वर्षों से जपते रहे ।
माला नाम किसान ।।
हमदर्दी जताया ।
पके सुनकर कान ।।
फिर भी अन्नदाता ।
क्यूं अब तक बदहाल ।।
पूछे ही जाएंगे ।
जाहिर है सवाल ।।
अंधेरे में रखकर ।
किया राज्यकार्य ।।
लगता रूष्ट किसान ।
ना अब ये स्वीकार्य ।।
छोड़कर अब जड़ता ।
नूतन में प्रवेश ।।
ले आओ परिवर्तन ।
लटकाओ ना शेष ।।
नूतन में प्रवेश !
एक निवेदन
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