चित्रनगरी संवाद मंच मुंबई के सृजन संवाद में रविवार को प्रतिष्ठित कथाकार धीरेंद्र अस्थाना अपनी जीवन संगिनी ललिता अस्थाना के साथ पधारे। कथाकार सूरज प्रकाश और देवमणि पांडेय ने उनसे संवाद किया। धीरेंद्र जी ने देहरादून से दिल्ली और दिल्ली से मुंबई तक के अपने पत्रकारिता कैरियर और रचनात्मक सफ़र को रोचक तरीके से बयान किया। अपनी लेखन यात्रा में उन्होंने अपनी जीवन संगिनी ललिता जी के योगदान को भी रेखांकित किया। कहानी की रचना प्रक्रिया के संदर्भ में धीरेंद्र जी ने कई महत्वपूर्ण बातें साझा कीं।
सूरज प्रकाश ने उनकी कहानी के पात्रों पर सवाल किया। धीरेंद्र जी ने बताया- “अपनी चर्चित कहानी ‘बहादुर को नींद नहीं आती’ लिख तो मैंने कुछ घंटों में ली थी। लेकिन उस पर मेरा होमवर्क पूरे दस साल चला। मैंने अपनी और अन्य अनेक सोसायटी के वाचमैनों से लगभग मित्रता जैसी की। उनके सुख-दुख में शामिल हुआ। उनसे जुड़े हर ब्यौरे का बारीकी से अध्ययन किया। उनके संघर्षों को ही नहीं, उनके सपनों को भी पकड़ा। इस सबमें पूरे दस साल निकल गए और उसके बाद जब कहानी लिखी और फिर छपी तो धमाल हो गया। कम से कम सौ लेखकों पाठकों ने फोन कर कहा कि यह तो उनकी सोसायटी के वाचमैन की कहानी है।”
धीरेंद्र जी ने कई श्रोताओं के सवालों के जवाब दिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने ने बताया कि दिल्ली बहुत निर्मम और मुंबई बहुत दिलदार शहर है।
दूसरे सत्र में अभिनय की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए अभिनेता शैलेंद्र गौड़ ने अपने गृहनगर मुजफ्फरनगर के शैक्षिक माहौल से लेकर दिल्ली में इब्राहिम अलकाज़ी के सानिध्य में अपनी रंगमंचीय सक्रियता को विस्तार से पेश किया। वीर सावरकर फ़िल्म में सावरकर की मुख्य भूमिका के लिए अपने संघर्ष का ज़िक्र करते हुए उन्होंने अंडमान की जेल में फ़िल्माए गए फ़िल्म के उन दृश्यों को याद किया जब उन्हें सिर्फ़ चड्डी पहन कर कोल्हू चलाना पड़ता था। एक अभिनेता विभिन चरित्रों को कैसे आत्मसात करता है इस पर उन्होंने सलीक़े से अपना पक्ष रखा।
शैलेंद्र गौड़ ने श्रोताओं के कई सवालों के जवाब भी दिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि सावरकर की भूमिका के कारण उन्हें एक ख़ास विचारधारा का समझ लिया गया और सिने जगत में उनके कैरियर को नुक़सान पहुंचा। शुरुआत में सविता दत्त ने शैलेंद्र गौड़ का परिचय पेश किया। अंत में लोकप्रिय उदघोषक आरजे प्रीति गौड़ ने मंटो की तीन लघुकथाओं का पाठ असरदार ढंग से किया। इस अवसर पर पत्रकारिता और लेखन जगत के कई महत्वपूर्ण क़लमकार उपस्थित थे।