Monday, November 18, 2024
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छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीयों के लिए सार्वकालिक आदर्श : सरसंघचालक

पुणे । युद्धनीति की दृष्टि से, सामाजिक दृष्टि से, राजकाज की दृष्टि से अथवा व्यवहार की दृष्टि से छत्रपति शिवाजी महाराज हिंदुओं के लिए ही नहीं, सभी भारतीयों के लिए सार्वकालिक आदर्श है, यह प्रतिपादन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मा. डॉ, मोहनजी भागवत ने सोमवार (27 जून) को पुणे में किया।

डॉ. केदार फालके लिखित “शिवछत्रपतींचा वारसा-स्वराज्य ते साम्राज्य” और “लेगसी ऑफ छत्रपति शिवाजी – फ्रॉम किंगडम टू एम्पायर” पुस्तक का विमोचन सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के हाथों अण्णा भाऊ साठे सभागार में संपन्न हुआ। इस अवसर पर वे बोल रहे थे। इस अवसर पर आंध्र प्रदेश के श्री शैलम स्थित श्री शिवाजी मेमोरियल कमेटी के उपाध्यक्ष उदय खर्डेकर, कार्याध्यक्ष सुब्बा रेड्डी, भारत इतिहास संशोधक मंडल के अध्यक्ष प्रदीप रावत, लेखक केदार फालके तथा श्री शिवाजी रायगड स्मारक मंडल के अध्यक्ष रघुजीराजे आंग्रे मंच पर उपस्थित थे.

सरसंघचालक मा. डॉ, मोहनजी भागवत ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन एक योद्धा और राजनेता ही नहीं बल्कि व्यक्ति के रूप में भी अनुकरणीय है। वे हमारी राष्ट्र की विजिगिषुता का प्रतीक हैं। भारत के विभिन्न राजाओं को इस्लामी आक्रांताओं के आक्रमण का स्वरूप समझने के लिए 200-300 साल का समय लगा। अरबस्तान से बाहर निकलने वाला इस्लाम अपने स्वरूप में अधिक राजनीतिक था। वैसे ही रोम से बाहर निकली हुई ईसाईयत अपने स्वरूप में आध्यात्मिक कम थी। यह कोई धार्मिक या राजनीतिक नहीं बल्कि सीधे-सीधे वहशी आक्रमण था। ऐसा नहीं कि इन आक्रमणों का प्रतिकार नहीं हुआ। उनके प्रतिकार के प्रयास तो हुए, लेकिन इसमें सबसे सफल प्रयोग छत्रपति शिवाजी महाराज का था। उनका उद्देश्य अपना स्वयं का यानी मालिकाना राज्य स्थापित करना नहीं था।

उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज ने लोगों में संगठन की भावना पैदा की और समाज की संगठीत शक्ति हमेशा विजयी होती है। उन्होंने यहां के लोगों में लक्ष्य के प्रति निष्ठा जगाई। जब ऐसी निष्ठा होती है तो हम अपने दुर्गुण कम करते हैं। उस समय जो लड़ाई चली वैसी ही स्थिति आज भी है। दानवता की मानवता से लड़ाई चल रही है। असुरों की देवताओं से लड़ाई चल रही है। उसका केंद्र भी भारत ही होगा क्योंकि अन्य किसी में वह ताकत नहीं है। इसलिए शिवाजी महाराज का आदर्श त्रिकालाबाधित है।

पुस्तक के लेखक केदार फालके ने कहा कि आक्रामक मुगल अविजित हैं और उन्हें कोई हरा नहीं सकता, इस विचार को पहला झटका छत्रपति शिवाजी ने दिया। शिवाजी महाराज ने मराठों में राष्ट्रीय भावना जगाई। इसी के चलते मराठों ने इस भ्रांति को तोड़ दिया कि एक लड़ाई हारना यानी युद्ध हारना होता है।

उदय खर्डेकर ने कहा कि श्री शैलम स्थित श्री शिवाजी स्मारक की परिकल्पना स्व. मोरोपंत पिंगले ने की थी। जो सपना उन्होंने देखा था उसे पूरा करने का हम प्रयास कर रहे हैं।

इस अवसर पर प्रदीप रावत ने भी विचार व्यक्त किए। मोहन शेटे ने कार्यक्रम का सूत्रसंचालन किया जबकि श्री शिवाजी रायगड स्मारक मंडल के सुधीर थोरात ने आभार प्रकट किए।

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