Sunday, November 24, 2024
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लन्दन में डिजायन कुंभ

लन्दन को लोग यूँ ही दुनिया की डिजायन राजधानी नहीं कहते , हर साल सितंबर माह में लन्दन डिज़ाइन फेस्टिवल के लिए दुनिया भर के डिज़ाइनर यहाँ इकट्ठा होते हैं और शहर को कोना कोना डिज़ाइन के विलक्षण प्रयोगों का शोकेस बन जाता है. इस बार लन्दन शहर को नौ डिज़ाइन डिस्ट्रिक्ट में बाँटा गया है , बैटरसी, चेलसा, साउथर्क, ब्रॉम्पटन, बैंक साइड , ग्रीनिच, शोरडिच, मैफ़ेयर, किंगक्रॉस , बैंक साइड, इंगलिस्तान, पार्क रॉयल , डेल्स्टों जहां विभिन्न क्षेत्र के डिज़ाइनर और संस्थान कार्यरत हैं और वहाँ रोज़ ही कोई न कोई वर्कशॉप , चर्चा , प्रदर्शन या फिर व्यावसायिक गतिविधि चल रही है .

अगर इंस्टालेशन की बात करें तो , शहर में विभिन्न स्थानों पर लगाये इंस्टालेशन में से सेंट पॉल कैथेड्रल में जाने माने स्पैनिश डिज़ाइनर पाब्लो वलबुएना का इंस्टालेशन “औरा” विशेष रूप से आकर्षित कर रहा है . “औरा” कैथेड्रल के अंदर के संगीत, आवाज़ों और ध्वनियों को सुनता है और इन्हें त्रि-आयामी स्पेक्ट्रम में बदल देता है. दूसरा महत्वपूर्ण इंस्टालेशन “हालो” स्टूडियो वाल्डेमीयर ने सेंट वालब्रुक में लगाया गया है , 1666 में लन्दन शहर में लगी भीषण आग के बाद किस तरह से शहर उठ कर खड़ा हुआ था यह इंस्टालेशन उस जज़्बे को आज की समकालीन प्रकाश रचना के माध्यम से अभिव्यक्त करता है . फेस्टिवल के दौरान स्ट्रैंड पर “स्पिरिट ऑफ़ प्लेस “, किंग्स रोड पर “डे ड्रीमिंग”, कोरोनेट स्ट्रीट पर “नाइस टू मीट यू अगेन “ कनेरी वार्फ़ में बौद्ध सिद्धांतों पर आधारित “मण्डला लैब” ने भी काफ़ी लोगों का ध्यान आकर्षित किया है.यहाँ के सबसे समृद्ध म्यूज़ियम विटोरिया एंड अल्बर्ट में भी इस दौरान काफ़ी गतिविधियां चल रही हैं, , यहाँ की जॉन लयों गैलरी में पुलोमी बसु और सी जे क्लार्क का “माया” दक्षिण एशिया में स्त्रियों की स्थिति पर विशेष इंस्टालेशन है.

इस दौरान सबसे महत्वपूर्ण गतिविधि 21 सितंबर से 24 सितंबर के बीच ट्रूमैन ब्रेवरी में लंदन डिज़ाइन फेयर आयोजित किया गया है , यह आयोजन स्थल लिवरपूल स्ट्रीट के क़रीब है , यह डिज़ाइन फेयर फेस्टिवल के दौरान सबसे बड़ी प्रदर्शनी है जिसमें विभिन्न देशों के बड़े ब्रांड, कंपनियाँ, संस्थान और डिज़ाइनर हर वर्ष लीक से अलग हट कर कुछ नया और अनूठा काम ले कर आते हैं. इस बार फेयर का मुख्य थीम पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए नए नए क़िस्म के मटेरियल और माध्यम पर था.

युद्ध की विभीषिका झेल रहे देश यूक्रेन की बीस कंपनी इस अवसर पर मौजूद थी जो मुख्यत: फर्नीचर और दरवाज़ों के लिए मशहूर हैं और वहाँ लिनआयल , लकड़ी के बुरादे , लाइमस्टोन, पाइन रेसिन आदि से ऐसा लिनोलियम तैयार किया जा रहा है जो फर्नीचर बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है और जिससे पर्यावरण को कोई क्षति नहीं होती है . यहाँ हमारी मुलाक़ात नतालिया कोलपाकोवा से हुई जो सिल्क के स्कार्फ बनती हैं, ये इतने सुंदर हैं कि इन्हें पेंटिंग की तरह से फ्रेम भी किया जा सकता है.

अमेरिका की पाँच डिज़ाइनर जस्टिन बैले , सुजान ब्रैडली, मोनिका कोरिया , बाइको दर्जानिया , विनिशियस लीमा मिल कर डिज़ाइन फोरम चलाती हैं , जिसमें मोनिका सिल्क के फ़ैब्रिक से वाल हैंगिंग बनाती है. फेयर में उल्लेखनीय “ए लाउंज स्पेस “ था जिसमें जेनकार्क और ब्लैककॉर्क कंपनियों ने कॉर्क से फर्नीचर और बिल्डिंग मटेरियल बनाने के प्रयोग प्रस्तुत किए हैं.

दक्षिण कोरिया के कोंगजू विश्वविद्यालय ने भी यहाँ स्टाल लगाया हुआ था , इस विश्वविद्यालय ने लकड़ी की लुगदी से सेल्यूज़ निकाल कर लायोसेल फ़ाइबर में बदलने में सफलता हासिल की है जिस से वे पर्यावरण मित्रवत् फर्नीचर बनाने जा रहे हैं . इस बार सऊदी अरब की कंपनी &बोकू ने फ्रेग्रेन्स होल्डर, वाटर बॉटल , स्टेशनरी जैसे अनेक पर्यावरण मित्रवत् आइटम प्रस्तुत करके यह बताने की कोशिश की है कि सऊदी अब उत्पादन के क्षेत्र में गंभीरता से उतरने जा रहा है . रोमानिया, ताइवान , स्वीडन , चीन , यूएई , कोरिया आदि के डिज़ाइनरों की उपस्थिति बताती है कि वे इस डिज़ाइन फेयर को कितना महत्व देते हैं . इसी के साथ ब्रिटेन के प्रतिभाशाली डिज़ाइनरों का पूरा अलग पवेलियन था जो अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में किसी भी माइने में कम नहीं दिखते हैं.

पिछले वर्ष इसी फेयर में मेरी मुलाक़ात भारत के दो प्रतिभाशाली डिज़ाइनरों से हुई थी , इस बार कोई भी भारतीय डिज़ाइनरों की अनुपस्थिति खटकती रही.

हाँ, इस बार डिज़ाइन कुंभ में भारतीय मूल की पूजा अग्रवाल को लंदन डिज़ाइन इनोवेशन मेडल से सम्मानित किया गया है वे पब्लिक प्रैक्टिस की सी ई ओ हैं और उन्होंने ग्रेटर लन्दन अथॉरिटी के लिए प्लानर के रूप में उल्लेखनीय कार्य किया है.

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