Saturday, November 23, 2024
spot_img
Homeसूचना का अधिकार2 करोड़ मिले मगर हिंदी भवन नहीं बना पाया मुंबई विद्यापीठ

2 करोड़ मिले मगर हिंदी भवन नहीं बना पाया मुंबई विद्यापीठ

3 वर्ष के पहले मुंबई विद्यापीठ के कालीना कैंपस में डॉ राममनोहर त्रिपाठी हिंदी भाषा भवन बनाने की नींव रखते हुए भूमिपूजन किया गया था लेकिन गत 3 वर्ष में कुछ भी काम नहीं हुआ और 2 कोटी आज भी विद्यापीठ की तिजोरी में होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को वित्त व लेखा विभाग ने दी हैं। हाल ही में मुंबई उपनगर के जिलाधिकारी ने जारी किए आदेश से 2 करोड़ पर पानी छोड़ने की आई मजबूरी से मुंबई विद्यापीठ की अकर्मण्यता साबित तो हो रही हैं और 2 करोड़ का सरकारी अनुदान वापस लौटाने की जिल्लत का सामना करना पड़ना रह हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई विद्यापीठ से डॉ राममनोहर त्रिपाठी हिंदी भाषा भवन को लेकर सरकार ने दिया हुआ फंड और किया गया खर्च की जानकारी मांगी थी। मुंबई विद्यापीठ के वित्त व लेखा विभाग ने अनिल गलगली को बताया कि 2 करोड़ सरकार से प्राप्त हुआ था उसमें से 2 लाख 50 हजार 280 रुपए खर्च किया गया। तत्कालीन वाईस चांसलर डॉ राजन वेळूकर ने डॉ राममनोहर त्रिपाठी हिंदी भाषा भवना का प्रस्ताव प्रबंधकीय समिती में लाया ही नहीं जिससे भवन का निर्माण काम शुरु नहीं हो पाया। वर्तमान के वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख भी हिंदी भाषा भवन के खिलाफ होने से प्रबंधकीय समिति की बैठक जब होगी तब फैसला लिया जाएगा। विद्यापीठ अभियंता ने स्पष्ट किया हैं कि प्रस्ताव 18 नवंबर 2016 को प्रबंधकीय समिती की बैठक में रखा गया था जिसका कार्यवृत्त प्राप्त होने पर आगे की कार्रवाई होगी। इस सारे धांधली के बीच मुंबई उपनगर के जिलाधिकारी ने दिनांक 13 फरवरी 2017 को मुंबई विद्यापीठ को पत्र भेजकर हिदायत दी कि 31 मार्च 2016 के पहले रकम खर्च नहीं करने से अब रकम खर्च की तो वित्तीय अनियमतिता मानी जाएगी। समय समय पर पत्रव्यवहार और दूरध्वनी पर संपर्क कर उपयोगिता प्रमाणपत्र तथा रकम इस्तेमाल नहीं होने पर उसे वापस भी नहीं लौटाने पर नाराजगी जताई हैं।

अनिल गलगली ने चांसलर और राज्य के राज्यपाल को पत्र भेजकर वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख और पूर्व वाईस चांसलर डॉ राजन वेळूकर की जाँच कर सरकारी फंड खर्च न करने पर कार्रवाई की मांग की हैं। हिंदी भाषा भवन को लेकर योग्य फैसला लेने का अनुरोध किया हैं।
Attachments area

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार