़िल्म की शुटिंग के सिलसिले में चंडीगढ़ अथवा हिमाचल प्रदेश आते-जाते तो उनका पड़ाव राम दरबार ही रहता था। वे लोग राम दरबार में ही अम्मी हुज़ूर व बाबा सखी चंद जी के सानिध्य में रहकर लंगर ग्रहण करते तथा इनसे अपनी फ़िल्मों की व शूटिंग की सफलता के लिए आर्शीवाद लेते। मशहूर अभिनेता प्राण ने तो अम्मी हुज़ूर को एक िफएट कार भी भेंट की थी जो आज भी इस स्थान पर खड़ी है तथा प्रयोग में लाई जाती है। राम दरबार में एक आम का वृक्ष ऐसा भी था जिसमें इन्हीं संतों के आशीर्वाद से पूरे वर्ष आम का फल लगा नज़र आता था। राम दरबार की यह लीला भी चंडीगढ़ वासियों को अपनी ओर आकर्षित करती थी।
राम दरबार में वर्तमान गद्दीनशीन पप्पू सरकार की देख-रेख में आज भी अखंड लंगर संचालित होता है जबकि बृहस्पतिवार के दिन विशेष लंगर चलाया जाता है। इसके अतिरिक्त भूले-भटके मुसािफरों के लिए रात्रि विश्राम की भी व्यवस्था है। पप्पू सरकार जोकि गत् चालीस वर्षों से पूरे समर्पण,श्रद्धा तथा विश्वास के साथ अपने निजी व्यापार तथा पारिवारिक व्यस्तताओं को छोड़ कर अपनी गद्दीनशीनी का कर्तव्य निभाते हुए अम्मी हुज़ूर तथा बाबा सखी चंद जी के सपनों को साकार करते हुए इस स्थल को चंडीगढ़ के एक सबसे विशाल,आकर्षक तथा सर्वधर्म संभाव के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में स्थापित किए जाने के प्रयास में लगे हैं। उनका मानना है कि ईश्वर-अल्लाह,वाहेगुरू तथा गॉड सभी एक ही सर्वाेच्च सत्ता के अलग-अलग नाम हैं। राम दरबार की परंपरा किसी भी व्यक्ति में विराजमान ‘मैं ही मैं’ को समाप्त कर ‘तू ही तू’ के विचारों को धारण कराने की है। ‘तू ही तू’ राम दरबार का मुख्य वाक्य भी है। राम दरबार की शिक्षाएं सभी धर्मों के आम लोगों को अंधविश्वास,पाखंड आदि से मुक्त कराए जाने की भी हैं। राम दरबार न केवल धार्मिक वैमनस्य को समाप्त कर सांप्रदायिक सद्भाव बनाने का मार्ग दिखाता है बल्कि छूआछूत व जात-पात जैसी प्राचीन विघटनकारी परंपराओं को समाप्त करने की दिशा में भी कार्य करता है। सामूहिक लंगर व भंडारा इसी दिशा में उठाया गया एक सकारात्मक कदम हैं।
अपनी भविष्य की योजनाओं के संबंध में पप्पू सरकार का कहना है कि राम दरबार आने वाले समय में न केवल ‘मज़ार-ए-शरीफ़ अम्मी हुज़ूर’ जैसी विशाल एवं अद्भुत् इमारत के लिए जाना जाएगा बल्कि राम दरबार के प्रांगण में भविष्य में सर्वधर्म सम्मेलन जैसे विशाल आयोजन भी हुआ करेंगे। जिसमें सभी धर्मों के ऐसे धर्मगुरुओं को आमंत्रित किया जाया करेगा जो एक-दूसरे धर्मों व विश्वासों को आपस में जोडऩे व मिलाने का कार्य कर रहे हों। पप्पू सरकार के अनुसार इस समय देश में दिन-प्रतिदिन फैलते जा रहे सांप्रदायिक वैमनस्य का कारण तथाकथित कट्टरपंथी सोच रखने वाले विभिन्न धर्मों के वे धर्मगुरु ही हैं जो अपने-अपने समाज व अपने अनुयाईयों को धर्म के नाम पर एक-दूसरे से लड़ाने यहां तक कि एक-दूसरे का खून बहाने तक की सीख देते हैं। और ऐसा करने में उनका अपना निजी स्वार्थ शामिल रहता है। जबकि यह किसी भी धर्म के सद्मार्ग पर चलने वाले लक्षण नहीं कहे जा सकते। किसी भी धर्म का सच्चा धर्मगुरु वही है जो एक-दूसरे धर्मों व विश्वासों के लोगों के मध्य प्रेम,सद्भाव तथा सौहाद्र्र की शिक्षा का प्रचार व प्रसार करे। एक-दूसरे के दिलों में एक-दूसरे के प्रति बैठी नफरत व घृणा को समाप्त करने की कोशिश करे। सांप्रदायिक सौहाद्र्र व सर्वधर्म संभाव की मशाल को जलाए रखना तथा इसकी रौशनी को चारों ओर फैलाने की कोशिशें करना न केवल समाज के लिए कल्याणकारी है बल्कि इससे राष्ट्र भी विकसित तथा मज़बूत होता है। पप्पु सरकार के अनुसार चंडीगढ़ स्थित रामदरबार अपने इस मिशन को आगे बढ़ाने की दिशा में गत् 6 दशकों से कार्यरत है तथा भविष्य में भी अपनी इस रौशनी को न केवल चंडीगढ़ बल्कि पूरे देश में बिखेरता रहेगा।
Nirmal Rani (Writer)
1618 Mahavir Nagar
Ambala City 134002
Haryana
phone-09729229728