उदयपुर 3 मई, पुरोहितो के तालाब सहित उदयपुर के समस्त छोटे तालाबों को बचाने के लिए वर्ष 2007 में उच्च न्यायालय ने निर्देश दिए थे। छोटे तालाबों की जल भराव सीमा का सीमांकन कर उन्हें पुनः मूल स्वरूप में लौटाना उदयपुर की पर्यावरणीय एवं जल विज्ञानीय सुरक्षा के लिए जरुरी है। झील मित्र संस्थान , झील संरक्षण समिति व डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित रविवारीय संवाद में उभरे।
संवाद में जलविज्ञानी डॉ अनिल मेहता ने नए जिला कलेक्टर से छोटे तालाबों एवं झीलों सहित उदयपुर को घेर रही पहाड़ियों के पर्यावरणीय संरक्षण को प्रमुख प्राथमिकता बनाने का आग्रह किया।
झील मित्र संस्थान के तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि छोटे तालाब बाढ़ की तीव्रता को काम करते थे तथा भू जल का पुनर्भरण करते थे। इनमे से कई तालाब तथा कथित विकास की भेंट चढ गए है।
ट्रस्ट सचिव नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि उदयपुर घाँटी की पहाड़ियों को बेतहाशा काटा जा रहा है। यह शहर के लिए आपदा लेकर आएगा। समय है कि प्रशासन इसे रोकने में कठोरता बरते एवं नागरिक छोटे स्वार्थो व लालच को तिलांजलि दे।
संवाद से पूर्व झील मित्र संस्थान , झील संरक्षण समिति व डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित रविवारीय श्रमदान में रंगसागर झील से प्लास्टिक, थर्मोकोल,पॉलिथीन ,सड़ांध युक्त खाद्य सामग्री , घरेलु कचरा , शराब की बोतले व जलीय घास निकाली। श्रमदान में दीपेश स्वर्णकार,हर्षुल कुमावत,शुभम,भेरू लाल,अजय सोनी,कुलदीपक पालीवाल, दुर्गा शंकर पुरोहित,भी एल पालीवाल, ,प्रताप सिंह राठोड,बंशी लाल मीणा,अनिल मेहता,तेज शंकर पालीवाल , नन्द किशोर शर्मा ने भाग लिया।
अनिल मेहता
नन्द किशोर शर्मा