Monday, December 23, 2024
spot_img
Homeकवितानूतन में प्रवेश !

नूतन में प्रवेश !

वर्षों से जपते रहे ।
माला नाम किसान ।।
हमदर्दी जताया ।
पके सुनकर कान ।।
फिर भी अन्नदाता ।
क्यूं अब तक बदहाल ।।
पूछे ही जाएंगे ।
जाहिर है सवाल ।।
अंधेरे में रखकर ।
किया राज्यकार्य ।।
लगता रूष्ट किसान ।
ना अब ये स्वीकार्य ।।
छोड़कर अब जड़ता ।
नूतन में प्रवेश ।।
ले आओ परिवर्तन ।
लटकाओ ना शेष ।।

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार