विगत पांच सौ वर्षों से भी अधिक समय से अखिल विश्व का सनातन हिंदू समाज जिस क्षण की प्रतीक्षा कर रहा था अब वह आ चुका है और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के पश्चात भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या एक बार फिर दिव्य और भव्य रूप में बसने जा रही है।
अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण द्रुत गति से हो रहा है उसके उद्घाटन की तिथि भी बस आने ही वाली है, 2024 के जनवरी माह में दिनांक 15 से 24 के मध्य होगी वो आनंदाश्रुओं में भिगोने वाली घड़ी। अयोध्या नगरी में श्री रामजन्मभूमि पर बन रहे भव्य श्रीराम मंदिर का उदघाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न होगा।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद जब से अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण अभियान की गति लगातार तीव्र हुयी है और उसके बाद दीपावली जैसे आयोजन संपन्न हुए हैं उन सभी में एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना दृष्टिगोचर हो रही है। फिर चाहे वह निधि समर्पण अभियान हो या फिर कारसेवकपुरम व अयोध्या के विभिन्न स्थलों में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या की दृष्टि से चल रहा निर्माण कार्य। श्री रामजन्मभूमि पर रामलला के मंदिर निर्माण का कार्य, सभी विरोधी शक्तियों के सतत षड्यंत्रों के बाद भी भक्तिभाव व कर्तव्य की भावना के अनुरूप निरंतर चल रहा है।
श्री राम के प्रति अनन्य भक्ति और संघर्ष की नींव पर आकार ले रहा यह मंदिर शेष विश्व के लिए राम मंदिर ही होगा किन्तु भारतवासियों के लिए यह राष्ट्र मंदिर भी होगा । यह मंदिर आधुनिक काल में वसुधैव कुटुम्बकम का आधार बनेगा।
रामलला के मंदिर को भव्य बनाने में प्रत्येक प्रान्त के भक्त जुटे हैं। अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर में देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों के सर्वश्रेष्ठ अभियंता और वैज्ञानिक अपना योगदान दे रहे हैं जिसमें आइआइटी दिल्ली, गुवाहाटी कानपुर, मुंबई और गुजरात के इंजीनियर सम्मिलित हैं।देश के हर राज्य से कारीगर व श्रमिक अपना योगदान दे रहे हैं।
मंदिर निर्माण में राजस्थान के माउंट आबू के लोग हैं तो ओडिशा राज्य के मूर्तिकार भी अपनी सेवाएं भक्ति भाव के साथ दे रहे हैं।राम मंदिर निर्माण के लिए जिस लकड़ी का उपयोग किया जा रहा है वह महाराष्ट्र से आयी है। राम मंदिर में लगने वाले पत्थर राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के हैं इतना ही नहीं हैदराबाद ओर तेलंगाना के ग्रे ग्रेनाइट के अलावा तेलंगाना के कारीगर भी यहाँ काम कर रहे हैं। भगवान राम की मूर्ति का निर्माण करने वाले कारीगर महाराष्ट्र, कर्नाटक और ओडिशा के हैं। महाराष्ट्र की जिस लकड़ी का उपयोग किया जा रहा है उसमें उत्कीर्णन का कार्य हैदराबाद की एक संस्था को दिया गया है। द्वार का प्रारम्भिक कार्य करने वाले सभी कारीगर तमिलनाडु के कन्याकुमारी से हैं।
राम मंदिर का निर्माण कार्य 60 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है जिसमें भूतल का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है।प्रथम और द्वितीय तल के निर्माण सहित 70 एकड़ के परिसर का काफी कार्य अभी शेष है जो अनवरत चल रहा है।
जब आप मंदिर के समक्ष पहुंचेंगे तब सबसे पहले सिंहद्वार आपका स्वागत करेगा तत्पश्चात मंदिर तक पहुंचने के लिए 33 सीढ़ियां पार करनी होंगी। सिंहद्वार का द्वार भले ही अभी नहीं लगा हो किंतु उसका स्वरूप विशाल स्तंभों और स्थापत्य कला के भव्य पर्याय के रूप में निर्मित मेहराब से बखूबी परिभाषित होता है। कुछ पग आगे बढ़ने पर नृत्य मंडप में प्रवेश होता है।नृत्य मंडप पार कर रंग मंडप दृष्टिगोचर होता है।यह मंदिर की भव्यता और विशालता को पूर्णता प्रदान करता है। इसमें भजन कीर्तन तो रामलला की स्थापना के बाद आरम्भ होगा। यहां वास्तु के साथ श्रद्धालुओं के भाव भाषा की अभिव्यक्ति नृत्य मंडप और रंग मंडप के बाद गुह मंडप में समाहित होगी।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल मिश्र बताते हैं कि भूतल पर पांच मंडप बन रहे हैं जो राम मंदिर के आकर्षण का मुख्य केंद्र होंगे। मुख्य मंडप पर सदा भगवान की पताका फहरायेगी। मंदिर के गर्भगृह की दीवार और छत बन चुकी है। भूमि और बाहर का काम बाकी है। मंदिर के गर्भगृह में लगे छह खंभे सफेद संगमरमर के हैं। बाहरी खंभे गुलाबी सैंडस्टोन से बनाये गये हैं।
