मुंबई। मुंबई वासियों के लिए कामगार दिन और महाराष्ट्र दिन की पूर्व संध्या हमेशा यादगार रहेगी। बांद्रा में साहित्य ,समाज ,संस्कृति, कला और राजनीति से जुड़ी मानिंद हस्तियों के बीच सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की मौजूदगी समारोह को एक अलग पहचान दे रही थी।जिस तरह इलाहाबाद में संगम पर श्रद्धालुओं का मेला लगता है वहां गंगा , यमुना और सरस्वती इन तीन नदियों का संगम होता है।उसी तरह मुम्बई के बांद्रा स्थित सरकारी कार्यालय म्हाडा के गेट के सामने की तीन सड़कें जहाँ मिलती हैं उस संगम स्थल का नाम साहित्यकार दिवंगत डॉ धर्मवीर भारती चौक रखा गया।उद्घाटन समारोह में माहौल पूरी तरह कुंभ के मेले की तरह था।संगम के किनारे से अथाह समन्दर के किनारे आये दुबले पतले लेकिन अडिग इरादों वाले धर्मवीर के चाहनेवालों के सम्मुख अभिनय की दुनिया के शंहशाह अमिताभ बच्चन ने पूरी विनम्रता के साथ डॉ धर्मवीर भारती चौक का उद्घाटन किया।
अमिताभ बच्चन ने मुंबई में डॉ. धर्मवीर भारती चौक का उद्घाटन करते हुए अपने दिल के कई अरमानों का भी जिक्र किया।सिने जगत में बिग बी के नाम से जाने जानेवाले अमिताभ बच्चन ने यूं तो हिंदी फिल्मों में कई यादगार भूमिकाएं निभाई हैं। लेकिन धर्मवीर भारती के उपन्यास गुनाहों का देवता के चंदर की भूमिका में परदे पर न दिख पाने का अफसोस उन्हें आज भी है।
बिग बी के अनुसार उनकी शुरू से इच्छा रही कि भारती के इस चर्चित उपन्यास पर फिल्म बने और वे उसमें चंदर की भूमिका निभाएं। यह फिल्म बनने की शुरुआत भी हुई। बिग बी को चंदर की और जया भादुड़ी (तब अविवाहित) को सुधा की भूमिका भी मिली। लेकिन कुछ दिन इलाहाबाद में इस फिल्म की शूटिंग होने के बाद फिल्म का काम रुक गया और यह आगे नहीं बढ़ सकी।
बच्चन ने कहा कि वह अपने पिता डॉ.हरिवंशराय बच्चन एवं डॉ.धर्मवीर भारती को परिमल की गोष्ठियों में साथ-साथ काव्यपाठ करते देखते रहे हैं। बाद में उनके घर भी आना-जाना रहता था। आज उनकी पुण्य स्मृति को इस रूप में संरक्षित होते देख अच्छा लग रहा है। डॉ. भारती चर्चित साहित्यिक पत्रिका धर्मयुग के संपादक के विख्यात हुए और उनकी लिखी कई साहित्यिक रचनाएं आज भी साहित्य जगत में मील का पत्थर मानी जाती हैं।अमिताभ ने लोगों का मन मोह लिया।पहले तो समय से पूर्व समारोह में उपस्थित होकर लेट लतीफ नेताओं को बगले झाँकने के लिए मजबूर किया तो दूसरी ओर जब पुष्पा भारती बैठकर भाषण कर रहीं थी तब उनका माईक स्वयं अमिताभ ने पकड़ रखा था और उन्हें मंच तक स्वयं सहारा देकर लाये।
उल्लेखनीय है कि बांद्रा की साहित्य सहवास नामक जिस सोसायटी में भारती रहते थे, उसके निकट स्थित तिराहे को ही डॉ. धर्मवीर भारती चौक नाम दिया गया है। इस चौक के सामने ही स्वर्गीय बालासाहब ठाकरे का निवास मातोश्री भी है। फिलहाल मुंबई भाजपा के महासचिव की जिम्मेदारी निभा रहे अमरजीत मिश्र ने 1998 में डॉ. भारती के निधन के बाद ही इस चौक का नामकरण डॉ.भारती के नाम करने का प्रस्ताव मुंबई महानगरपालिका को दिया था। सन् 2000 में उस समय के उपमहापौर अरुण देव के कारण यह प्रस्ताव पास भी हो गया था। लेकिन खामियों को दूर करने के लिए श्री मिश्र ने नगरसेवक महेश पारकर से अनुरोध किया और फिर इसका औपचारिक उद्घाटन शनिवार को हो सका।
इस अवसर पर स्वर्गीय भारती की पत्नी डॉ.पुष्पा भारती ने कहा कि वह चाहती थीं कि इस चौक का उद्घाटन डॉ.हरिवंशराय बच्चन एवं अमिताभ की मां तेजी बच्चन के हाथों से हो, क्योंकि डॉ. बच्चन भारती जी को छोटे भाई की तरह ही मानते थे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। आज अमिताभ बच्चन के हाथों ऐसा होते देखकर संतोष हो रहा है। क्योंकि मुझे चिरंजीव अमिताभ में भी डॉ. हरिवंशराय बच्चन का ही अंश दिखाई देता है।दैनिक सामना के कार्यकारी संपादक, शिवसेना नेता और सांसद संजय राऊत ने डॉ भारती को उम्दा साहित्यकार और श्रेष्ठ संपादक बताया।उन्होंने बाल ठाकरे और भारती के प्रेम पूर्ण रिश्ते की भी बात की।मुम्बई बीजेपी के अध्यक्ष व विधायक आशीष शेलार ने ख़ुशी जताई कि आनेवाली पीढ़ी इलाहाबाद से मुंबई तक के भारती जी के साहित्यिक सफर को इस चौक के माध्यम से याद रखेगी।अतिथियों का स्वागत नगरसेवक महेश (कृष्णा) पारकर ने किया।कार्यक्रम की संचालन अभियान संस्था के संस्थापक अमरजीत मिश्र ने किया।श्री मिश्र ने 1982 में बीमारी के दौरान अमिताभ द्वारा लिखी गयी कविता भी सुनाई।
समारोह में नवनीत के संपादक विश्वनाथ सचदेव, विधायक अनिल परब, विधायक तृप्ति सावंत,भाजपा के जिलाध्यक्ष सुहास अडिवरेकर, नगरसेवक अनिल त्रियम्बककर और भारतीजी के परिवार के सदस्य आदि लोग उपस्थित थे