वर्तमान दौर में इतने सारे पत्रकारों के मोबाइल नंबर सोशल मीडिया पर डाल दिए गए हैं कि लगभग सभी पत्रकार तकरीबन रोजाना कोई न कोई ऐसा मैसेज अनजान नंबर से पाते हैं, जो बेहद आपत्तिजनक होता है। इसमें या तो अश्लील बातें लिखी होती हैं, अथवा धमकी होती है।
ऐसे मैसेज जिन्हें मिलते हैं, वो अक्सर इसलिए शिकायत नहीं करते क्योंकि पुलिस के चक्कर लगाने पड़ेंगे, फिर मामला कोर्ट जाएगा। इसलिए अक्सर वो नंबर ब्लॉक करके समाधान निकालते हैं। लेकिन इससे भेजने वाले का हौसला बढ़ जाता है और वो दूसरे नंबर से ऐसा करने लगता है।
पत्रकारों समेत ऐसे सभी लोगों की मदद के लिए, जो इस तरह के मैसेज से परेशान हैं, डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन ने एक रास्ता निकाला है, जिसके जरिये इस तरह की हरकत करने वालों के खिलाफ क्विक एक्शन होगा।
इसके तहत न आपको एफआईआर करनी होगी और न ही थानों या कोर्ट के चक्कर लगाने होंगे। करना सिर्फ इतना है कि उस मैसेज का स्क्रीन शॉट लेकर, भेजने वाले के मोबाइल नंबर के साथ ईमेल आईडी ccaddn-dot@nic.in पर भेज देना है। आगे का काम टेलिकॉम मिनिस्ट्री करेगी। यानी आगे के एक्शन के लिए शिकायत को टेलिकॉम ऑपरेटर और पुलिस के पास भेजने का। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन के कंट्रोलर कम्युनिकेशन आशीष जोशी ने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी दी है।
तो अगली बार जब आप ऐसा मैसेज पाएं तो इस रास्ते को भी आजमा कर देखें। हालांकि जम्मू के एसएसपी ने एक अनोखा रास्ता वॉट्सऐप के जरिए अफवाहों पर लगाम लगाने के लिए निकाला है, जिसके तहत हर वॉट्सऐप ग्रुप के लिए ये अनिवार्य कर दिया है कि उसे थाने में रजिस्टर्ड करवाया जाए। साफ है कि ऐसा आइडिया बाकी देश में लागू हुआ तो आम लोगों की लाइफ में पुलिस हस्तक्षेप बढ़ना तय है।
साभार- http://www.samachar4media.com से