रेडियो पर अपने मन की बात के जरिये प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने पूरे देश को एकसूत्र में बांध दिया है। दिल्ली के इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र- में ‘मन की बात- रेडियो पर सामाजिक क्रांति पुस्तक’ पर परिचर्चा में सभी वक्ता इस बात पर सहमत दिखे। वरिष्ठ पत्रकार और इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने कहा कि देश में स्वामी विवेकानंद की धारा से पुनर्जागरण का एक दौर शुरू हुआ था जिससे हमें आजादी मिली थी और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पुनर्जागरण का एक नया दौर है जो देश को एक नये सांचे में गढ़ने वाला साबित होगा। राम बहादुर राय ने कहा कि पीएम मोदी के मन की बात पर लिखी गई पुस्तक को पढ़ने के बाद उन्हें इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्रमें इस पर परिचर्चा की आवश्यकता महसूस हुई।
इस परिचर्चा को तीन हिस्सों में रखा गया था जिनमें तीन विषय संस्कार और जागरूकता, देश और दिशा और समाज और संदेश पर साहित्य, कला, शिक्षा, चिकित्सा और पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ीं कई जानी-मानी हस्तियों ने अपनी-अपनी बातें रखीं। मशहूर लोकगायिका और पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात का असर कुछ ऐसा है जिसे घटते हुए नहीं देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मन की बात पारिवारिक और सामाजिक संस्कार को नये सिरे से स्थापित कर रही है जो देश की भावी पीढ़ियों को भी संजोने का काम करेगी।
आज तक के एडिटर (स्पेशल प्रोजेक्ट्स) और सीनियर न्यूज एंकर सईद अंसारी ने कहा कि पीएम मोदी ने देश में संवादहीनता की खाई को भरा है। सईद ने कहा कि सबसे बड़ी बात ये है कि समाज के आखिरी छोर पर बैठे व्यक्ति के जीवन में भी मन की बात से सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है। पहले सत्र में एम्स के पूर्व निदेशक तीरथ दास डोगरा ने मन की बात से जुड़ी पीएम की उस सलाह का जिक्र किया जो उन्होंने नशे की बुरी लत को लेकर दी थी। डोगरा ने कहा कि पीएम सामाजिक बुराई से जुड़े इस मुद्दे पर इस तरह से बात रखते हैं जिस तरह से एक मनोवैज्ञानिक भी नहीं रख सकता। वहीं न्यूज 18 चैनल के डिप्टी मैनेजिंग एडिटर सुमित अवस्थी ने कहा कि पीएम के मन की बात की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि इसने हमारी सांस्कारिक चेष्टा को जगाने का काम किया है। प्रख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना और पद्मविभूषण सोनल मान सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारवासियों के अंदर स्वाभिमान को भरकर उनकी पीठ को सीधा करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि मन की बात करते हुए पीएम मोदी एक भाई, मित्र, पिता और अभिभावक हर तरह की भूमिका में नजर आते हैं।
परिचर्चा के दूसरे सत्र में एमएफटी के डायरेक्टर संदीप मारवाह मन की बात पर बात करते हुए काफी जोश में नजर आए और कहा कि पीएम मोदी से बिना मिले भी लोग उनसे चिट्ठी-पत्री और मेल के जरिये अपनी बातें शेयर कर सकते हैं और पीएम उस पर जिस तरह से रिस्पॉन्स लेते हैं उसकी दूसरी कोई मिसाल नहीं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से स्वच्छता अभियान को पीएम मोदी ने पहली प्राथमिकता दी वो देश के लिए उनके संपूर्ण समर्पण के भाव को जाहिर करता है। वहीं सहारा आलमी चैनल के हेड लईक रिजवी ने कहा कि मन की बात ने देश की बेहतरी के लिए पीएम मोदी की उत्कट इच्छाशक्ति को जाहिर किया है। एम्स से संबद्ध डॉ. प्रसून चटर्जी ने कहा कि मन की बात में स्वास्थ्य के मुद्दों को लेकर पीएम मोदी की सलाह मेडिकल साइंस के मापदंडों पर भी हर तरह से खरी उतरती है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर और पद्मश्री दिनेश सिंह ने मन की बात में स्टार्टअप को लेकर पीएम मोदी के आह्वान का खास जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब शिक्षण संस्थान औपचारिक डिग्री की पढ़ाई से आगे निकले और उस दिशा में बढ़े जहां सिर्फ नौकरी के लिए नहीं, बल्कि व्यवसाय के लिए भी पढ़ाई पर जोर हो।
परिचर्चा के तीसरे और आखिरी सत्र में इग्नू के उपकुलपति प्रो. रविंद्र कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में भारतीयता की पुनर्प्रतिष्ठा स्थापित होनी शुरू हुई है। परिचर्चा में अपनी बात रखते हुए इडिया न्यूज के मैनेजिंग एडिटर राणा यशवंत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात लीक से हटकर है और इसलिए लोगों का पर उसका गहरा प्रभाव भी देखा जा रहा है। एनबीटी के चेयरमैन बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि भारत के मन को पकड़ने का पहली बार किसी ने प्रयास किया है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने।
परिचर्चा का संचालन वरिष्ठ पत्रकार और कई पुस्तकों के लेखक हरीश चंद्र बर्णवाल ने किया जिन्होंने प्रस्तावना रखते हुए कहा कि मन की बात रेडियो पर प्रसारित होने वाला एक ऐसा कार्यक्रम है जिसके बारे में देश के 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग जानते हैं। उन्होंने पीएम के मन की बात को अपनी किताब मोदी सूत्र की उस लाइन के साथ जोड़ा कि ये अंधेरे में चलते इंसान के लिए एक मशाल है।
इस पुस्तक की प्रस्तावना जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे द्वारा लिखी गई है। लोगों में मन की बात को लेकर कुछ स्वाभाविक जिज्ञासाएं रही हैं…जैसे कैसे प्रधानमंत्री को इसका आइडिया आया,कैसे इसका नाम तय हुआ, यह कैसे तय हुआ कि यह कार्यक्रम कितने अंतराल पर होना चाहिए,इसकी रूपरेखा क्या हो? लोगों की ऐसी ही कई जिज्ञासाओं को ध्यान में रखते हुए ‘मन की बात – रेडियो पर सामाजिक क्रांति’ पुस्तक लिखी गई है। ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन द्वारा लिखी गई इस पुस्तक को LexisNexis ने प्रकाशित किया है।
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