Sunday, November 24, 2024
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इलेक्ट्रानिक मीडिया:सुरक्षित रहते हुए सुरक्षित रखने की चुनौती विषय पर वेब संगोष्ठी

भोपाल। कोरोना आधारित भेदभाव और लांछन ख़त्म करने हेतु पत्रकारों को संवेदीकरण करने और इलेक्ट्रानिक मीडिया प्रतिनिधियों को संक्रमण से सुरक्षित रहते हुए किस प्रकार समाज को सुरक्षित बनाना है इस विषय पर एक वेबिनर आयोजित किया गया। यूनिसेफ, पब्लिक रिलेशन सोसायटी ऑफ़ इंडिया, नीयो -विजन सोसायटी और वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसियेशन द्वारा संयुक्त रूप से यह आयोजन किया गया. कार्यक्रम में बाढ़ के हालात में आपदा प्रबंधन में पत्रकारिता की भूमिका विषय पर भी चर्चा की गई. कार्यक्रम में एग्जिक्यूटिव एडिटर, जी बिजनेस, मुंबई सुश्री स्वाति खण्डेलवाल विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुई. वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक श्री गिरिजा शंकर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे. प्रमुख वक्ता के रूप में श्री पुष्पेन्द्र पाल सिंह, प्रधान सम्पादक, रोजगार और निर्माण एवं चेयरमेन, , पी आर एस आई, भोपाल चेप्टर शामिल हुए.

गोष्ठी का संचालन यूनिसेफ सलाहकार आशीष चौबे ने किया. स्वागत उद्बोधन मनोज व्दिवेदी, नेशनल काउन्सिल सदस्य, पी आर एस आई ने दिया तथा आभार प्रदर्शन डॉ. संजीव गुप्ता, सचिव, पी आर एस आई, भोपाल ने किया। प्रतिभागियों के तौर पर इस वेबिनार में प्रदेश के समस्त संभागों के चुने हुए पत्रकार शामिल हुए।

कार्यक्रम में डॉ अशोक भार्गव (आई.ए.एस.), सचिव, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग म.प्र., ने कहा कि कोरोना पूरे समाज की समस्या है अतः इसके निवारण में मीडिया का सहयोग अनिवार्य है। प्रदेश शासन अपने स्तर पर टेस्टिंग, उपचार और संक्रमण नियंत्रण के लिए हर सम्भव प्रयास कर रहा है। आज प्रदेश में संक्रमण वृद्धि की दर में कमी आ रही है और मरीज़ों के ठीक होने की दर में वृद्धि हो रही है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक गिरिजा शंकर ने कहा कि कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रहते हुए जीवन को सामान्य बनाने के लिए लोगों में विश्वास जगाना होगा. इसके लिए मीडिया को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी. इस संक्रमण की भयावहता को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता. चूँकि इसका कोई इलाज़ नहीं है अतः बचाव के उपायों का पालन आवश्यक है, इसी कारण से सरकारों के साथ साथ आम नागरिकों का भी ये दायित्व हो जाता है कि संक्रमण से बचाव के उपायों का पालन हो. भेदभाव और लांछन जैसी प्रवृतियाँ हमारी लड़ाई को कमज़ोर बनाती हैं. आंकड़े और तथ्य लिखना और दिखाना हमारी मजबूरी हो सकती है, लेकिन उनसे लोगों में भय न फैले इस ढंग से लिखना या दिखाना हमारा कौशल है. लोगों में अज्ञात भय की प्रवृतियाँ बढ़ रहीं हैं जो उन्हें मनोवैज्ञानिक समस्याओं की ओर ले जा रहीं हैं. ऐसे में मीडिया को जन जन का सहारा बनना होगा.

कोरोना काल में मीडिया के समक्ष चुनौतियों के विषय में चर्चा करते हुए स्वाति खण्डेलवाल,एग्जिक्यूटिव एडिटर, जी बिजनेस, मुंबई, ने कहा कि कोरोना एपिसोड हम सब के जीवन की अब तक की सबसे असाधारण घटना है. इस दौरान मीडिया की विश्वनीयता और भी ज्यादा बढ़ी है. जब लॉक डाउन के दौरान सब लोग घरों में थे तब मीडिया प्रतिनिधि संक्रमण के खतरों के बीच जन जन को ख़बरें पहुँचाने का काम कर रहे थे. लेकिन हमें ख़बरों की तह तक जाकर सिर्फ लोक मंगलकारी तथ्यों को रेखांकित करना होगा. हमें जानकारी फैलाना है, सनसनी नहीं.

कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता तथा प्रधान सम्पादक, रोजगार और निर्माण एवं चेयरमेन, , पी आर एस आई, भोपाल चेप्टर श्री पुष्पेन्द्र पाल सिंह ने कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रहते हुए समाज को कोरोना आधारित भेदभाव और लांछन से मुक्त बनाने हेतु सार्थक पत्रकारिता करने की बात कही. उन्होंने चैनल पत्रकारिता हेतु संक्रमण विमुक्तिकरण के उपायों की विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि हमें अपनी सुरक्षा को पूरा महत्त्व देना है. खबर बनाते हुए हमें स्वयं खबर नहीं बनना है.

अपने प्रस्तुतीकरण के दूसरे चरण में उन्होंने बाढ़ जैसी आपदा की स्थिति में पत्रकारिता की आचार संहिता की चर्चा की. उन्होंने कहा कि ऐसी आपदा की स्थितियों में हमें अत्यंत सावधानी और संतुलन की आवश्यकता होती है. लोगों को भय और चिंता से मुक्त रखते हुए प्रशासन की व्यस्थाओं की जानकारी लोगों तक पहुचाने का कार्य करना चाहिए. समाज को आपदा से बचाव के जरूरी उपायों की जानकारी देना और सकारात्मकता बनाए रखने में भी मीडिया एक अत्यंत महत्वपूर्ण कड़ी बन सकता है. कोरोना की वर्तमान स्थिति, लक्षण एवं बचाव के लिए आवश्यक व्यवहार के विषय में यूनिसेफ सलाहकार श्री आशीष चौबे ने प्रस्तुतिकरण किया.

एक निवेदन

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