वॉट्सऐप, जाना-पहचाना और सबकी जुबान पर रहने वाला नाम। एक ऐसा मेसेजिंग ऐप्लिकेशन जिसे दुनियाभर में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है। वॉट्सऐप मुश्किल में पड़ गया है। और इस मुश्किल की वजह है ब्लैकबेरी। वही, जो अब से कुछ साल पहले अपने क्वार्टी स्मार्टफोन के लिए जानी जाती थी। ब्लैकबेरी एक बार फिर सुर्खियों में है। लेकिन, किसी स्मार्टफोन या किसी नई तकनीक के लिए नहीं बल्कि फेसबुक को पर मुकदमा दर्ज करवाने के लिए। जी हां, ब्लैकबेरी ने फेसबुक पर मेसेंजर, वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम के लिए अपनी पेटेंट तकनीक की चोरी का आरोप लगाया है। ब्लैकबेरी का कहना है कि सोशल मीडिया दिग्गज पर अपने लोकप्रिय इंस्टेंट मेसेजिंग ऐप्लिकेशंस में ब्लैकबेरी की तकनीक इस्तेमाल कर रही है। जानें वो बातें जिन्हें आधार बनाकर फेसबुक को कोर्ट में घसीटा गया है…
2000 के आसपास में ब्लैकबेरी का मेसेंजर ऐप्लिकेशन ब्लैकबेरी मेसेंजर बेहद लोकप्रिय था। अब ब्लैकबेरी का कहना है कि फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप अब ब्लैकबेरी द्वारा डिज़ाइन की गईं तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘हम कड़े दावे के साथ कह सकते हैं कि फेसबुक ने हमारी इंटलैक्चुअल प्रॉपर्टी की चोरी की है।’
ब्लैकबेरी चाहती है कि फेसबुक अपना प्राइमरी ऐप बंद कर दे। इतना ही नहीं, कंपनी का यह भी कहना है कि फेसबुक मेसेंजर, वर्कप्लेस चैट, वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम को भी बंद किया जाए।
अभी ब्लैकबेरी ने किसी आधिकारिक आंकड़ों की जानकारी नहीं दी है। लेकिन कंपनी अपने नुकसान की भरपाई के लिए कुछ राहत चाहती है।
ब्लैकबेरी के मुताबिक, फेसबुक ने कई सारे फीचर्स चुराए हैं। इनमें इनबॉक्स में मल्टीपल इनकमिंग मेसेज, किसी आइकन के ऊपर अनरीड मेसेज इंडिकेटर दिखाना, फोटो टैग सिलेक्ट करना और अब हर मेसेज में टाइमस्टैम्प शो करने जैसे फीचर्स शामिल हैं।
फेसबुक के डेप्युटी जनरल काउंसिल, पॉल ग्रेवाल ने ब्लैकबेरी के इन आरोपों पर कहा, ‘ब्लैकबेरी के मेसेजिंग बिजनस के मौज़ूदा स्तर से इन आरोपों की वजह साफ होती है। कुछ नया खोजने की जगह अब ब्लैकबेरी दूसरे के इनोवेशन पर टैक्स लगाने के लिए जोड़-तोड़ कर रही है। हमारा इरादा जंग लड़ने का है।’
2017 में ब्लैकबेरी ने फिनलैंड की कंपनी नोकिया के खिलाफ एक पेटेंट केस दर्ज कराया था। ब्लैकबेरी ने नोकिया पर करीब दर्जन भर तकनीकों को बिना अनुमति के इस्तेमाल करने के आरोप लगाए थे। ब्लैकबेरी ने पिछले साल क्वालकॉम के खिलाफ चल रहे एक एक रॉयल्टी पेमेंट्स से जुड़ा केस भी जीता था। क्वालकॉम को इस केस में 940 मिलियन डॉलर की रकम चुकाने के बाद समझौता करना पड़ा था।