मुंबई। इस देश में एकल विद्यालय व श्री हरिसत्संग समिति जैसे संस्थान हैं जो चुपचार इतनी निष्ठा से काम कर रहे हैं कि समुद्र की गहराई में उठने वाली लहरों की तरह किसी को पता नहीं नहीं चलता। दुर्भाग्य से देश का मीडिया रात-दिन मूर्ख नेताओं के बकवासों पर चर्चा करता है मगर इन संस्थानों द्वारा किए जा रहे कामों और देश के लाखों वनवासियों के जीवन को बदलने के लिए किए जा रहे इनके प्रयासों पर मीडिया की चुप्पी हैरान करती है।
मुंबई में 25 वर्षों के कार्यों को लेकर आयोजित एकल व श्री हरि सत्संग समिति द्वारा रजत जयंती समारोह के विभिन्न चरणों में आयोजित कार्यक्रमों की शृंखला में एक भव्य समारोह का आयोजन मुंबई में महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राज्यपाल महोदय ने सभी श्रोताओं का दिल जीत लिया। उन्होंने कहा कि शहर में रहकर वनवासी लोगों का दर्द महसूस करना बहुत बडड़ी बात है। जिस दिन हर शहर वासी वनवासी लोगों का दर्द महसूस करने लगेगा स दिन हर वनवासी मुंबई वासी जैसा हे जाएगा। उन्होंने कहा कि शहरी व संपन्न समाज का वनवासियों से तादात्म्य होना जरुरी है। दान हमारी परंपरा है लेकिन ये दान अगर वनवासियों तक पहुँचता है तो उसकी कीमत कई गुना बढ़ जाती है। उन्होंने वनवासियों के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज अगर उत्तर पूर्व में शांति है तो इसका श्रेय संघ और श्री हरि सत्संग समिति व एकल विद्यालय को जाता है। संघ के निष्ठावान स्वयं सेवकों ने अपना पूरा जीवन दाँव पर लगाकर स क्षेत्र में सेवा कार्य ही नहीं किया बल्कि शाकाहारी परिवारों से होने के बावजूद वहाँ की परिस्थितियों को देखते हुए मांसाहार अपनाया और वहाँ के लोगों के साथ रिश्ता बनाया।
उन्होंने कहा कि मुझे पता था कि राज्यपाल को कई मामलों में विशेष अधिकार होते हैं, मैने उनका प्रयोग कर महाराष्ट्र के वनवासी लोगों को सहायता व सुविधा प्रदान की जबकि अधिकारी वर्ग इसका विरोध करता रहा। श्री कोश्यारी ने कहा कि मैं मुंबई के पास पालघर के वनवासियों के बीच गया तो ये जानकर हैरान रह गया कि इस क्षेत्र में न मोबाईल नेटवर्क है न सड़कें हैं, लेकिन वहाँ की महिलाओं का काम देखकर दंग रह गया। ये महिलाएँ बाँस से इतनी खूबसूरत चीजें बनाती है कि आप कल्पना भी नहीं कर सकते। मैने राजभवन में दीपावलसी के अवसर पर इन्हीं महिलाओं द्वारा बनाए गए कंडील सजावट के लिए उपयोग में लिए। उन्होंने कहा कि वनवासी समाज बहुत स्वाभिमानी समाज है हमें उनके कौशल व कला का सम्मान कर उनकी बनाई चीजें खरीदना चाहिए ताकि कला भी जीवित रहे और वे भी अपने परिवार को जीवित रख सके।
इस अवसर पर एकल के अध्यक्ष श्री विजय केड़िया ने बताया कि एकल का विस्तार देश के 4 लाख गाँवों तक हो चुका है।
श्रीहरि की अध्यक्षा श्रीमती मीना अग्रवाल ने कहा कि ये हमारे लिए गर्व की बात है कि देश की स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के साथ एकल व श्री हरि सत्संग समिति का रजत जयंती महोत्सव मना रहे हैं। उन्होंने बताया कि 25 वर्ष पूर्व एकल के प्रणेता श्याम जी गुप्त जब अंडमान निकोबार के वनवासियों से मिले तो उन्हें एकल जैसे अभियान को शुरु करने की प्रेरणा मिली। फिर कोलकोता के साधुराम बंसल, मुंबई से स्वरूपचंद जी गोयल इस अभियान