दीवाली माँ लक्ष्मी की आराधना , धन धान्य, समृद्धि और उत्सव धार्मिकता का त्योहार है . लन्दन में यह भारतीयों के मेल मिलाप, भाईचारे और भारतीय मूल के लोगों की निरंतर बढ़ती आर्थिक हैसियत का प्रतीक बनता जा रहा है. वैसे तो साउथ हाल , वेम्बली जैसेभारतीय मूल बहुल क्षेत्रों में दीवाली से एक माह पहले दिए, खेल , बताशे, भारतीय मिष्ठान और फरसान , यहाँ तक कि आतिशबाजी सेग्रॉसरी स्टोर पट चुके हैं लेकिन दीवाली का सबसे बड़ा कार्यक्रम लन्दन के बीचोंबीच सबसे प्रतिष्ठित ट्रैफ़लगार स्क्वायर में 29 अक्तूबर को आयोजित हुआ . जहां लन्दन में अधिकांश इवेंट और उत्सवों में प्रविष्टि अमूमन पैसा दे कर होती है यह एकमात्र ऐसी बड़ी इवेंट है जो लन्दन वासियों के लिए फ्री होती है.
मुख्य आकर्षण संगीत का रंगारंग कार्यक्रम रहा , जिसके लिये नेशनल गैलरी ऑफ़ आर्ट्स के प्रांगण की सीढ़ियों पर कम कम दसहज़ार दर्शक ठंड और हल्की फुल्की बारिश की फुहार के वावज़ूद लगातार तीन-चार घंटे तक जमे रहे . बॉलीवुड के ताज़ातरीन हिट्स सेलेकर पुराने हिट्स पर आधारित करन बॉलीवुड टीम के नृत्यों पर देसी ही नहीं विदेशी दर्शक झूम उठे . जिस बॉलीवुड को देश में गरियानेवाले हैं वहीं यह गीत संगीत भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिकों को एक सूत्र में बांध कर रखे हुए है. एक मोटे अनुमान के अनुसार पैंतीसहज़ार से भी अधिक लोग इस देखने के लिए आए .
ब्रह्मकुमारी , स्वामीनारायण , इस्कॉन , सहजयोग जैसे स्टाल्स पर तो भीड़ थी ही , भारतीय संस्कृति और शिक्षा के प्रसार में भारतीय विद्या भवन की उपस्थिति आश्वस्त करने वाली थी कि भारत के विभिन्न अंचलों के शास्त्रीय नृत्य और संगीत को भी दीवाली मेलेमें समुचित प्रतिनिधित्व मिला. बीनल डांस एकेडमी ने भी शास्त्रीय प्रस्तुतियों से समाँ बांध दिया.
लन्दन में भारतीय खाने पीने के अपने अलग ब्रांड स्थापित हो चुके हैं, शायोना और बर्फ़ी बाइट्स के स्टाल ने भारतीय मिठाइयों और उनपर ब्रिटिश छाप का अंदाज़ा दिया वहीं हल्दीराम के स्टाल की काजू कतरी और मिल्क केक भी इस बाज़ार में काफ़ी तैयारी से उतर रहे हैं .
नीलिमा पेनमार्थी ने कठपुतलियों के माध्यम से रामायण की कथा को प्रस्तुत किया। सिख वालंटियर संगठनों ने अपने स्टाल पर पगड़ीबांधने और साड़ी पहनने का तरीक़ा सिखाने का रोचक प्रयोग किया , सबसे अधिक भीड़ इस स्टाल पर देखी गई। लन्दन के मेयर सादिक़ख़ान भी इस दीवाली मेले के आयोजन के साथ सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं और उनके अधीन सारे विभाग जिसने ट्रैफिक पुलिस और जलसंवर्धन भी शामिल थे अपने अपने स्टाल लेकर मौजूद थे।
देसी क़िस्म की पेटपूजा का पूरा बंदोबस्त देखने को मिला , बढ़िया दाबेली, पंजाबी समोसा , पोहा , दही भल्ला , चाट , बिरियानी, छोला चावल जैसे आइटम तो थे ही इसके साथ अफ़्रीकी वेज विकल्प भी थे .
स्टेट बैंक की यूके सहायक कंपनी भी काफ़ी सक्रिय दिखाई दी।