देश के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकारों में कोटा के डॉ.अतुल चतुर्वेदी साहित्य के ऐसे सशक्त हस्ताक्षर हैं जो काव्य और व्यंग्य विधा में साहित्य के फलक को अपनी चंद्र किरणों से आलोकित कर रहे हैं। इन विधाओं में अपनी अलग पहचान बना कर अब ग़ज़ल विधा में कदम बढ़ाए हैं और जल्द अपना निजी ब्रॉडकास्ट चैनल आरंभ करने की प्रक्रिया में जुटे हैं। इन्होंने साहित्य जगत को तो अनंत ऊंचाइयां प्रदान की ही, साथ ही काव्य मधुबन संस्था की वार्षिक साहित्यिक पत्रिका ” व्यंग्योदय” के माध्यम से देश के साहित्यकारों को लेखन का एक साहित्यिक मंच उपलब्ध करा कर एक जाजम पर लाने का भी उल्लेखनीय कार्य किया है। साहित्यिक संस्था के माध्यम से कबीर संध्या, निराला समारोह और देश के कई बड़े लेखकों के महत्वपूर्ण साहित्यिक कार्यक्रम भी आयोजित किए।
शिक्षा के क्षेत्र में प्रशासकीय, प्रबंधकीय गुणों, साहित्यिक कार्यक्रम आयोजन के आजोजक और साहित्य सृजन की दक्षता से मालामाल चतुर्वेदी आज हिंदी साहित्य के जगमग करते सितारे हैं जो किसी परिचय के मौहताज नहीं हैं। देश भर के पत्र – पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होने वाली कविताएं और व्यंग्य रचनाएं आए दिन पाठकों के सामने होती हैं।
कहते हैं सृजन में परिवेश की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यूं तो विद्यालय समय से ही आपने तुकबंदियां करना और कविताएं लिखना शुरू कर दिया था। इसी के साथ – साथ नाटकों में अभिनय कला, क्रिकेट और हाकी के अच्छे खिलाड़ी तथा विभिन्न वाद विवाद प्रतियोगिताओं में आपकी गहरी रुचि रही है। विद्यालय और कॉलेज की वार्षिक पत्रिका का संपादकीय दायित्व भी बखूबी निभाते थे। इस परिवेश के साथ आपने विज्ञान विषय से बीएस.सी. की डिग्री प्राप्त की। कोविड़ के दौरान दिवंगतों को श्रद्धांजलि स्वरूप ” उजाले उनकी यादों के ” पुस्तक का प्रकाशन करवाया।
साहित्य का बीजारोपण तो बाल्यकाल से ही चुका था, अब हिंदी में शिक्षा से जुड़ने का वाकिया भी कम रोचक नहीं है। बताते हैं बात 1984 – 85 की है जब प्रथम बार कोटा के दशहरे मेले के राजस्थानी कवि सम्मेलन में काव्यपाठ किया और ” मच्छर ” नामक कविता लोक प्रिय हो गई। इसे पूर्व काव्य गोष्ठियों में कविता करते थे। उन्हीं दिनों ” आदमी क्यों डरता है” नामक कविता प्रसिद्ध साप्ताहिक हिंदुस्तान में प्रकाशित हुई । इन कविताओं को देख कर साहित्यकार पुरुषोत्तम पंचोली जी मेरे पास आए और रचनाओं को सराहा और कहा इतना अच्छा लिखते हो तो विज्ञान को छोड़ो और हिंदी साहित्य को पकड़ो। कई और मित्रों ने भी कविता की सराहना कर मनोबल बढ़ाया। विचार बना और पंचोली जी के कहने पर 1987 में हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। बस हिंदी साहित्य दिशा में जीवन का यह मोड़ मील का पत्थर बन गया, और ये आगे बढ़ते गए।
