“जिस दिन हमारे सिग्नेचर, ऑटोग्राफ में बदल जाएं मान लिजिए आप कामयाब हो गये” इस दिव्य मंत्र से भारत के युवाओं में नई चेतना का संचार करने वाले भारत के सच्चे रत्न थे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम वह व्यक्ति थे जो बनना तो पायलट चाहते थे लेकिन किन्हीं कारणों से पायलट नहीं बन पाए। फिर भी हार नहीं मानी, जीवन ने उनके सामने जो चुनौती रखी, उन्होंने उसे ही स्वीकार कर साकार कर दिखाया। उनका मानना था कि जीवन में यदी आप कुछ भी पाना चाहते हैं तो आपका बुलंद हौसला ही आपके काम आएगा।
एक बेहद गरीब परिवार से होने के बावजूद अपनी मेहनत के बल पर बड़े से बड़े सपने को साकार करने का सबसे बड़ा उदाहरण हैं डॉ कलाम। वे कहते थे “आसमान की ओर देखो हम अकेले नहीं हैं, जो लोग सपने देखते हैं और कठिन मेहनत करते हैं, पूरा ब्रह्मांड उनके साथ होता है। आपके सपने सच होने से पहले आपको सपने देखने होंगे। और सपने वो नहीं जो आप सोते समय देखते हैं, बल्कि सपने वो हैं जो आपको सोने नहीं देते।”
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्हें भारत सरकार द्वारा 1981 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से फिर 1990 में पद्म विभूषण से और 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया और सन 2002 में भारत के राष्ट्रपति के पद को उन्होनें सुशोभित किया। राष्ट्रपति बनने के बाद भी उनके दरवाजे पहले की तरह ही सदा आमजन के लिए खुले रहते थे। कई पत्रों का जबाव तो स्वयं अपने हाथों से लिखकर देते थे।
कलाम ने देश को विजन 2020 दिया। इसके तहत कलाम ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की के जरिए 2020 तक अत्याधुनिक करने की खास सोच दी। वे कहते थे कि देश की तरक्की का रास्ता गांवों से होकर गुजरता है। गांवों पर खास ध्यान देना चाहिए। उनकी राय में जब तक गांव और शहर दोनों जगह बराबर विकास नहीं होगा तब तक देश का विकास नहीं हो सकता । कलाम ने अपनी पुस्तक ‘इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम’ में लिखा हैं कि देश को विकसित राष्ट्र में तब्दील करने के लिए पांच क्षेत्रों में काम करना जरूरी है। ये 5 क्षेत्र कृषि और खाद्य प्रसंस्करण, ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाएं और सोलर पावर का विस्तार, शिक्षा एवं हेल्थकेयर, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, परमाणु प्रौद्योगिकी की ग्रोथ के लिए जरूरी तकनीक और रणनीतिक उद्योग। इंडिया 2020 उनकी प्रसिद्ध पुस्तक है। मिशन 2020 के तहत कलाम बच्चों, खासकर विद्यार्थियों में वैज्ञानिक सोच और समझ विकसित करने की लगातार कोशिश करते रहे। राष्ट्रपति पद से निवृत्ति के बाद दो वर्ष के दौरान ही उनका लक्ष्य 1,00,000 छात्रों से मिलना और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करना था। हालांकि दो साल के बाद भी वे इस काम को लगातार विस्तार देते और उनके अंतिम क्षण भी छात्रों को संबोधित करते हुए ही बीते। डॉ. कलाम को विधार्थियों के प्रति विशेष प्रेम था। जिसे देखकर संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्मदिन को ‘विधार्थी दिवस’ के रुप में मनाने का निर्णय लिया। उनकी लिखी हुई पुस्तकें “विंग्स ऑफ फायर, इंडिया 2020, इग्नाइटेड मांइड, माय जर्नी” आदि काफी प्रसिद्ध है। डॉ. कलाम को 48 यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूशन से डाक्टरेट की उपाधि मिली थी।
उनका जीवन भारत के इतिहास ही नहीं भविष्य को स्वर्णिम बनाने के लिए समर्पित रहा। वे स्वर्णिम भारत के शिल्पकार थे। जो जन्मे तो साधारण परिवार में थे लेकिन जिए असाधारण परिवार में, याने सारे भारत के लोग उनको अपना मान रहे है। 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्में और 27 जुलाई 2015 को आईआईटी गुवाहाटी में संबोधन के दौरान अचानक दुनिया से अलविदा हो गये। लेकिन दुनिया से चले जाने के बाद भी उनके किए गए काम, उनकी सोच और उनका संपूर्ण जीवन देश के लिए प्रेरणास्रोत है।
-संदीप सृजन
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