घरेलू सहायिका यानी कामवाली या बाई आजकल मध्यम और उच्च वर्ग के परिवारों का अटूट हिस्सा बन चुकी हैं। कम परिवार ऐसे होंगे, जिनका काम इनके बगैर चल जाता हो। लेकिन संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के उलट आपकी कामवाली को किसी भी तरह की वित्तीय सुरक्षा हासिल नहीं हो पाती। मगर आप चाहें तो खुद पहल कर उसकी मदद कर सकते हैं और उसकी कुछ रकम का निवेश उन वित्तीय योजनाओं में करा सकते हैं, जो खास तौर पर समाज के आर्थिक रूप से कमजोर तबके को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं। इस तरह आप उसका आर्थिक भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं।
32 साल की छवि गुहा अहमदाबाद से नोएडा आई है। उसकी तीन संतानें हैं और नोएडा में वह चार घरों में काम करती है। महीने में उसकी करीब 11,000 रुपये की कमाई हो जाती है। लेकिन यह रकम उसके परिवार की जरूरतें पूरी करने के लिहाज से नाकाफी रहती है क्योंकि इसका बड़ा हिस्सा उसका बेरोजगार शराबी पति अपनी शराब और जुए की लत में उड़ा देता है। वह किरण अय्यंगर के घर में भी काम करती है। जब किरण को उसकी इस दुर्दशा का पता चला तो उन्होंने छवि को काम के पैसे देने ही बंद कर दिए। उन्होंने एक बैंक में उसका जीरो बैलेंस वाला खाता खुलवा दिया, जिसके बारे में उसके पति को पता नहीं चलने दिया गया। किरण का यह काम उन महिलाओं को भी अच्छा लगा, जिनके घरों में छवि काम करती थी। उन्होंने भी छवि के वेतन का कुछ हिस्सा उस खाते में डालना शुरू कर दिया। इससे छवि को काफी मदद मिल रही है क्योंकि वह अपने बच्चों की शिक्षा के लिए रकम इक_ïी कर पा रही है।
घरों में इस तरह काम करने वाली हजारों महिलाएं आज छवि जैसी मुश्किलों से जूझ रही हैं। उनके लिए जीरो बैलेंस यानी शून्य शेष राशि वाले बैंक खातों के अलावा कई अन्य वित्तीय योजनाएं हैं। इनमें से कई योजनाएं सरकार लाई है। आप भी अपनी घरेलू कामगारों की मदद के लिए उन योजनाओं का इस्तेमाल कर सकती हैं। आइए ऐसी कुछ योजनाओं पर नजर डालते हैं:
प्रधानमंत्री जन धन योजना
इस योजना के तहत कोई व्यक्ति शून्य राशि पर बचत खाता खोल सकता है यानी उसके बचत खाते में एक पैसा भी रहना जरूरी नहीं है। इसमें 1 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा और 30,000 रुपये का जीवन बीमा भी हासिल होता है। खाता धारक को मुफ्त रुपे डेबिट कार्ड भी मिलता है। लेकिन उसे चेकबुक नहीं मिलती। अगर खाताधारक को चेकबुक लेनी है तो उसे खाते में बैंक द्वारा तय न्यूनतम राशि रखनी पड़ेगी। अगर आप अपनी कामवाली का ऐसा बचत खाता खुलवाना चाहती हैं तो आपको उसके मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड या पैन कार्ड की जरूरत होगी।
सुरक्षा बीमा योजना
यह दुर्घटना बीमा योजना है, जिसमें एक साल के लिए 2 लाख रुपये का कवर मिलता है। बीमा कराने वाले व्यक्ति की दुर्घटना में मौत हो जाने अथवा विकलांग हो जाने पर इसका लाभ मिलता है। हर वर्ष इसका नवीकरण कराना पड़ता है। इस बीमा के लिए साल भर का प्रीमियम केवल 12 लाख रुपये है। जिन लोगों के पास बैंक खाता है और जिनकी उम्र 18 साल से 70 साल के बीच है, वे इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। हालांकि आत्महत्या किए जाने पर इस बीमा का लाभ नहीं मिलता, लेकिन बीमा धारक की हत्या हो जाए तो पूरा लाभ प्राप्त होता है।
जीवन ज्योति बीमा योजना