मंदिर के बाहर आठ एकड़ में 16 फीट ऊंचा और 800 मीटर लंबा परकोटा बनाया जा रहा है।गर्भगृह के बाहर मंडप की नक्काशी की जा रही है। राम मंदिर में भगवान राम की जिस मूर्ति की स्थापना की जानी है इसका निर्माण रामसेवक पुरम स्थित कार्यालय में हो रहा है। मंदिर सहित एक एक साथ 10 परियोजनाओं पर भी काम जारी है।
भूतल के ठीक ऊपर अष्टकोणीय गर्भगृह में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। राम दरबार जहां स्थापित होना है वहां महापीठ का निर्माण आरम्भ हो चुका है। प्रथम तल पर ही भगवान राम सहित उनके सभी भाईयों, हनुमान जी एवं माता सीता की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है।राम मंदिर के भूतल में करीब 166 स्तंभ लगाये गये हैं और हर स्तंभ में 16 मूर्तियां लगाई जाएंगी। भूतल व प्रथम तल पर 6400 मूर्तियों को आकार दिया जाना है।
इस मंदिर में वाल्मीकि रामायण को भी चित्रों के माध्यम से सहेजा जा रहा है। वाल्मीकि रामायण के छह कांड के 98 प्रमुख श्लोकों को भित्ति चित्रों के माध्यम से निचले राम चबूतरे पर उकेरा जा रहा है। श्री रामजन्मभूमि पर बन रहा ये भव्य मंदिर न केवल सभ्यता वरन तकनीक की दृष्टि से भी बेहतरीन सुविधाओं से युक्त हो रहा है मंदिर के साथ ही अयोध्या में भव्य रेलवे स्टेशन व एयरपोर्ट भी बनकर तैयार हो रहा है जिसका उद्घाटन भी प्रधानमंत्री के द्वारा कराए जाने की तैयारी चल रही है।
रोजगार का बन रहा संवाहक –बीते दिनों राहुल गांधी के राजनीतिक गुरु सैम पित्रोदा ने अमेरिका में बयान दिया था कि मंदिर बन जाने से क्या बेरोजगारी की समस्या हल हो जायेगी? अब सैम के सवाल का उत्तर अयोध्या में बन रहा श्रीराम मंदिर स्वयं दे रहा है। अयोध्या में बन रहा भव्य श्रीराम मंदिर आस्था के साथ रोजगार सृजन का संवाहक भी बन चुका है। मंदिर निर्माण के विभिन्न आयामों में तीन हजार कुशल व अकुशल लोग कार्यरत हैं।
ट्रस्ट की राजस्थान व अयोध्या की कार्यशालाओं में लगभग एक हजार श्रमिक व कारीगर कार्यरत हैं।वे पत्थरों की तराशी व सफाई का कार्य कर रहे हैं। 50 निजी सुरक्षा कर्मचारी विभिन्न भवनों में है।इसके अलावा ट्रस्ट के यात्री सुविधा केंद्र आय व्यय की देखरेख के लिए लेखाकारों की टीम और और ट्रस्ट कार्यालय के संचालन में 100 कर्मचारी तैनात हैं। इसके अलावा 50 अभियंता व इतने ही तकनीकी विशेषज्ञ वहां पर कार्यरत हैं।
डा. अनिल मिश्र कहते हैं कि मंदिर निर्माण पूरा होने पर अयोध्या के आसपास के कई जिलों में रोजगार का विकास तेजी से होगा।अब यहां अधिक संख्या में श्रद्धालु आएंगे तो विभिन्न सेक्टर्स में व्यापक रोजगार सृजित होगा जिससे लोगों की आय में वृद्धि होगी। राम मंदिर निर्माण जैसे – जैसे आगे बढ़ रहा है वैसे -वैसे यहां पर श्रमिकों के आने का क्रम जारी है। यह श्रमिक अयोध्या के विभिन्न स्थलों पर ठहरे हैं।
राम मंदिर निर्माण की गति को देखकर आज राम विरोधी शक्तियां ईर्ष्या से भर उठी हैं तथा साथ ही उन्हें यह चिंता हो रही है कि जब यह भव्य व दिव्य रामंदिर बनकर खड़ा हो जाएगा और सम्पूर्ण विश्व का सनातनी अयोध्या आयेगा तब वह किस आधार पर मुस्लिम तुष्टिकरण कर सकेंगे।
भारत के वातावरण को राममय बनाने की तैयारी दीपावली से ही प्रारम्भ हो जाएगी क्योंकि इस बार अयोध्या में हर वर्ष की तरह 21 लाख दीये जलाये जाने की योजना बनी है। राम मंदिर के उद्घाटन अवसर को भी दिव्य बनाने की योजना पर काम चल रहा है तथा इसका संपूर्ण भारत में प्रसारण करवाने की भी योजना बन रही है।आम जनमानस में भी राम मंदिर के निर्माण के प्रति उत्सुकता लगातार बढ़ रही है जिसे ध्यान में रखते हुए विश्व हिंदू परिषद भारत को राममय बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के आयोजन भी करने जा रहा है जिनकी रूपरेखा तैयार की जा रही है।
प्रेषक – मृत्युंजय दीक्षित
फोन नं. – 9198571540