कोरोना एक बार फिर देश के लिए चिंता का सबब बना हुआ है, खास तौर पर महाराष्ट्र में कोरोना की रफ्तार तेजी से बढ़ी है। कोरोना की नई स्ट्रेन पहले से ज्यादा खरतनाक है, इसीलिए सरकार चिंतित है, लेकिन लोग निश्चिंत होकर मजे मार रहे हैं। यही सबसे बड़ा खतरा है।
यह बहुत ही चौंकानेवाली बात है कि देश भर में दर्ज हुए कोरोना के नए मामलों के करीब 64 फीसदी केस एक दिन के दौरान महाराष्ट्र में मिले हैं। क्योंकि बस्तियों के बाशिंदे बेपरवाह हैं। लोग लगातार लापरवाह हो रहे हैं और भीड़ भगवान भरोसे मानकर बढ़ती ही जा रही है। महाराष्ट्र में कोरोना इसीलिए एक बार फिर से विकराल रूप धर रहा है। रोज सामने आ रहे कोरोना मरीजों के मामलों की संख्या सिर्फ पखवाड़े भर में ही चार गुना तक बढ़ गई है। इस बढ़ोतरी में प्रदेश के बड़े शहर सबसे आगे हैं। सबसे ज्यादा खतरनाक बात यह है कि मुंबई, पुणे और नागपुर जैसे बड़े शहरों में रोजाना आने वाले केस पंजाब, गुजरात, कर्नाटक और मध्य प्रदेश के कुल मामलों से भी ज्यादा हैं। बीमारी बढ़ रही है, डर फैल रहा है और पब्लिक परेशान है। लोग फिर भी सतर्कता और सावधानी की सीमाएं लांघ रहे हैं। कोरोना इसीलिए बढ़ रहा है।
महाराष्ट्र प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटिल की राय में यह बेहद चिंता की बात है कि महाराष्ट्र में मंगलवार के मुकाबले बुधवार को कुल मामलों में सीधे 30 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। प्रदेश में बुधवार की रात तक कोरोना मामलों की कुल संख्या बढ़कर 23 लाख 70 हजार 507 हो गई थी। पाटिल कहते हैं कि हालात इतने खराब हैं, फिर भी महाराष्ट्र सरकार किसी भी तरह गंभीरता नहीं दिखा रही है।
जानी मानी फैशन डिजाइनर अंजू भंडारी-जैन का कहना है कि लोग कोरोना को लेकर बहुत सारी सतर्कता और सावधानियां बरतने के बजाय उनको नजरअंदाज कर रहे हैं। सरकार ने भी एक बार फिर टेस्टिंग, ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट पर जोर देने की जरूरत जाहिर की है। राजनीतिक विश्लेषक संदीप सोनवलकर मानते हैं कि करोड़ों रुपए खर्च कर के किए गए मास्क जरूरी होने के सरकारी विज्ञापन और मास्क न होने पर 200 रुपए के फाइन के बावजूद लोग लापरवाह हैं, यह बहुत ही शर्म की बात है।
नवभारत टाइम्स के राजनीतिक संपादक अभिमन्यु शितोले कहते हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ रही है, भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है, कोरोना इसी कारण बहुत तेजी से फैल रहा है। शितोले बताते हैं कि बीती 1 मार्च से 17 मार्च के बीच कोरोना मरीजों का आंकड़ा चार गुना देखा गया है। फैशन डिजाइनर अंजू मानती है कि मुंबई, पुणे और नागपुर जैसे बड़े शहरों में रोजाना आने वाले केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं, यह बड़ी चिंता का कारण है। शताब्दी गौरव फाउंडेशन के चेय़रमेन सिद्धराज लोढ़ा का कहना है कि कोरोना के मामले में महाराष्ट्र की हालत देश के किसी भी प्रदेश के मुकाबले सबसे ज्यादा खराब है। प्रदेश में सिर्फ पखवाड़े भर में ही कोरोना के मामले सीधे चार गुना होने से राज्य व केंद्र दोनों सरकारें चिंतित है, लेकिन लोढ़ा कहते हैं कि जिनको सबसे ज्यादा चिंता करनी चाहिए, उन लोगों में किसी भी बात का डर नहीं दिख रहा।