मानवीय शोषण, समाज में स्त्रियों की दशा और स्थिति, प्रेम की धारा और ज्वलंत सामाजिक और समसामयिक समस्याएं जैसे प्रभुख मुद्दे आपके साहित्य सृजन के आधार हैं। इन्हीं विषयों के इर्द गिर्द सृजित हैं आपकी कविताएं और व्यंग्य रचनाएं। “एक टुकड़ा धूप” नामक प्रथम काव्य संग्रह 1988 में राजस्थान साहित्य अकादमी के आर्थिक सहयोग से प्रकाशित होने पर इनकी खुशी का पारावर नहीं रहा। उस समय के नामी साहित्यकार रामनाथ कमलाकर, ऋतुराज और राजेंद्र बोहरा ने प्रथम कृति का विमोचन किया। सृजन यात्रा आगे बढ़ती रही और 1990 के आसपास व्यंग्य लेखन की और कदम बढ़ाए। समझ बढ़ाने के लिए विख्यात व्यंग्यकार परसाई जी के व्यंग्य संग्रह के साथ – साथ अन्य व्यंग्य रचनाओं का गंभीरता के साथ अध्ययन किया।
प्रथम व्यंग्य रचना उस समय के साप्ताहिक धर्मयुग में भेजी। रचना किसी वजह से नहीं छप सकी पर संपादक धर्मवीर भारती जी का हस्तलिखित पत्र जो आज भी सुरक्षित है ने मनोबल बढ़ाया। ” आओ जुगाड करें” प्रथम व्यंग्य राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित हुआ। यात्रा चलती रही और आज तक एक हजार से अधिक व्यंग्य रचनाएं इनकी साहित्यिक पूंजी बन गई हैं। साहित्य सृजन यात्रा का अगला पड़ाव पर तीन वर्ष पूर्व ग़ज़ल लेखन की दिशा में शुरू हुआ। इसके लिए भी आपने छंद शास्त्र का गूढ़ अध्ययन किया। अब तक करीब 80 गज़लें लिख चुके हैं और अब ये शीघ्र संग्रह कृति का रूप लेने की तैयारी में हैं।
सृजन
एक टुकड़ा धूप – कविता संग्रह के पश्चात, गणतंत्र बनाम चेंपा – व्यंग्य संग्रह,घोषणाओं का वसंत – व्यंग्य संग्रह, कितने खुशबू भरे दिन थे वे – कविता संग्रह, सपनों के सहारे देश – व्यंग्य संग्रह, लोकतंत्र के हैकर – व्यंग्य संग्रह, बेशर्म समय में – व्यंग्य संग्रह, स्मृतियों में पिता – कविता संग्रह और चयनित व्यंग्य संग्रह कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। आपका एक और व्यंग्य संग्रह प्रकाशनाधीन है।
अनेक साझा संकलनों भी आपकी रचनाओं का प्रकाशन हुआ है। जनसत्ता , नई दुनिया, आजकल, वागर्थ , साप्ताहिक हिन्दुस्तान , सरिता , राजस्थान पत्रिका , शुक्रवार , दैनिक भास्कर , नवभारत टाइम्स , अमर उजाला, जनसंदेश टाइम्स , डेली न्यूज , न्यूज टुडे , अलाव , समयान्तर , मधुमती , संबोधन , काव्या ,दैनिक नवज्योति , बिणजारो , व्यंग्य यात्रा , वर्तमान साहित्य , पाखी , कादम्बिनी आदि देश की सभी पत्र-पत्रिकाओं में गत ढाई दशकों से इनकी रचनाएं प्रकाशित हो रही हैं। विगत आठ वर्षों से आप कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के सतंभ लेखक हैं। जयपुर दूरदर्शन ,जयपुर एवं कोटा आकाशवाणी से भी अनेक बार आपकी रचनाओं का प्रसारण किया गया है।
