सिडनी। प्रशांत महासागर में एक छोटा सा आईलैंड कंट्री है नाउरू। इसकी आबादी महज 12 हजार है। मगर, यह देश चीन के खिलाफ खड़ा हो गया है और चाहता है कि चीन के डिप्लोमैट अपनी बदतमीजी के लिए मांफी मांगे। नाउरू सरकार ने आरोप लगाया है कि चीन के दूत ने एक कार्यक्रम के दौरान उनके राष्ट्रपति के साथ बदसलूकी की।
नउरु ने कार्यक्रम खत्म होने के बाद चीनी दूत से माफी की मांग की। उन्होंने कहा कि चीन के प्रतिनिधि उनके सामने कुछ नहीं हैं। हम पूरे फोरम से अपील करेंगे की वे चीन पर माफी के लिए दबाव बनाएं। हम इस मामले को संयुक्त राष्ट्र तक ले जाएंगे। चीन हमारा बड़ा साझेदार है, लेकिन उसे हमारी बेइज्जती नहीं करनी चाहिए थी।
दरअसल, नाउरू ने हाल ही में 18 पैसिफिक देशों के फोरम के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें उसने गैर-सदस्यी देशों अमेरिका और चीन को भी शामिल होने का न्योता दिया था। चीन की तरफ से कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए उसके डिप्लोमैट दू किवेन आए थे। उनकी मांग थी कि वे नउरू के प्रधानमंत्री से पहले फोरम को संबोधित करेंगे।
हालांकि, नउरू के राष्ट्रपति बारौन वाका ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। उन्होंने चीन के दूत के इस कदम को काफी अपमानजनक और बुलिंग करने वाला बताया। इसके बाद चीन का प्रतिनिधि मंडल बीच में ही कार्यक्रम छोड़कर चला गया। नउरू के राष्ट्रपति ने चीनी दूत की इस हरकत को बदतमीजी करार देते हुए कहा कि चीन बड़ा देश होने की वजह से हमें डराना चाहता है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने इस घटना पर कहा कि नउरू ने अंतरराष्ट्रीय नियमों और फोरम के नियमों का उल्लंघन किया। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने गुरुवार को इस घटना को ताइवान से जोड़ दिया। अखबार में लिखा गया कि ताइवान को इससे खुश नहीं होना चाहिए।
अखबार में आगे लिखा गया- यह बेहद हास्यास्पद है कि उसका (ताइवान) भविष्य एक छोटा सा पैसिफिक देश तय कर रहा है। राजनायिक तौर पर उसे इस विवाद से कुछ नहीं मिलने वाला। बताते चलें कि नउरू के स्वायत्त ताइवान से बेहतर संबंध हैं और वह बीजिंग के बजाय ताइपे को ही सरकार के तौर पर मान्यता देता है।