चित्रनगरी संवाद मंच मुंबई में रविवार 14 अप्रैल 2024 को आयोजित साप्ताहिक कार्यक्रम में कथाकार हरि मृदुल की कहानी “हंगल साहब ज़रा हंस दीजिए” सुनकर लोग द्रवित हो गए। अभिनेता ए के हंगल के जीवन की एक दुखद घटना पर आधारित यह कहानी हरि मृदुल ने बहुत आत्मीय तरीक़े से डूब कर पढ़ी और सुनने वालों पर वैसा ही असर भी पड़ा।
फ़िल्म जगत में अपने आख़िरी दिनों किस तरह एक कलाकार बेबस और लाचार हो जाता है इसका बहुत मार्मिक चित्रण कहानी में था। शुरुआत में डॉ मधुबाला शुक्ल ने हरि मृदुल का परिचय दिया। उन्होंने हरि मृदुल के कहानी संग्रह पर बढ़िया टिप्पणी भी की।
कवि संजय भिसे ने प्रस्तावना पेश की। उन्होंने कहा कि हरि मृदुल की कहानियों के दो छोर हैं। एक तरफ़ पहाड़ है और दूसरी तरफ़ महानगर है। दोनों छोर के जीवन की जिस तरह से वे जीवंत तस्वीर पेश करते हैं वह अद्भुत है। हरि मृदुल की कहानियों में पहाड़ की सादगी भी है और महानगर की त्रासदी भी है।
दूसरे सत्र में प्रतिष्ठित कथाकार डॉ रमाकांत शर्मा की लेखन यात्राप्रकाश कथाकार सूरज प्रकाश नाम ने संवाद किय। रमाकांत जी के रचनात्मक सफ़र का ज़िक्र करते हुए सूरज जी ने बताया कि उन्होंने भारतीय रिज़र्व बैंक से सेवानिवृत होने के बाद लिखना शुरू किया। अब तक कहानी, उपन्यास, व्यंग्य और अनुवाद की उनकी 19 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।
रमाकांत जी के अनुसार पाठक की संवेदना को जागृत करना कहानी का मूल उद्देश्य है। कहानियां सिर्फ़ मनोरंजन के लिए नहीं होतीं। उनमें सामाजिक और आर्थिक प्रश्नों का विश्लेषण भी होता है। डॉ रमाकांत शर्मा का परिचय डॉ मधुबाला शुक्ला ने दिया।
कविता पाठ के सत्र में ‘धरोहर’ के अंतर्गत कवयित्री प्रतिमा सिन्हा ने चर्चित कवि ज्ञानेंद्र पति की लोकप्रिय कविता “चेतन पारीक कैसी हो?” का पाठ किया। दिल्ली से पधारे प्रेम जनमेजय, विनोद दास, चित्रा देसाई, मधु अरोड़ा, राकेश शर्मा, रमन मिश्र, हरि मृदुल, संजय भिसे, अनिल गौड़, नरोत्तम शर्मा, अमर त्रिपाठी, क़मर हाजीपुरी, राजेश ऋतुपर्ण, पीयूष पराग, प्रदीप गुप्ता और सविता दत्त ने सामयिक कविताओं का पाठ किया।
अंत में जाने माने हास्य कवि आश करण अटल ने अपनी सुप्रसिद्ध व्यंग्य कविता सुनाई- “क्या हमारे पूर्वज बंदर थे”। अटल जी की कविता श्रोताओं को बहुत पसंद आई। कार्यक्रम का संचालन आपके दोस्त देवमणि पांडेय ने किया।