नई दिल्ली। ’वैश्या जैसा विषय लेखक प्रायः कम छूता है अपने लेखन में, किन्तु डॉ. अर्पण ने उस वारांगना की व्यथा को लिखने का प्रयास किया जो सराहनीय है।’ यह बात मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार सुभाष चंदर ने कही।
शनिवार को प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेला शुरू हुआ, इसमें हॉल 2 में एम 26 स्टॉल पर मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ की पुस्तक वारांगना-व्यथांजलि के द्वितीय संस्करण की मुँह दिखाई यानी लोकार्पण संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार सुभाष चंदर, विशेष अतिथि ख्यात ग़ज़लकार कमला सिंह ज़ीनत मौजूद रहे।
अतिथि स्वागत भावना शर्मा ने किया व आभार शिखा जैन ने व्यक्त किया।
कमला सिंह ज़ीनत ने कहा कि ‘दिन के उजाले में कुछ सफ़ेदपोश घूमते हैं, वही रातों में वैश्यालय जाते हैं पर बदनाम वेश्याओं को किया जाता है। उनके दर्द को लिखने के लिए डॉ. अर्पण को साधुवाद।’
कार्य्रकम में वरिष्ठ साहित्यकार अनिल मीत, नरेश शांडिल्य आदि मौजूद रहे।
ज्ञात हो कि डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ की अब तक दस से अधिक क़िताबें आ चुकी हैं और वर्ष 2020 के लिए मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा डॉ. अर्पण जैन को अखिल भारतीय नारदमुनि पुरस्कार से भी पुरस्कृत किया गया है।