Sunday, November 24, 2024
spot_img
Homeधर्म-दर्शनराजधानी भुवनेश्वर में चार दिवसीय छठ महापर्व 17नवंबर से

राजधानी भुवनेश्वर में चार दिवसीय छठ महापर्व 17नवंबर से

उत्तर भारत में पूरी श्रद्धा,आस्था तथा विश्वास से मनाये जानेवाले सूर्योपासना के चार दिवसीय कठोरतम छठ महापर्व के पहले दिन ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में 17नवंबर को बिस्वास,भुवनेश्वर के समस्त छठव्रती पवित्रतम-नहाय-खाय करेंगे। वे सबसे पहले अपने-अपने घरों,रसोईघरों,छठ पूजाघरों,छठप्रसाद तैयार करनेवाले घरों समेत पूरे घर तथा उसके आस-पड़ोस आदि की पूरी तरह से सफाई करेंगे।

जैसाकि सभी जानते हैं कि इस महापर्व में व्रतधारी लगातार 36 घण्टे तक निराहार तथा निराजल रहते हैं,उसके लिए भी वे अपने आपको तैयार करेंगे। भुवनेश्वर में लगभग तीन दशकों से पूरी पवित्रता,आस्था एवं श्रद्धा के साथ यह महापर्व मनाया जाता है। 1980 के दशक में स्थानीय केदारगौरी तालाब तथा चिंतामणिश्वर तालाब आदि में छठ का दोनों अर्ध्य (पहले दिन शाम का और दूसरे दिन आगामी भोर में)दिया जाता था लेकिन बिस्वास भुवनेश्वर ने जब यह महसूस किया कि इसका सामूहिक आयोजन बड़े आकार में होना चाहिए तो 1990 के दशक से इसे सामूहिक रुप से कुआखाई नदी तट पर मनाना आरंभ किया और जब संस्था ने जगह की कमी महसूस की तो 2022 से मंचेश्वर के न्यू बालीयात्रा मैदान के समीप कुआखाई नदी तट पर छठघाट बनाकर सामूहिक रुप से सूर्यदेव तथा छठ परमेश्वरी को शाम का पहला तथा दूसरे दिन भोर का दूसरा सामूहिक अर्ध्य देने की उत्तम व्यवस्था स्थानीय प्रशासन के सहयोग से आरंभ की जो आगे भी चलता रहेगा।

नहाय-खाय की खास बात यह होती है कि उस दिन व्रतधारी पवित्र भोजन का सेवन करते हैं।नहाय-खाय के दिन व्रती अरवा चावल का भात,चने की दाल और लौकी की सब्जी का सेवन करते हैं।छठव्रती श्रीमती मोतीकांती देवी और श्रीमती रींकू देवी ने बताया कि वे अपने घर,छठ पूजा तैयार करने के चौके तथा प्रसाद तैयार करने के नये चूल्हे आदि की अच्छी तरह से साफ-सफाई करेंगी। उन्होंने यह भी बताया कि वे नहाय-खाय के दिन प्रसाद भोजन तैयार करने के लिए अपने गांव बेलवनिया,सारण,बिहार से अपने खेतों से नया अरवा चावल और नये चने की दाल मंगवा चुकीं हैं।साथ-ही साथ वे स्थानीय एक नंबर हाट से लौकी भी मंगवा चुकी हैं।

उन्होंने बताया कि वे प्रतिवर्ष नहाय- खाय के दिन गरीबों तथा ब्राह्मणों को यथोचित दान देतीं हैं जो इस वर्ष भी देंगी। साथ में उन्हें वे ठंड से बचने के लिए ऊनी वस्त्र आदि भी गरीबों तथा ब्राह्मणों को देंगी।वे पहले दिन छठ परमेश्वरी से अपने लिए,अपने पति के लिए,अपने बाल-बच्चों के लिए तथा अपने समस्त परिवारजन के लिए सुख-शांति और समृद्धि की कामना करेंगी।सभी जानते हैं कि कार्तिक मास सबसे पवित्रतम मास होता है जिसके शुक्लपक्ष की चतुर्थी से यह महापर्व आरंभ होता है जिसमें दूसरे दिन पंचमी को व्रती खरना करते हैं,षष्ठी को शाम में किसी पवित्र नदी अथवा तालाब में भगवान सूर्यदेव तथा माता षष्ठी को पहला सायंकालीन अर्ध्य देते हैं तथा अगले दिन भोर में भगवान सूर्यदेव तथा माता षष्ठी को भोर का अंतिम अर्ध्य देकर छठव्रती अपना व्रत तोड़ते हैं।

2023 का छठ महापर्व 17-20 नवंबर तक है जिसके लिए भुवनेश्वर की सरकारी पंजीकृत संस्था बिस्वास ने सभी प्रकार की तैयारियां पूरी कर ली है।छठ आयोजन समिति के चेयरमैन अभिषेक मिश्रा का यह निवेदन है कि सभी व्रती 19 नवंबर को न्यू बालीयात्रा मैदान,मंचेश्वर के समीप कुआखाई नदी तट पर ठीक चार बजे पहुंच जाएं तथा 20 नवंबर को भोर में 4.00 बजे।

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार