देश में कर्ज लेकर अपनी जरूरतें और शौक पूरा करने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। क्रेडिट कार्ड इसका सबसे आसान तरीका है। हाल ही में जारी रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर, 2017 के अंत में क्रेडिट कार्ड पर कुल बकाया रकम बढ़कर 59,900 करोड़ रुपए हो गई। गौर करने वाली बात है कि महज साल भर पहले यही आंकड़ा 43,200 करोड़ रुपए था।
जाहिर है, इसमें 38.7 फीसदी इजाफा हुआ। यह चलन किस तेजी से जोर पकड़ रहा है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले दो साल में क्रेडिट कार्ड का बकाया करीब 78 फीसदी बढ़ा है।
क्या है क्रेडिट कार्ड
क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड की तरह ही होता है। मगर, ये विशिष्ठ भुगतान प्रणाली के यूजर को जारी किए जाते हैं। इस कार्ड का इस्तेमाल करने वाले लोग इस वादे के साथ खरीदारी कर सकते हैं कि वे एक निर्धारित अवधि के बाद पूरी रकम चुका देंगे। क्रेडिट कार्ड जारी करने वाला बैंक या कंपनी उपभोक्ता के लिए क्रेडिट लिमिट (उधार की सीमा) तय करती है। वैसे कार्डधारक यह सीमा लांघ सकता है, लेकिन उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ती है।
शुरुआती और सालाना शुल्क
कुछ ऊंची रकम वाले क्रेडिट कार्ड को छोड़कर कई आजीवन क्रेडिट कार्ड नि:शुल्क दिए जाते हैं। ऐसे क्रेडिट कार्ड ही लेना चाहिए, जिसमें कोई भी शुरुआती शुल्क न हो। यह भी पक्का करना जरूरी है ये आजीवन हो न कि एक साल या सीमित अवधि के लिए।
बकाया राशि हस्तांतरण सुविधा
कुछ ग्राहक क्रेडिट कार्ड छोटी अवधि के लिए कर्ज की सुविधा के तौर पर लेते हैं। जब ग्राहक एक क्रेडिट कार्ड से कर्ज का बोझ नहीं संभाल पाता तो वह अपना कर्ज अन्य कार्ड में हस्तांतरित कर सकता है। इसलिए बकाया राशि के हस्तांतरण की सुविधा बहुत जरूरी है।
ब्याज दर
यदि क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान समय पर नहीं किया जाता, तो बैंक बकाया राशि पर ब्याज वसूलता है। इसलिए यदि छोटी अवधि के कर्ज के तौर पर क्रेडिट कार्ड ले रहे हैं तो ब्याज दर का ध्यान जरूर रखना चाहिए। क्रेडिट कार्ड के बकाए पर हर माह 1-3 फीसद तक ब्याज चुकाना पड़ता है। यह विभिन्न क्रेडिट कार्ड पर निर्भर करता है।
लोन की अवधि
आम तौर पर बैंक क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाने के लिए 21-52 दिन तक का समय देते हैं। यह क्रेडिट कार्ड के प्रकार और लेन-देने की तारीख पर निर्भर करता है। इस समयसीमा के बाद कार्डधारक को ब्याज चुकाना पड़ता है। इस लिहाज से ज्यादा से ज्यादा लोन अवधि वाला क्रेडिट कार्ड ही लेना चाहिए।
ग्राहक सेवा
कुछ साल पहले बैंक और क्रेडिट कार्ड के लिए ग्राहक सेवा उतनी विकसित नहीं थी। लेकिन, आजकल ग्राहक सेवा सबसे महत्वपूर्ण है। इसलिए बेहतर रिश्ते वाले बैंक से ही क्रेडिट कार्ड लेना चाहिए।
इनामी अंक/कैशबैक
सभी बैंक ग्राहकों को इनामी अंक (क्रेडिट पाइंट) या कैशबैक देकर आकर्षित करने का प्रयास करते हैं। इसलिए जो ग्राहक नियमित तौर पर क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें इस योजना में शामिल होना चाहिए।
कैसे करता है काम
जब ग्राहक किसी उत्पाद या सुविधा के लिए क्रेडिट कार्ड से भुगतान करता है, तो कार्ड की जानकारी मैनुअल प्रविष्टि, कार्ड प्रिंटर, प्वांइट ऑफ सेल (पीओएस) टर्मिनल या वर्चुअल टर्मिनल में रिकॉर्ड हो जाती है। उसके बाद भुगतान का सत्यापन किया जाता है। फिर विक्रेता या दुकानदार के खाते में रकम चली जाती है। कार्डधारक खरीदारी के लिए भुगतान करता है, फिर व्यापारी अधिग्राहक को ट्रांजैक्शन सबमिट करता है।
इसके बाद ग्राहक की तरफ से सत्यापित किए जाने के बाद लेन-देन पूरा हो जाता है। ट्रांजैक्शन अधिकृत होने के बाद यह बैच के रूप में स्टोर हो जाता है। अधिग्राहक कार्ड एसोसिएशन के द्वारा जत्थे (बैच) के रूप में ट्रांजैक्शन भेजता है। अधिग्राहक को जब यह पैसा मिल जाता है, तब दुकानदार को भी रकम प्राप्त हो जाती है। आजकल कई क्रेडिट कार्ड कंपनियों ने मोबाइल फोन के जरिए भी क्रेडिट कार्ड का काम चलाने का प्रावधान किया है। उनके अनुसार ये लेन-देन पूरी तरह सुरक्षित हैं और इसके लिए एक पिन संख्या की जरूरत होती है।
