नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को मप्र के आदिवासी गोंड कलाकार भज्जू श्याम को पद्मश्री से अलंकृत किया। उनके समेत 43 हस्तियों को पद्म सम्मान से नवाजा गया। इनमें मशहूर संगीतकार इलैयाराजा, हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक गुलाम मुस्तफा खान, हिंदुत्व विचारक पी. परमेश्वरन शामिल रहे। शेष हस्तियों को 2 अप्रैल को सम्मानित किया जाएगा।
डिंडौरी के छोटे से गांव पाटनगढ़ निवासी श्याम मजदूरी के लिए भी कभी डिंडौरी के गांव-गांव भटकते थे। आर्थिक तंगी से बदहाल और परिवारिक जिम्मेदारी के चलते उन्हे काम की तलाश में महज 16 वर्ष की उम्र में ही घर छोड़ना पड़ा। काम की तलाश में भोपाल पहुंच उन्होंने सिक्योरिटी गार्ड के साथ मजदूरी भी की। तमाम मुश्किलों के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। गोंड प्रधान पेंटिंग से ही ख्याति बटोरने वाले श्री श्याम अपने गृहग्राम पाटनगढ़ में गोंडी कहानी संरक्षित रखने स्कूल खोलने का सपना देख रहे हैं।
पेंटिंग में रंग भरते बन गए मशहूर चित्रकार
मशहूर चित्रकार जन गण सिंह श्याम ने अपने भतीजे भज्जू श्याम को काम की तलाश में यहां वहां भटकता देखकर अपने पास बुला लिया। यहां भज्जू श्याम चाचा के कहने पर उनके द्वारा बनाई गई पेंटिंग में रंग भरने लगे। चाचा का अपने पास बुलाना और पेंटिंग में रंग भरने के काम में लगाना भज्जू श्याम के जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। भज्जू ने बताया कि उन्हे पेंटिंग के बारे में एबीसीडी भी नहीं मालूम थी, लेकिन रंग भरते-भरते वे इस मुकाम तक पहुंच गए कि देश- विदेश में उनकी पेंटिंग की चर्चा होने लगी। चित्रकार भज्जू श्याम गोंड समाज के रीति रिवाज, गोंडी पूजा अर्चना और गोंड राजाओं के बारे में सौ से अधिक चित्र बना चुके हैं।
दिल्ली से पेरिस और लंदन का सफर
चाचा के मार्गदर्शन में भज्जू श्याम की प्रतिभा धीरे-धीरे निखरने लगी। उनकी प्रतिभा ने दिल्ली प्रदर्शनी से लेकर लंदन और पेरिस तक का सफर तय करा दिया। भज्जू श्याम अब तक 8 से 10 किताब चित्रकला पर लिख चुके है, जिनमें उनकी लंदन जंगल बुक पांच विदेशी भाषाओं में पब्लिश हो चुकी है। भज्जू श्याम का विवाह 22 वर्ष की उम्र में उनके गृहग्राम पाटनगढ़ में ही दीपा श्याम के साथ हुआ, जो चित्रकारी में उनकी मदद करती है। बेटा नीरज श्याम कक्षा 12 वीं में है, बेटी अंकिता 10 वीं में है। दोनों ही चित्रकारी पर रूझान रखते हैं।
साभार- https://naidunia.jagran.com से