राजनांदगांव। उच्च शिक्षा के स्वप्नदृष्टा, दानवीर महंत राज दिग्विजयदास जी की पुण्य तिथि ( 22 जनवरी ) पर, शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में महाविद्यालय परिवार द्वारा उनका भावपूर्ण स्मरण किया गया और पुष्पांजलि अर्पित की गई।
राजा की प्रतिमा के समक्ष हुए कार्यक्रम में, प्रभारी प्राचार्य प्रोफ़ेसर डॉ.चन्द्रिका नाथवानी ने विनम्र श्रंद्धांजलि देते हुए कहा कि दिग्विजय महाविद्यालय की विकास यात्रा का हर पड़ाव राजा दिग्विजय दास जी के योगदान का ऋणी रहेगा। उनकी कर्मठता और शिक्षा के प्रति समर्पणशीलता से हमेशा प्रेरणा मिलती रहेगी। उनके योगदान को संस्था सदैव याद रखेगी।
महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ.चन्द्रकुमार जैन ने राजा साहब के प्रति अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति में कहा कि महंत राजा दिग्विजयदास जी ज्ञान के लिए सजग तो थे ही, साथ ही शिकार, क्रीड़ा और अध्ययन में भी उनकी गहरी अभिरुचि थी। उन्होंने राजकुमार कालेज के अलावा दार्जिलिंग और इंग्लैण्ड में खुद शिक्षा प्राप्त की और संस्कारधानी राजनांदगांव के अपने किले को कालेज की स्थापना के लिए दान कर दिया। साथ ही नगद राशि के अलावा अपने निजी पुस्तकालय और किताबों की सुरक्षा के लिए आलमारियों की सौगात भी दी। धरती पर लगभग 25 साल मात्र जी कर उन्होंने सदियों की कहानी लिख दी। उनकी जागरूकता और उदारता की आधारशिला पर निर्मित दिग्विजय कालेज पीढ़ियों के नव निर्माण की नई-नई इबारतें लिख रहा है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ.शंकरमुनि राय ने कहा कि राजा दिग्विजयदास जी के सपनों की सार्थकता निरंतर कुछ नया और बेहतर कर दिखाने में है। इस दिशा में सभी मिलकर प्रयास करते रहेंगे। प्रारम्भ में सभी विभागाध्यक्षों, प्राध्यापकों, स्टाफ सहयोगियों, विद्यार्थियों और अभ्यागत जन द्वारा महंत राज दिग्विजयदास जी की मूर्ति पर माल्यार्पण कर अंत में दो मिनट मौन रहकर श्रद्धांजलि दी गई।