‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ तथा ‘जनता की आवाज फाउंडेशन’ द्वारा अपने देश का ‘भारत’ नाम अपनाने और भारत के संविधान से इंडिया नाम हटाने के संबंध में चलाए जा रहे राष्ट्रीय अभियान के अंतर्गत भारत विषय पर एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया । इस कवि सम्मेलन में शीतला प्रसाद दुबे, विनोद दुबे, अरविंद शर्मा राही, आलोक अविरल, श्रीमती शैलेश श्रीवास्तव, विनोद भल्ला तथा डॉ. एम एल गुप्ता ‘आदित्य’ तथा शैलेश श्रीवास्तव ने अपनी कविताएं व गीत प्रस्तुत किए। सभी कवियों ने भारत नाम के महत्व और परिणाम पर अपनी रचना से दर्शकों को झकझोरा। लोगों की इस बात पर कि नाम से क्या फर्क पड़ता है कवि आलोक अविरल ने पुरजोर ढंग से कहा कि हाँ, मुझे फर्क पड़ता है…। डॉ. एम एल गुप्ता ‘आदित्य’ ने भारत की ओर से देशवासियों को अपने इतिहास व गौरव के बारे में बताते हुए कहा – मुझको इंडिया मत कहना मैं भारत हूँ……!, मिट्टी लोकगीत के जनक एवं गुलाबो-सिताबो से ख्याति प्राप्त बॉलीवुड के गीतकार व गायक विनोद दुबे ने ढपली पर भारत के गौरव-गान से समां बांध दिया। कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए आनंद सिंह ने कविता पाठ भी किया।
इसके पूर्व जनता की आवाज़ फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सुंदरलाल बोथरा ने भारत नाम के इतिहास और महत्व पर प्रकाश डालते हुए भारत नाम को स्थापित करने व इंडिया शब्द को हटाने के लिए चलाए जा रहे अभियान की जानकारी दी। संस्था के उपाध्यक्ष श्री कानबिहारी अग्रवाल ने अतिथियों का परिचय देते हुए भारत – अभियान पर भी प्रकाश डाला।
मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री राजन कोचर ने अध्यक्ष पद से बोलते हुए रखे। ‘भारत’ नाम अपनाने और ‘इंडिया’ नाम हटाने के संबंध में कहा कि सरकार के पास संसद में पर्याप्त बहुमत है वह चाहें तो ऐसा कर सकती है। अंत में श्री रितेश पोरवाल ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
(लेखक वैश्विक हिंदी सम्मेलन के अध्यक्ष हैं)
साभार – वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई