कांग्रेस ने अपनी तो डुबोई ही, तेजस्वी यादव की लुटिया भी डुबो दी। बिहार में कांग्रेस का अगर इतना खराब प्रदर्शन नहीं होता तो तेजस्वी आज मुख्यमंत्री पद का दावा कर रहे होते। लेकिन कांग्रेस दिन-ब-दिन कमजोर होती जा रही है और इसकी जिम्मेदारी किसकी है, यह कांग्रेस के नेतृत्व को सोचना चाहिए।
एक निजी चैनल पर विभिन्न राजनीतिक विशेषज्ञों के साथ बिहार पर चर्चा में राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार ने कहा कि वास्तव में बिहार में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद ख़राब ही नहीं, चिंताजनक रहा है। 2015 के चुनाव में उसने 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 27 सीटें मिली थीं। यह अच्छा प्रदर्शन था। जबकि इस बार 80 सीटों पर लड़कर 25 प्रतिशत से भी कम सिर्फ19 सीटों पर कांग्रेस जीती है। अगर कांग्रेस 15 सीटें और जीत जाती तो, आज बिहार में महागठबंधन सरकार बना रहा होता। परिहार कहते हैं कि ने 80 सीटों पर लड़कर कांग्रेस ने खुद अपनी राजनीतिक स्थिति की मट्टीपलीद करवाई है। कांग्रेस को 50 ही सीटों पर लड़ना चाहिए था। क्योंकि बाकी बची 30 सीटों पर आरजेडी लड़ती तो वह निश्चित रूप से बीजेपी-जेडीयू की राह मुश्किल करती। तेजस्वी यादव को कांग्रेस उन्हें बिलकुल भी सहारा नहीं दे सकी। जबकि जनाधारविहीन वामदल तक 18 सीटें जीत लाए । लेकिन राष्ट्रीय स्तर की पार्टी कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा।
बिहार में कांग्रेस की दुखद, दर्दनाक और दारुण हालत देखकर अब कौनसा प्रादेशिक दल कांग्रेस को अपने साथ खड़ा करेगा, यह चिंतन और चिंता दोनों का विषय है। यह ब्रह्मसत्य है कि कांग्रेस के ऐसे भयावह हालात में क्षेत्रीय दल उसके साथ गठबंधन करके अपना नुक़सान नहीं करना चाहेंगे। राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार मानते हैं कि कांग्रेस राज्यों में लगातार कमजोर होती जा रही है और यह मंजर राष्ट्रीय राजनीति में उसकी भूमिका को ख़त्म कर देने के लिए काफी है। लेकिन कांग्रेस के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी को यह सार्वभौमिक सत्य और सबसे ताकतवर तथ्य समझ में आए तब न ! (प्राइम टाइम)
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)