से जुडेड और आज सकी पहुँच 70 हजार सेवाकेंद्रों के माध्यम से लाखों वनवासियों तक हो चुकी है। वनवासी क्षेत्रों में 58 श्रीहरि रथ घूम रहे हैं जिनके माध्यम से वनवासियों को कथाओं के आयोजन से धर्म, संस्कार और परंपराओं से अवगत कराया जाता है। इन रथों के गाँवों में पहुँचने पर वनवासी लोग पूरी श्रध्दा से इनकी पूजा करते हैं और नशा छोड़ने का संकल्प भी लेते हैं। एकल ने आने वाले समय में क लाख केंद्र और 75 रथों का लक्ष्य रखा है। एक लाख गाँवों में गौवंश को संरक्षित करने का लक्ष् रखा है। गाय बिकेगी नहीं तो कटेगी नहीं के सिध्दांत पर गाँव गाँव में कथा का आयोजन किया जा रहा है।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित श्री माधवेंद्र जी ने अपनी बात अफगानिस्तान के हालात से शुरु करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में हमने हाल ही में देखा कि एक व्यक्ति ने हवाई जहाज से लटककर अफगानिस्तान छोड़ने की कोशिश की। ये स्थिति भारत में भी आ सकती है। भारत भी अफगानिस्तान से अलग नहीं है। अफगानिस्तान में अमरीकी सेना भी वहाँ के आतंकवादियों से सलिए नहीं लड़ पाई कि जनता उनके साथ नहीं थी। हम इस बात से अफगानिस्तान से अलग हैं कि एकल गाँव गाँव में पहुँचा है और वनवासियों को व समाज के कमजोर वर्गों को समाज से जोड़ा है। एकल जैसे संगठन हमारे देश को ऐसी हर मुसीबत से बचाते आए हैं और बचाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार भी किसी बात पर तभी सक्रिय होती है जब जनसमुदाय उठ खड़ा होता है।
एकल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सत्यनारायण काबरा ने कहा कि मार्च 2019 में लॉक डाउ था और हमारी चिंता ये थी कि हम गाँव गाँलव में अपने वनवासी भाईयों से संपर्क कैसे करेंगे। लेकिन एकल के प्रणेता श्री श्याम जी गुप्त ने विचार क्रांति योजना बनाई । इस अभियान से 70 बहनें जुड़, जिनमें से 50 मुंबई की बहनें थी। इन बहनों ने तीन महीने में साढ़े तीन लाख गाँवों में 16 लाख कार्यकर्ताओं से संपर्क स्थापित किया। इस तरह हमने 4 लाख वनवासी गाँवों को कोविड की चपेट में आने से बचा लिया। इस डेढ़ वर्ष की अवधि में ये चमत्कार हुआ कि हमारा जो सपना था कि हम वर्ष 2040 तक 70 हजार गाँवों तक पहुँच जाएंगे, लेकिन अब हमें इतना आत्मविश्वास आ गया है कि हम 2040 की बजाय 2030 तक ही ए लक्ष्य हासिल कर लेंगे और हम देश के 40 करोड़ वनवासियों तक पहुँचेंगे।
कार्यक्रम में श्री वरुण व श्रीमती ज्योति काबरा, श्री गोपाल व उषा कंदोई, श्री नारायण जी व मीना अग्रवाल, श्री विजय जी व मंजू केड़िया, श्री सुरेश व श्रीमती मीनू खंडेलिया, श्री महावीर प्रसाद व श्रीमती रेखा गुप्ता, श्री रामविलास जी व श्रीमती अनिता अग्रवाल, श्री रामअवतार जी व श्रीमती गात्री मोदी, श्री रामकिशन जी व श्रीमती शारदा बूबना, श्री चन्द्रप्रकाश जी व श्रीमती गीता सिंघानिया, श्री घनश्याम जी व श्रीमती रमा पहलाजानी, महेश जी मित्तल, श्रीमती मंजू लोढ़ा व श्री प्रदीप गोयल को कल व श्री हरि सत्संग समिति के लिए की गई सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर श्री रमाकांत टिबड़ेवाल ने समिति को श्री हरि रथ भेंट करने की घोषणा की। कार्यक्रम में डी मार्ट के श्री राधाकिशन दामानी भी उपस्थित थे।