यह विशुद्ध सावधि बीमा होता है, जिसका हर साल नवीकरण कराना होता है। 18 साल से 50 साल की उम्र वाले व्यक्ति इसका फायदा उठा सकते हैं। इसमें 2 लाख रुपये का बीमा कवर हासिल होता है और इसके लिए हर साल 330 रुपये का प्रीमियम अदा करना पड़ता है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना
यह योजना गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले लोगो और परिवारों को नकदरहित स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करती है। यह फ्लोटर योजना होती है और अस्पताल में भर्ती होने की सूरत में पांच सदस्यों वाले परिवार को 30,000 रुपये तक की बीमा सहायता देती है। पहले से मौजूद बीमारियों को इस बीमा में पहले दिन से ही शामिल कर लिया जाता है और इसे सरकार द्वारा स्थापित किए गए विभिन्न पंजीकरण केंद्रों में जाकर खरीदा जा सकता है। इसमें सालाना 30 रुपये प्रीमियम देना पड़ता है।
सुकन्या समृद्धि योजना
यह छोटी जमा वालाी योजना है, जिसे बच्चियों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए आरंभ किया गया है। बच्ची के जन्म लेने के बाद से 10 वर्ष तक किसी भी समय इस योजना के तहत खाता खोला जा सकता है। इस खाते में किसी वित्त वर्ष के भीतर कम से कम 1,000 रुपये जमा करना जरूरी होता है अधिकतम 1.5 लाख रुपये जमा किए जा सकते हैं। फिलहाल इस पर 8.1 फीसदी की दर से ब्याज मिल रहा है और इसमें जमा रकम पर आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर से छूट भी मिलती है। यह खाता किसी भी डाकघर या बैंक में खोला जा सकता है।
म्युचुअल फंड एसआईपी
लंबे समय तक हर महीने एक निश्चित राशि किसी म्युचुअल फंड योजना में डालते रहना भी एक अच्छा विकल्प है, जो आप अपनी कामवाली को सुझा सकते हैं। म्युचुअल फंड के सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में निवेश 100 रुपये जैसी छोटी रकम से भी शुरू किया जा सकता है। अगर हर महीने केवल 100 रुपये डाले जाएं और 12 फीसदी सालाना की दर से ब्याज मिले तो भी 10 साल के बाद 23,000 रुपये बच सकते हैं। मनी बीज इंस्टीट्यूट के संस्थापक आशुतोष वखारे कहते हैं, ‘चूंकि घरेलू कामगारों या कामवाली महिलाओं को म्युचुअल फंड के बारे में जानकारी बहुत कम होगी और जोखिम लेने की क्षमता भी उनके भीतर बहुत कम होगी, इसलिए आपको उनके लिए इंडेक्स फंड चुनने चाहिए।’
अटल पेंशन योजना
अगर आपकी कामवाली इस योजना में पंजीकरण करा लेती है तो उसे 60 साल की उम्र से हर महीने पेंशन मिलने लगेगी। बतौर पेंशन उसे हर महीने 1,000 रुपये से 5,000 रुपये तक मिल सकते हैं। इसके लिए उसे 500 से 3,500 रुपये तक की रकम निवेश करनी होगी। निवेश की रकम उसकी उम्र से तय होगी। मसलन किसी की उम्र 18 साल है और वह 60 साल की उम्र से हर महीने 1,000 रुपये की पेंशन पाना चाहती है तो उसे 42 रुपये प्रतिमाह निवेश करने होंगे। लेकिन अगर उसकी उम्र 30 साल है तो उसे हर महीने 116 रुपये देने होंगे। इसमें 60 साल की उम्र तक लगातार निवेश करना होता है और 40 साल की उम्र तक के लोग इसमें अपना पंजीकरण करा सकते हैं। यह योजना किसी भी बैंक से ली जा सकती है।
अगर आपकी कामवाली को इन योजनाओं के बारे में कुछ भी पता नहीं है तो आप उसे बताइए कि इनमें छोटी सी रकम डालने का आगे जाकर कितना फायदा हो सकता है। वित्तीय सलाहकार फर्म पर्सनलफाइनैंसप्लान के संस्थापक दीपेश राघव कहते हैं, ‘इन योजनाओं के जरिये आपकी कामवाली या घरेलू कामगार लंबे समय में ठीकठाक रकम जमा कर सकती है और अपने बच्चों को पढ़ाने जैसे लक्ष्य पूरे करने में यह रकम उसकी मदद करेगी।’ असंगठित क्षेत्र की इन कामगारों का भविष्य तो सुरक्षित हो सकता है, लेकिन आपकी मदद के बिना ऐसा नहीं हो सकता।