अगर आप कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद बेफिक्र घूम रहे हैं, तो सावधान हो जाइए। कोरोना का डेल्टा वैरिएंट टीकाकरण करा चुके लोगों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। हाल ही में एक अध्ययन में इसका खुलासा हुआ।
देश में पिछले डेढ़ साल से कोरोना वायरस का कहर जारी है। यह वायरस अब तक करोड़ों लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है और लाखों की जिंदगियां निगल चुका है। महामारी के दस्तक देने के बाद से आज यानी गुरुवार को देश में पहली बार रिकॉर्ड 6148 मरीजों की मौत हुई है। अगर आप कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद बेफिक्र घूम रहे हैं, तो सावधान हो जाइए। कोरोना का डेल्टा वैरिएंट टीकाकरण करा चुके लोगों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। हाल ही में एक अध्ययन में इसका खुलासा हुआ।
स्वदेशी कोविड वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिलने के बाद से ही सवाल उठ रहे हैं कि क्या कोविड टीका लगवाने के बाद संक्रमण नहीं होगा? वहीं अब नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने हाल ही एक शोध में दावा किया है कि कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद संक्रमित नहीं होंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है। वैक्सीन केवल यह सुनिश्चित करती है कि संक्रमण का असर गंभीर नहीं होगा।
अध्ययन में 63 लोगों को शामिल किया। इनमें से 36 ने वैक्सीन की दोनों डोज और 27 ने एक डोज ली थी। इनमें से 36 लोगों के नमूनों की जांच की गई, जिनमें 19 ने एक डोज ली और 17 ने दोनों टीके लगवा लिए थे। 63 प्रतिभागियों में से 10 लोगों ने कोविशील्ड और 53 ने कोवैक्सीन लगवाई थीष इन मरीजों की औसत आयु 37 (21-92) थी, जिनमें से 41 पुरुष और 22 महिलाएं थीं।
खास बात यह है कि वैक्सीन लेने के बाद संक्रमित होने वाले मरीजों में किसी की भी मौत नहीं हुई। इससे यह स्पष्ट होता है कि टीकाकरण से मृत्यु दर कम हो रही है। हालांकि, अच्छी खबर यह है कि इसकी रोकथाम में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन असरदार बताई जा रही है। हाल ही में हुए शोध में खुलासा हुआ है कि कोवैक्सीन कोविड के खतरनाक वैरिएंट बीटा और डेल्टा वैरिएंट से सुरक्षा प्रदान करती है।
कोवैक्सीन की न्यूट्रलाइजेशन क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए किए गए शोध में शोधकर्ताओं ने पाया कि बीटा और डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ न्यूट्रलाइजेशन टाइटर्स यानी एंटीबॉडी को बेअसर करने की एकाग्रता में तीन गुना कमी पाई गई थी। इससे साफ जाहिर है कि कोवैक्सीन बीटा और डेल्टा वैरिएंटस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाती है। बता दें कि कोविड-19 का खतरनाक डेल्टा वैरिएंट के मामले भारत में आए थे, जबकि जबकि बीटा वैरिएंट (B.1.351) की खोज पहली बार दक्षिण अफ्रीका में हुई थी। शोध में मालूम चला है कि इन दोनों वैरियंट के खिलाफ कोवैक्सीन प्रभावी है।
साभार . https://www.amarujala.com/ से