क्या है क्रेडिट शील्ड
बैंक ही कार्ड के बीमे की सुविधाएं प्रदान करते हैं। इस वैकल्पिक सुरक्षा को क्रेडिट शील्ड का नाम दिया गया है। क्रेडिट शील्ड के तहत बकाया भुगतान सुरक्षा की सीमा सभी बैंकों में अलग-अलग होती है। यह सुविधा हर क्रेडिट कार्डधारक को दी जाए, यह जरूरी नहीं है। कुछ बैंक केवल बड़े या दीर्घकालीन कार्डधारकों को ही यह सुविधा देते हैं। क्रेडिट कार्ड बीमे की सुविधा लेने वाले धारकों को एक निश्चित प्रीमियम हर माह देना होता है, जो क्रेडिट कार्ड से ही कट जाता है। इसके अलावा कुछ बैंकों की स्कीम में बकाया बिल का एक निश्चित अंश प्रीमियम के रूप में चुकाना पड़ता है।
कार्ड का बीमा
कई बैंकों ने क्रेडिट कार्डधारकों के लिए कार्ड बीमा योजनाएं शुरू की हैं। टाटा एआईजी ने स्टैंडर्ड चार्टर्ड और कोटक महिंद्रा बैंक के कार्डधारकों के लिए यह सुविधा शुरू की है। हर बार कार्ड खोने या कार्ड का गलत इस्तेमाल होने पर 50 हजार रुपए तक का बीमा मिल सकेगा। मगर, इस मामले में ध्यान रखना होगा कि सालभर में कुल 1 लाख रुपए तक की रकम की ही भरपाई होगी। इस योजना के मुताबिक जब आप बैंक को कार्ड खोने की जानकारी देते हैं, तो उसके 12 घंटे पहले और बाद के कार्ड से किए गए सारे गलत लेन-देन का भुगतान कंपनी करती है।
बिल भरने के लिए बैंक या एनबीएफसी से कर्ज लेना बेहतर
यदि किसी कारणवश क्रेडिट कार्ड का बिल ज्यादा हो गया हो तो आप इसे चुकाने के लिए बैंक या किसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) से भी पर्सनल लोन ले सकते हैं। इनमें ग्राहक के रिकॉर्ड और प्रोफाइल के हिसाब से 11-32 फीसद तक की दर से ब्याज वसूला जाता है। बैंकों की ब्याज दर वास्तव में 14 फीसद या उससे अधिक ही होती है।
जिन्होंने पहले ही होम लोन ले रखा है, उनके लिए टॉप-अप होम लोन और कुछ गिरवी रखकर उसके बदले कर्ज लेना (11 फीसदी या उससे अधिक ब्याज दर पर) दूसरे विकल्प भी हैं। आम तौर पर ऐसे लोन की ब्याज दर क्रेडिट कार्ड के बकाया बिल पर लगने वाले ब्याज दर से कम होती है। इस लिहाज से बिल चुकाने का यह तरीका अपनाना बेहतर साबित हो सकता है।
ईएमआई का विकल्प चुनें
क्रेडिट कार्ड से कोई बड़ी खरीदारी करते ही अक्सर बैंक की तरफ से फोन आता है और गुजारिश की जाती है कि खरीदारी के कारण आपका जो बिल बन रहा है, उसे ईएमआई में बदलवा लें। यह अच्छा विकल्प है, बशर्ते इसके लिए कोई मोटी फीस न ली जा रही हो। ऐसा करके आप भारी-भरकम बिल से बच सकते हैं और डेट ट्रैप यानी कर्ज की जाल में नहीं फसेंगे।
कभी-कभार बैंक भी मोटी खरीद पर आसान तरीकों से रकम चुकाने का मौका देते हैं। इसमें अक्सर ब्याज नहीं लगाया जाता। मगर, यह मौका चुनिंदा ग्राहकों को ही दिया जाता है। ध्यान रहे, आमतौर पर ऐसी ईएमआई योजनाओं में 14 से 24 फीसद ब्याज वसूला जाता है और 1.5 फीसदी प्रोसेसिंग फीस भी ली जाती है। ऐसे में देखना होगा कि यह विकल्प महंगा है या सस्ता।
बीमा क्यों जरूरी
स्वास्थ्य बीमा, जीवन बीमा, घर और दूसरी महत्वपूर्ण संपत्तियों के बीमा की तरह क्रेडिट कार्ड का बीमा कराना भी जरूरी है। क्रेडिट कार्ड के बढ़ते इस्तेमाल और उससे जुड़े तमाम धोखाधड़ी के मामलों के कारण किसी अनहोनी से बचने के लिए क्रेडिट कार्ड का बीमा कराना फायदेमंद साबित हो सकता है। क्रेडिट कार्ड का बीमा कराने पर यदि धारक के साथ कोई दुर्घटना हो जाती है, तो बीमा कंपनी क्रेडिट कार्ड के बकाए का भुगतान क्रेडिट शील्ड सुविधाओं के जरिए करती है।
इस सुविधा के तहत ग्राहकों को बैंकों की तरफ से कई सुविधाएं दी जाती हैं। यह उपभोक्ता पर निर्भर करता है कि वह सब सुविधाएं लेना चाहता है या फिर उनमें से कुछ चुनी हुई सुविधाओं का लाभ उठाना चाहता है। इसी के आधार पर उसकी प्रीमियम राशि निर्भर करती है। उदाहरण के लिए कुछ सुविधाओं के तहत केवल क्रेडिट कार्ड पर बकाया बिल का भुगतान किया जाता है, कुछ योजनाओं के तहत अधिकतम राशि में से बकाया घटाकर शेष रकम नामित व्यक्ति को दे दी जाती है।
साभार- दैनिक ऩईदुनिया से