साहित्य सृजन और शिक्षा के क्षेत्र में आपको राज्य सरकार और विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा समय – समय पर पुरस्कृत और सम्मानित किया गया। महत्वपूर्ण पुरस्कार 2016 में उत्तर प्रदेश हिन्दी भवन का परसाई पुरस्कार व्यंग्य विधा के लिए प्रदान कर सम्मानित किया गया। आपको राजस्थान साहित्य अकादमी का व्यंग्य लेखन के लिए वर्ष 2012 का कन्हैयालाल सहल पुरस्कार ,जिला प्रशासन कोटा द्वारा साहित्य लेखन के लिए सन् 2013 में सम्मान, मदर इंडिया अकादमी,कोटा के युवा रचनाकार सम्मान , डॉ. रतनलाल शर्मा सम्मान सृजन रत्न सम्मान, भारतेन्दु समिति का साहित्य रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया। राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान 2014 में राज्यपाल द्वारा प्रदान किया गया। वर्ष 2014 में कोटा की संस्थाओं द्वारा सृजन सम्मान एवं अक्षर सम्मान, 1920 में भोपाल व्यंगकरार लेखक संघ द्वारा व्यंग्य लेखन के लिए ज्ञान चतुर्वेदी पुरस्कार और राजस्थान साहित्य अकादमी का विशिष्ट साहित्यकार सम्मान मई 2023 में प्रदान किया गया।
साहित्य जगत में कवि और व्यंग्यकार के रूप में पहचान बनाने वाले डॉ. अतुल चतुर्वेदी का जन्म 30जुलाई 1965 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में पिता स्व.वीरेंद्र नाथ चतुर्वेदी एवं माता स्व माधुरी चतुर्वेदी के परिवार में हुआ। आपके पिता कोटा में सर्विस में आ गए थे। आपकी 12 वीं कक्षा तक की शिक्षा ननिहाल कानपुर में हुई। इसके बाद आप ने कोटा महाविद्यालय से विज्ञान विषय में बीएस.सी, उत्तीर्ण की। भौतिक शास्त्र में एम.एससी. करना चाहते थे। पर कुदरत को कुछ और मंजूर था और आपने हिंदी में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त कर हिमाचल प्रदेश से एम.एड.किया और कोटा विश्वविद्यालय से 2011 में ” राजस्थान में समकालीन हिंदी व्यंग्य” विषय पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। खास बात रही की आपने कभी भी शॉर्ट कट नहीं अपना पासबुक नहीं पढ़ी वरन अधिक से अधिक संदर्भ पुस्तकें ही पढ़ी। कॉलेज के समय हिंदी साहित्य परिषद के सचिव रह कर अनेक कार्यक्रम आयोजित करवाए और संचालन किया।
आपने लोक सेवा आयोग से राजस्थान शिक्षा सेवा में चयनित हो कर स्कूल शिक्षा में 1994 में राजकीय सीनियर सेकेंडरी विद्यालय सुल्तानपुर में हिंदी व्याख्याता पद से सरकारी सेवा प्रारंभ की। इसके उपरांत जवाहर लाल नेहरू सीनियर सेकेंडरी विद्यालय में सेवाएं प्रदान का वर्ष 2014 में प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति के साथ जिले की पीपल्दा तहसील में कारवाड़ सीनियर सेकेंड्री विद्यालय में नियुक्त हुए। हरिपुरा माझी में कार्य करते हुए 2021 को अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी के रूप में पदोन्नत हुए और वर्तमान में सहायक निदेशक के रूप में संभागीय संयुक्त निदेशक शिक्षा कार्यालय, कोटा में सेवारत हैं। बताते हैं आपको आगे बढ़ाने में अरबी फारसी भाषाओं के ज्ञाता पिता और पत्नी सपना चतुर्वेदी का महत्वपूर्ण सहयोग रहा, जिनकी वजह से साहित्य सृजन सतत् जारी रहा।
संपर्क – 380 , शास्त्री नगर , दादाबाड़ी, कोटा -324009 (राज.)
मोबाइल – 094141-78745
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डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवम् पत्रकार, कोटा