जयपुर। हाल ही में सत्तासीन राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने पिछली गहलोत सरकार में शुरू की गई राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्न प्रोग्राम को 31 दिसंबर से समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए हैं। हालांकि, इस कार्यक्रम की अवधि 31 दिसंबर तक ही थी। इस कार्यक्रम की शुरुआत असल में बीजेपी की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के समय की गई थी, जिसे युवा विकास प्रेरक नाम दिया गया था।
पिछली गहलोत सरकार ने नए नाम राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम की शुरुआत की। हालांकि, पुरानी योजना भी जारी रही, जिसमें करीब 150 वैकेंसी थी। वहीं, राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्न कार्यक्रम को गहलोत सरकार ने आगे बढ़ाते हुए करीब 2,500 की वैकेंसी निकाली। इसमें 2,000 यंग इंटर्न लिए गए। बाद में इनमें से 300 को निकाल दिया गया। चुनावी साल के बजट में गहलोत सरकार ने यंग इंटर्न की वैकेंसी को 2,500 और बढ़ाने का एलान किया। लेकिन ये भर्तियां हुई नहीं। सरकार में यंग इंटर्न को पहले छह-छह महीने का एक्सटेंशन दिया गया, फिर बाद में इसे तीन-तीन महीने कर दिया गया।
राज्य सरकार का कंटेंट सोशल मीडिया पर चलाने का काम था । यंग इंटर्न कार्यक्रम में शामिल होने वाले युवाओं को सरकारी योजनाओं का सोशल मीडिया पर प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी दी जाती थी। इसके अलावा इन्हें घर-घर जाकर लोगों का सर्वे करना, योजनाओं में नाम जुड़वाना, कार्ड बनवाने जैसे काम भी दिए जाते थे।
मौजूदा भाजपा सरकार ने नए साल से पहले हजारों राजीव गांधी युवा मित्रों का इंटर्नशिप कार्यक्रम समाप्त कर उन्हें बेरोजगारी का गिफ्ट दिया है। अगर भाजपा की राजनीतिक दुर्भावना सिर्फ नाम से थी, तो वो नाम बदल देते लेकिन युवाओं को बेरोजगार क्यों किया? जबकि पिछली भाजपा सरकार में पंचायत सहायकों की नियुक्ति हुई थी। हमारी सरकार आने पर उनका मानदेय बढ़ाकर उन्हें स्थाई करने के प्रावधान का प्रयास किया गया। भाजपा और कांग्रेस की नीति में यही फर्क है।