अकेले बुधवार को महाराष्ट्र में 23179 नए केस दर्ज किए गए। पिछले छह महीनों में यह सबसे अधिक केस सामने आने का रिकॉर्ड है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण लोगों की लापरवाही ही माना जा रहा है। यह अपने आप में बहुत ही चिंता की बात है कि अकेले नागपुर शहर में बुधवार को एक दिन में कोरोना के 2698 केस सामने आए। इसी तरह से एक दिन में पुणे में 4745 और मुंबई में 2377 केस सामने आए थे। पिछले कई दिनों या संभतवया पिछले साल के मुकाबले मुंबई से बहुत ज्यादा संक्रमण देखने को मिला है। ये आंकड़े कई प्रदेशों के मुकाबले बहुत डरानेवाले हैं। बुधवार को पूरे पंजाब प्रदेश में 2,039, गुजरात में 1,122, केरल में 2,098 और कर्नाटक में 1,275 मरीज मिले हैं। जबकि अकेले महाराष्ट्र में यह आंकड़ा एक दिन में ही 23 हजार से ज्यादा का है। मुंबई में कोरोना के नए केस में मार्च के पहले हफ्ते से तीन गुना इजाफा हुआ है। इसी महीने की पहली तारीख को मुंबई में कोरोना के 855 केस मिले थे, जबकि बुधवार को 2377 केस सामने आना बेहद चिंता की बात है। जानकार कहते हैं कि कोरोना का बढ़ता असर लोगों की लापरवाही की वजह से ही बहुत तेजी से फैल रहा है। सरकार सतर्क है, वह अपना काम कर रही है। जगह जगह जागरूक करनेवाले लोग तैनात किए हैं। फाइन भी वसूला जा रहा है। लोग फिर भी नहीं सुधर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना को लेकर बहुत चिंतित है। उन्होंने देश को कई कई बार आगाह किया कि लोग कोरोना की दूसरी लहर के खतरे को नजरअंदाज ना करें। लेकिन लोग है कि हर जगह अपनी मनमर्जी कर रहे हैं। सरकारी नियमों का पालन ही नहीं कर रहे हैं, तो कोरोना तो फैलेगा ही। कोरोना से बचने के लिए लोगों को नियमों का पालन करना होगा। बाजारों, ट्रेनों, बसों, टैक्सी, रिक्शा सड़कों पर उमड़ती बेतहाशा भीड़ के कारण कोरोना फैलने से रुक ही नहीं रहा। लोग मास्क के प्रति लापराह हैं, तो सेनेटाइजर का इस्तेमाल भी घट गया है। बार बार हाथ धोने से भी लोग बच रहे हैं, और ‘देखा जाएगा’, ‘क्या फर्क पड़ता है’ तथा ‘चलता है’ की मनःस्थिति के कारण ही कोरोना बढ़ रहा है। लेकिन जिंदगी जरूरी है। साधान रहिए, सतर्क रहिए और खुद के प्रति जिम्मेदार बनिए, तभी कोरोना को रौका जा सकेगा। अन्यथा यह तो बढ़ता ही जाएगा। सरकार चिंतित है, सतर्कता और साधानी के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए लगातार प्रयासरत है। फिर से लॉकडाउन लगाने की हालत नहीं है, क्योंकि मामला अर्थ यस्ता के बिगड़ने से जुड़ा हुआ है। बाजार खुले हैं, दफ्तर खुले हैं, धंधे चल रहे हैं, इसी कारण जिंदगी जैसे तैसे ठिकाने पर लौट रही है। जिंदगी अनमोल है, फिर कभी नहीं मिलेगी। लेकिन संक्रमण के आंकड़े डरा रहे हैं, तो मौत के आंकड़े भी नए सिरे से डर पैदा कर रहे हैं। इसलिए सतर्क रहिए, सावधान रहिए, खुद के प्रति जागरूक रहिए और कोरोना से बचिए। वरना जिंदगी पर मौत का खतरा तो मंडरा ही रहा है।
एक बार फिर से आई कोरोना की मौजूदा लहर को नहीं रोका गया तो फिर इसका देशव्यापी असर देखने को मिल सकता है। हम देख रहे हैं कि पिछले साल कोरोना में पाबंदियों के कारण पूरी दुनिया की आर्थिकी पर जो गहरा असर हुआ, उससे कोई भी नहीं उबर पाया है। सो, मुंबई और महाराष्ट्रही नहीं देश भर में एक बार फिर से कोरोना के बहुत बढ़ते इस खतरे को रोकने के लिए सतर्कता सबसे जरूरी है।