डेंगू की गंभीरता को देखते हुए इसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है! एक छोटा सा मच्छर अगर काट लें तो इससे जान भी जा सकती है और ऐसा तब होता है जब वो मच्छर डेंगू का हो! साफ और रूके हुए पानी में पनपने वाले इस छोटे से मच्छर को एडीज मच्छर कहते है और हर साल मानसून के मौसम में इस मच्छर का प्रकोप फैलता हुआ नजर आता है! डेंगू होने पर ब्लड में प्लेटलेट्स काफी तेजी से घटने लगती है, साथ ही तेज बुखार सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, त्वचा पर रैशेज होने जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं. लेकिन कई बार डेंगू गंभीर रूप भी ले सकता है. जिसकी वजह से मरीज की जान तक जा सकती है. इसलिए समय रहते इसका इलाज करवाना बेहद जरूरी है!
डेंगू का खतरा उन लोगों को ज्यादा है जो ऐसे इलाके में रहते है जहां काफी मात्रा में मच्छर होते है, जहां जलभराव होता है! बारिश के मौसम में डेंगू के मामले ज्यादा पाए जाते है! कई बार ये व्यक्ति के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है!
‘राष्ट्रीय डेंगू दिवस’ मनाने का कारण- डेंगू की गंभीर बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करने के मकसद से राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से डेंगू दिवस मनाया जाता है। देश में हर साल डेंगू की समस्या से लाखों लोगों की जान चली जाती है। राष्ट्रीय डेंगू दिवस के दिन देश भर में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिसमें डेंगू के लक्षण, इसके प्रसार और बचाव के उपायों के बारे में बात की जाती है। इन कार्यक्रमों की बदौलत ही लोग अब इस बीमारी के प्रति काफी जागरूक हो गए हैं।
साल 2024 में राष्ट्रीय डेंगू दिवस की थीम है ‘डेंगू रोकथाम: सुरक्षित कल के लिए हमारी जिम्मेदारी’। क्योंकि डेंगू मच्छरों से फैलने वाली बीमारी है, तो इसकी रोकथाम के लिए सबसे पहले मच्छरों से बचाव जरूरी है।
मच्छरों से बचने के लिए लंबी बाजू वाले कपड़े पहनें। पैरों को भी ढककर रखें। लाइट कलर के कपड़े गर्मी से तो बचाते ही हैं साथ ही मच्छरों से भी। मच्छर डार्क कलर की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं। नियमित रूप से नालियों, गमलों और अन्य जगहों की जांच करते रहें। उनमें पानी न जमा होने दें। इसमें डेंगू के लार्वा पैदा हो सकते हैं। मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी, स्प्रे का प्रयोग करें। घरों में कुछ खास तरह के पौधे लगाने से भी मच्छर दूर रहते हैं।
वैसे तो मच्छरों से छुटकारा पाने के लिए मार्केट में कई तरह के प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं, लेकिन इनमें से कई सारे सेहत को नुकसान पहुंचाने का काम भी करते हैं और मच्छर पर भी कुछ खास असर नहीं होता। ऐसे में मच्छर भगाने के लिए नेचुरल चीजों का सहारा ले सकते हैं। कुछ खास तरह के पौधे मच्छरों को भगाने में हैं बेहद कारगर हैं, जैसे कि- तुलसी, लेमनग्रास, लैवेंडर इत्यादि!
लेमनग्रास की तेज गंध से मच्छर भाग जाते हैं। इसे घर की बालकनी या फिर खिड़की के पास रखें। यह कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। पौधे के अलावा लेमनग्रास ऑयल भी मच्छरों को भगाने में प्रभावी है। इसमें लिमोनेन और सिट्रोनेला जैसे तत्व होते हैं, जिससे मच्छर दूर रहते हैं। लेमनग्रास पौधे को सीधे जमीन में लगा सकते हैं। धूप में यह अच्छी तरह से पनपता है। इसके लिए मिट्टी, खाद और रेत वाली मिट्टी का कम्पोजिशन ठीक रहता है। छोटे गमले में इसे नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इससे इसकी सही विकास नहीं होती।
गेंदे के फूल से न सिर्फ घर की बालकनी की सुंदरता बढ़ती है, बल्कि इससे मच्छर और दूसरे कीट-पतंगे भी दूर रहते हैं। इस पौधे से आने वाली गंध पाइरेथ्रम, सैपोनिन, स्कोपोलेटिन, कैडिनोल और अन्य तत्वों से मिलकर बनती है, जो मच्छरों को घर से दूर रखती है।
तुलसी का पौधा भी मच्छरों को दूर भगाता है। इसकी महक से मच्छर आसपास नहीं फटकते। इसके अलावा पानी में तुलसी की कुछ पत्तियों को उबाल कर उसके अर्क को पानी से अलग कर एक स्प्रे बॉटल में डाल कर शाम को बाहर निकलने से पहले इस पानी को हाथ, गर्दन और पैरों पर स्प्रे करने से भी मच्छर दूर भागते हैं!
रोजमैरी- एक खूबसूरत और खुशबूदार प्लांट है। इसकी पत्तियां पतली और शार्प होती हैं। गर्मियों में खिलने वाले इस पौधे के तने की खुशबू से मच्छर पास नहीं आते हैं। मच्छरों से घर को महफूज रखने के लिए रोजमैरी प्लांट को घर में लगाई जा सकती है!
लैवेंडर का पौधा मक्खियों, मच्छरों, मकड़ियों और चींटियों को दूर रखने का काम करता है। भीनी-भीनी खुशबू वाला लैवेंडर का पौधा दिखने में भी बेहद खूबसूरत लगता है। इस पौधों का इस्तेमाल अरोमाथेरेपी और हर्बल उपचार के लिए किया जाता है। इस पौधे की पत्तियों को स्किन पर सीधा रब भी कर सकते हैं। इसकी पत्तियों से निकलने वाला ऑयल कीट पतंगों से बचाने का काम करता है।
डेंगू के बारे में जागरूकता बढ़ाने और निवारक उपायों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है! डेंगू बीमारी को नियंत्रित करने और खत्म करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के प्रति लोगों को जागरूक करना है! कुछ आंकड़ों के अनुसार इस समय 100 से अधिक देशों में डेंगू का प्रकोप जारी है और विश्व भर की लगभग आधी आबादी डेंगू से प्रभावित है! यह बुखार एडीज मच्छरों के काटने के 5 से 6 दिन बाद लोगों के बीच देखने को मिलता है!
— डॉ सुनीता त्रिपाठी ‘जागृति’ (अखिल भारतीय राष्ट्रवादी लेखक संघ )नई दिल्ली