चन्द्र ग्रहण के समय चन्द्रमा स्वम्ं कि राशि कर्क में 16 अंश 14 कला 17 विकला का भोग कर चुके होंगे तथा ग्रहण के स्पर्श के समय पुष्य नक्षत्र में होकर उत्तर दिशा में विद्यमान होंगे । परन्तु मोक्ष काल तक चंद्रमा पुष्प नक्षत्र का भोग कर अश्लेषा नक्षत्र का भोग कर रहे होंगे ।
ग्रहण का समय :
भारतीय मानक समयानुसार ग्रह सायं 17:18 बजे से ग्रहण स्पर्श प्रारंभ हो जायेगा ।
ग्रहण का प्रारंभ अर्थात सम्मीलन सायं 18: 21 पर होना प्रारंभ हो जायेगा ।
ग्रह का मध्य सायं 19:00 बजे होगा ।
ग्रहण का उन्मीलन अर्थात समाप्ति रात 19:38 पर होगा ।
ग्रहण का मोक्ष रात्रि 20:42 पर होगा ।
दिनांक 31 का चन्द्रोदय का समय सायं 17:53 बजे होगा । अर्थात चन्द्रमा ग्रहण से ग्रसित ही उदित होंगे ।
ग्रहण का सुूतक नौ घंटा पूर्व ही प्रात: 08:18 से ही प्रारंभ हो जायेगा । तथा चन्द्र ग्रहण पूर्वी क्षितिज पर दिखना सुरू हो जायेगा ।
ग्रहण की कुल अवधि – 3 घंटा 7 मिनट होगी ।
यह ग्रहण कहाँ कहाँ दिखेगा
यह खग्रास चन्द्र ग्रहण – भारत के सभी हिस्सों के साथ साथ थाईलैंड, म्यांमार, श्रीलंका, पाकिस्तान, मलेशिया तथा हिन्द महासागर आदि स्थानों से दृश्यमान होगा ।
सावधानी
ग्रहण के सूतक काल में बालक, वृद्ध, रोगी, को छोड़कर किसी को भी भोजन और सोने अर्थात शयन नही करना चाहिए।
जिन महिलाओं के गर्भ में शिशु पल रहे हो उन्हें तीक्ष्ण, धारदार लोहे के चाकू, हसिया आदि से फल, सब्जी आदि कोई चीज नही काटना चाहिए ।
ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं के पेट पर पतला लेप लगा देना चाहिए ।
ग्रहण के समय मंदिर में प्रवेश , देवी देवता के मूर्ति को स्पर्श , यात्रा तथा मैथुन कर्म आदि नही करना चाहिए ।
ग्रहण काल में जैसे दूध, दही, धी, भोजन सामग्री कुश से ढक कर रखना चाहिए ।
यह प्रयास करना चाहिए कि कोई भी पकाया हुआ भोजन ग्रहण काल में घर में ना बचा रहे ,और ग्रहण काल में दूषित हो चुके भोजन को ग्रहण समाप्ति के बाद भी ग्रहण नही करना चाहिए ।
ग्रहण काल के समय को भगवान के भजन, पूजन, मंत्रजाप तथा साधना के लिए प्रयोग करना चाहिए ।
ग्रहण का राशियों पर
यह खग्रास चन्द्र ग्रहण कर्क राशि व पुष्य और आश्लेषा नक्षत्र में होगा । कर्क राशि के जातको और पुष्य तथा अश्लेषा नक्षत्र में उत्पन्न हुए जातकों के लिए विशेष अशुभ फल प्रदान करेगा । परन्तु अन्य राशियाँ भी इसके प्रभाव से अछूती नही रहेंगी । वैसे अन्य राशियों पर प्रभाव पड़ेगा बताता हूँ ।
शास्त्रमतानुसार –
जन्मर्क्षे निधनं ग्रहे जनिभतो घात: क्षति: श्रीर्व्यथा,
चिन्तासौख्यकलत्रदौस्थ्यमृतय: स्युर्माननाश: सुखम् ।
लाभोSपाय इति क्रमात्तदशुभध्वस्त्यै जप: स्वर्ण –
गोदानं, शान्तिरथो ग्रहं त्वशुभदं नो वीक्ष्यमाहु: परे ।।
यस्यैव जन्मनक्षत्रे ग्रस्येते शशिभास्करौ ।
तस्य व्याधिभयं घोरं जन्मराशौ धनक्षय: ।।
जन्मसप्ताष्टरि: फांकदशमस्थेनिशाकरे ।
दृष्टोरिष्टप्रदो राहुर्जन्मर्क्षे निधने तथा ।।
यह ग्रह सभी राशियों पर भिन्न भिन्न प्रभाव डालेगा । जिसका मैं विनय कुमार शर्मा, राशिनुसार वर्णन कर रहा हूँ ।
मेष :- मेष राशि वालों को यह ग्रहण सुख व सफलता प्रदान करायेगा ।
वृषभ :- वृषभ राशि वालों के लिए यह ग्रहण लाभ प्रदान करेगा ।
मिथुन :- मिथुन राशि वालों के लिए यह ग्रहण हानिकारक सिद्ध होगा तथा कई तरह के विघ्नो को उत्तपन्न करेगा।
कर्क :- कर्क राशि वाले जातकों के लिए यह ग्रहण विशेष रूप से पीड़ादायक और घात, दुर्घटना या मानसिक आधात काल दुख देने का हेतु साबित होगा ।
सिंह :- सिंह राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण व्यय तथा हानि का मार्ग प्रशस्त करेगा ।
कन्या :- कन्या राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण शोभावृद्धि करने वाला व लाभप्रद रहेगा ।
तुला :- तुला राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण कुछ ना कुछ क्षति व मानसिक व्यथा करायेगा ।
वृश्चिक :- वृश्चिक राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण चिन्ता में वृद्धि करायेगा कुछ नई उलझन और परेशानियों को प्रदान करेगा ।
धनु :- धनु राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण सुखों , सुविधाओं में वृद्धि प्रदान करेगा ।
मकर :- मकर राशि के जातकों के लिए स्त्री को उसके पति के लिए और पति हो तो उसके पत्नि के लिए कष्टकारी रहेगा, दम्पति के शारीरिक व्याधि व बीमार करेगा ।
कुम्भ :- कुम्भ राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण रोग तथा शारीरिक व्याधि का करण पैदा करेगा, जो मृत्यु का कारण भी बन सकता है ।
मीन :- मीन राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण अपमान , बदनामी तथा कलंक का फल प्रदान करेगा ।