पैतृक गांव अख्तियारपुर पर आमिर के रवैये से यहां के बाशिंदे आहत हैं। अस्सी वर्षीय बुजुर्ग माखनलाल ने कहा कि वह अपने साथ खेले-कूदे बाकर खां, ताहिर खां के वंशज और इतनी बड़ी हस्ती आमिर की एक झलक देखना चाहते हैं। उनके चचेरे भाई डा. नईम अख्तर के अनुसार आमिर के चचा सन 1945 में यह मोहल्ला छोड़ गए थे।
दो वर्ष बाद पिता नासिर खां भी चले गए। इसके बाद वहीं आमिर पैदा हुए। और आमिर ने अब तक अपना पैतृक गांव, अपनी जमीनें और पुरखों की कब्र पर पहुंचने की जरूरत महसूस नहीं की। कई वर्ष पहले जमीन के लिए उनके भाई फैसल आए थे। लोगों से मिले। उन सब के बीच बैठ कर बातें कीं और चले गए।
हाल ही में आमिर ने गांव को गोद लेने की बात कही, लेकिन उसे कह कर भूल से गए हैं। गांव आज भी उनकी राह देख रहा है। आमिर के पैतृक मकान में निवास कर रहीं चेचेरी बहन मीना खां ने कहा कि कम से कम गांव की हालत आकर आमिर अपनी नजर से देखें।
फिल्म स्टार आमिर खान पर्दे पर भले ही अपनी माटी अपने लोग से मोहब्बत की अदाकारी में माहिर हों लेकिन यहां उनकी अपनी ज़मीनें अपने वारिस के कदमों का एहसास महसूस करने की तमन्नाएं लिएं बैठी हैं। लेकिन आमिर के कदम अब तक इन पर नहीं पड़े।
फिल्मों में पीर फकीरों की कब्रों पर सैकड़ों बार चादपोशी करने वाले आमिर के कदम परदादा मोहम्मद हुसैन खां की कब्र पर आज भी फातिहा और दुआ के लिए नहीं पहुंचे हैं। बाग, खेत और मकानों की ज़मीनें मौजूद हैं लेकिन पलट कर इस तरफ नहीं आने से जमीनें अपनी रौनक खो रही हैं। मकान खंडहर है और इन पर कंडे पथाई का कार्य हो रहा है।
अख्तियारपुर से आमिर का नाता
आमिर का अख्तियापुर से पुराना नाता है। पुरखों से वह इस जमीन से जुड़े हुए हैं। यहां उनके पुरखों द्वारा बनवाई मस्जिद है। वहीं बाग में परदादा हाजी मोहम्मद हुसैन खां की कब्र बनी हुई है। मोहल्ले में स्थित मकान से थोड़ी दूरी पर खेतों की जमीन भी है।
कई वर्ष पहले में आमिर की पैतृक जमीनों के रूप में चर्चा में आई इन्हीं जमीनों पर दावे के लिए उनके भाई फैसल खां यहां आए थे। रिश्तेदार बताते हैं कुछ वर्ष तक फसल उठने पर वसूली के लिए आमिर के चचा बाकर खां के एक कारिंदे गुल मोहम्मद वसूली के लिए यहां आते थे। जिसका पैसा लेकर वह चले जाते थे। लेकिन पिछले लगभग चार-पांच वर्षों से वह भी नहीं आए। अब बागों से आने वाले रूपये की कोई लेखाजोखा तक लेने नहीं आता।
साभार-http://www.amarujala.com/ से