भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव फॉर्म में है। उनके सख्त निर्देश में केवल सात दिन में 5 हजार से अधिक मामले हल कर लिए गए। मुख्यमंत्री कार्यालय ने सख्त निर्देश जारी किया है कि राजस्व न्यायलय में अगर जनता को काम करवाने में किसी प्रकार की दिक्कत हुई। अगर बेवजह मामले पेंडिंग में डाले गए तो अधिकारियों के वेतन में से पैसे काट लिए जाएंगे। अगर नागरिकों के दर्ज कराए गए प्रकरण को बेवजह खारिज किया गया तो यह आपराधिक माना जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने शपथ लेने की बाद पहली कैबिनेट बैठक में सख्त लहजे में यह बात कह दी थी। उन्होंने राजस्व विभाग में सुशासन के लिए अफसरो को निर्देश दिए थे। कैबिनेट मीटिंग के इस बात का अब ग्राउंड लेक इसका परिणाम अब दिखने लगा है। अकेले भोपाल जिले में सिर्फ 7 दिन में ही 5000 से ज्यादा पेंडिंग मामलों को निपटा दिया गया है। नामांतरण, बटवारा, सीमांकन जैसे मामलों को लेकर राजस्व विभाग के अधिकारी, नागरिकों को कई साल से परेशान कर रहे थे। उन्हें पेशियों पर पेशियां दी जा रही थी, लेकिन मुख्यमंत्री के डॉक्टर मोहन यादव के निर्देश के बाद अधिकारियों में डर व्याप्त है। सोमवार से राजस्व विभाग ने महाअभियान शुरू किया है। कई सालों से अकेले नामांतरण के 9000 मामले लंबित थे, लेकिन एक हफ्ते में साढे 5000 प्रकरणों को हल कर दिया गया है।
पिछले दिन भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र सिंह रात को एसडीएम कार्यालय पहुंच गए थे। उन्होंने सख्त लहजे में कहा था कि अगर कोई अधिकारी को गड़बड़ी करेगा तो उसका वेतन काटकर पीड़ित को मुआवजा दिलाया जाएगा। इसके बाद से प्रकरण तेजी से निपटने लगे। मामलों की निपटान में प्रदेश में भोपाल दूसरे नंबर पर है। अभियान के पहले भोपाल में नामांतरण के 9057 मामले पेंडिंग थे, जो अब घटकर 3618 बचे हैं। वहीं ग्वालियर नंबर एक पर है। यहां एक हफ्ते में 8384 में से 6648 मामलों का निपटारा किया गया है।