राजनांदगांव। संस्कारधानी के ख्याति प्राप्त प्रखर वक्ता, साहित्यकार, मूकमाटी के यशस्वी शोध शिल्पी और शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के हिंदी विभाग के राष्ट्रपति सम्मानित प्राध्यापक डॉ. चन्द्रकुमार जैन, महात्मा गांधी के जीवन और दर्शन पर एकाग्र उच्च स्तरीय कोर्स में प्रथम श्रेणी के उच्चतर अंकों के साथ शानदार सफलता अर्जित कर अपनी अकादमिक उपाधियों में एक और चमकते सितारे के अधिकारी बन गए हैं।
डॉ. जैन ने शासकीय सेवा और बहुआयामी सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक तथा बौद्धिक गतिविधियों में सतत सक्रिय रहते हुए डॉक्टरेट सहित अब तक कुल नौ उपाधियाँ प्राप्त कर ली हैं जिनमें ताज़ा घोषित एमएजीपीएस ( गांधी और शांति अध्ययन) उच्च स्तरीय स्तरीय डिग्री का एक नया आयाम जुड़ गया है। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय ( मुक्त ) विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के इस विशिष्ट कोर्स में प्रथम श्रेणी के उच्चतर अंकों के साथ सभी सोलह परचों में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। एक नई मिसाल पेश करने वाले डॉ.जैन की ज्ञान और स्वाध्याय के प्रति इस लगनशीलता ने शिक्षा जगत के साथ-साथ दिग्विजय कालेज और शहर को भी गौरवान्वित किया है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार पूरे देश में चुनिंदा प्रशासनिक अधिकारी और सामाजिक शोध और स्वदेशी चिंतन से जुड़े अग्रणी व्यक्तित्वों ने ही यह कोर्स अब तक ऑफर किया है।
गौरतलब है कि डॉ. चन्द्रकुमार जैन, गणित (विज्ञान) में स्नातक कोर्स पूरा करने के बाद अब तक छह विषय हिंदी, अंग्रेजी, समाजशास्त्र, दर्शन शास्त्र, लोक प्रशासन और गांधी तथा शांति अध्ययन में एम.ए.के अलावा एलएल.बी.और पीएच.डी. की डिग्रियों के हकदार बन गए हैं। इसके अलावा उन्होंने सूचना के अधिकार में सफलता पूर्वक ओसीसी भी किया है। तीन विषयों में स्टेट रिसोर्स पर्सन भी हैं। कई सामाजिक संस्थाओं और राष्ट्रीय आयोजनों से जुड़े रहकर यादगार सेवाएँ दे रहे हैं।
डॉ. जैन को राष्ट्रपति पदक, राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण, प्राणि मित्र कुमारपाल वि.शाह की लाखों युवाओं की समर्पित सेवाभावी संस्था अलर्ट ग्रुप ऑफ इंडिया, अहमदाबाद के धर्म वीर चक्र सम्मान सहित दर्जन भर विविध पुरस्कारों से अलंकृत किया गया है। अब तक एक हजार से भी अधिक मंचों से विषयों और प्रसंगों और कई शोध विमर्शों में सम्बोधन और सतत लेखन के अलावा डॉ. जैन के हिस्से में कई दिग्गजों और नामचीन हस्तियों की सराहना का यश जुड़ा हुआ है। उनका बहुप्रशंसित शोध ग्रन्थ सतना, मध्यप्रदेश के संग्रहालय भी सुशोभित है। उनकी रचनात्मक और सम्पादित कृतियों में एक दीप सूरज के आगे और मुक्तिबोध स्मारक की त्रिवेणी भी शामिल है। उन्होंने समय-समय पर अनेक पत्रिकाओं का सम्पादन कर अपनी कुशलता का परिचय दिया है।
छत्तीसगढ़ के राजनांदगाँव के दिग्विजय कालेज के प्राचार्य डॉ.आर.एन.सिंह, इग्नू अध्ययन केंद्र, साइंस कालेज दुर्ग के समन्वयक प्रो. अनिल कुमार कश्यप, इग्नू अध्ययन केंद्र, दिग्विजय कालेज के समन्वयक प्रो.डी.सुरेश बाबू सहित सभी प्राध्यापकों, कालेज स्टाफ और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं तथा सेवाभावी संस्थाओं एवं गणमान्य नागरिकों और परिजनों ने डॉ. जैन की लगनशीलता को एक प्रेरणा निरूपित करते हुए उन्हें बधाई है। निरंतर व्यस्त और सहभागी जीवन क्रम में अक्षर संसार के प्रति डॉ. चन्द्रकुमार जैन का समर्पण नयी प्रौढ़ और नयी पीढ़ी दोनों के लिए प्रेरणा के स्रोत की तरह है।