जैसा कि आप जानते हैं गिरिमिटिया मजदूरों के 19 वीं शताब्दी के अंत में आगमन के साथ ही , फीजी में हिंदी प्रचलित हो गयी। विभिन्न प्रदेशों से आए गिरमिटिया मजदूरों ने संपर्क भाषा के रूप में हिदी को अपनाया जिसे फीजी हिंदी कहा गया। उन्होंने अपनी पंरपरा और संस्कृति का संरक्षण इसी भाषा के माध्यम से किया। हिंदी फीजी के औपचारिक शिक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है । देश में चार रेडियो स्टेशन हैं जो 24 घंटे चलते हैं। एक साप्ताहिक अखबार ‘ शांतिदूत ’ है जो कि भारत से बाहर दुनिया का सबसे पुराना चलने वाला अखबार है। इसकी स्थापना वर्ष 1935 में हुई थी। फीजी में तीन विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर पर हिंदी पढ़ाई जाती है । फीजी में कमला प्रसाद , जोंगिदर सिंह कँवल , डॉ सुब्रमणि और विवेकानंद शर्मा जैसे लेखक हुए हैं जिनकी रचनाशक्ति पर हिंदी को गौरव है। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि फीजी में हिंदी घर ,बाहर , बाजार सब जगह इस्तेमाल की जाती है। हिंदी फीजी में एक जीवंत भाषा है।
फीजी में लाखों लोगों द्वारा हिंदी बोली,पढी और समझी जाती है। रेडियो स्टेशन हैं , अखबार हैं, स्कूलों और विश्वविद्यालयों में हिंदी है और 2000 से अधिक रामायण मंडलियां हैं। प्रस्तावित सम्मेलन ऐसा पहला ऐतिहासिक अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन है । इसमें निश्चित रूप से भारत प्रमुख प्रेरणा देश है ही परंतु सम्मेलन में भागीदारी की दृष्टि से दो क्षेत्रों पर विशेष महत्व दिया गया है। पहला प्रशांत देश जिसमें आस्ट्रेलिया , न्यूजीलैंड और अन्य प्रशांत द्वीप देश शामिल हैं , दूसरा गिरमिटिया देश जिसमें मारिशस, त्रिनिडाड सूरीनाम, गुयाना शामिल हैं। प्रशांत देशों के साथ फीजी की भौगोलिक साझेदारी है तो गिरमिटिया देशों के साथ साझा ऐतिहासिक संवेदनाएँ। इसके अतिरिक्त ब्रिटेन , अमेरिका और अन्य महाद्वीपों के लेखक, विद्वानों का भी इस सम्मेलन मे स्वागत है। इस सम्मेलन में साहित्य , शिक्षा के अतिरिक्त हिंदी मीडिया विशेषकर रेडियो प्रसारण पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।
इस ऐतिहासिक सम्मेलन का आयोजन भारतीय हाई कमीशन द्वारा किया जा रहा है। सम्मेलन को फीजी के तीनों विश्वविद्यालयों का समर्थन और फीजी के शिक्षा मंत्रालय का सहयोग प्राप्त है और चूंकि सम्मलेन का थीम ‘युवा पीढ़ी और हिंदी’ है तो सम्मेलन में बड़ी संख्या में फीजी से भी , विद्वान, मीडियाकर्मी, लेखक , अध्यापक भाग लेंगे।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस सम्मेलन में भारत की माननीय विदेश मंत्री, राज्यों के राज्यपाल सहित सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र से विख्यात व्यक्तित्वों के आने की अपेक्षा है । उनकी उपस्थति से इस सम्मेलन का गौरव और गरिमा बढ़ेगी।
इस सम्मेलन में श्रीराम कला केंद्र से भारत का प्रख्यात रामलीला प्रस्तुति दल फीजी आ रहा है , इसे भारत का सर्वश्रेष्ठ रामलीला दल माना जाता है । यह रामलीला को संगीत, नृत्य, ध्वनि और प्रकाश के साथ नयनाभिराम तरीके से प्रस्तुत करता है।
सम्मेलन का संकल्पना पत्र, पंजीकरण फार्म, विषयों आदि की सूची संलग्न है। आपसे अनुरोध है कि सम्मेलन में भाग लेकर सम्मेलन को सफल बनाएँ।
सम्मेलन की विशेष बातें
- पैसिफक में हिंदी का विशालतम सम्मेलन
- फीजी में पहला ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन
- भारतीय उच्चायोग का आयोजन
- फीजी सरकार और फीजी शिक्षा मंत्रालय का समर्थन
- 12 देशों में कार्यरत युनिवर्सटी ऑफ साउथ पैसिफिक सह-आयोजक
- फीजी नेशनल युनिवर्सटी और युनिवर्सटी ऑफ फीजी का सहयोग
- भारतीय डायसपोरा व समस्त हिंदी संस्थाओं का सहयोग
- मारिशस, सूरीनाम, त्रिनिडाड, साउथ अफ्रीका, गुयाना देशों से भागीदारी
- पैसिफिक के पड़ोसी देश आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से बड़ी संख्या में भागीदारी – विशेषकर फीजीयन डायसपोरा की
- विशेष संदर्भ -महात्मा गाँधी जी की 150 वीं जयंती पर एक विशेष सत्र
- समांतांर सत्रों के माध्यम से अधिक से अधिक वक्ताओं को बोलने का अवसर
- युरोप और अमेरीकी महाद्वीप से भागीदारी
- भारत की सर्वश्रेष्ठ मानी जाने वाली रामलीला का सांस्कृितक कार्यक्रम के रूप में प्रदर्शन
- भारत के प्रख्यात कवियों / कवयित्रियों की भागीदार
सादर
अनिल शर्मा (Anil Sharma)
Second Secretary (Hindi & Community Affairs)
द्वितीय सचिव ( हिंदी एवं सामुदायिक मामले)
Mobile: 00679 9992363, Office: 00679 33011325
18/5000
फार्म यहाँ से डाउनलोड करें :
IHC registration form.docx