भुवनेश्वर: कीट स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन द्वारा आज चौथा जनसंपर्क सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कीट और कीस के संस्थापक प्रोफेसर अच्युत सामंत ने कहा कि चाहे वह निजी हो या संस्थागत राज्य और राष्ट्र का दैनिक कार्य और छवि बनाने में जनसंपर्क विभाग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए कीट विश्वविद्यालय में साल भर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कीट मास कम्युनिकेशन स्कूली छात्रों को इसका भरपूर लाभ उठाना चाहिए। नतीजतन, वे पत्रकारिता और संचार के क्षेत्र में अपने कौशल का प्रदर्शन कर सकते हैं।
जनसंपर्क सम्मेलन में सम्मानित अतिथि के रूप में योगदान देते हुए ढेंकानाल के आईआईएमसी क्षेत्रीय निदेशक डॉ. मृणाल चटर्जी ने कहा कि जनसंपर्क समझ में न आने वाला एक पेशा है। लेकिन यह एक संस्था की आंख और कान के रूप में कार्य करता है। उन्होंने कहा कि हम अभी भी निश्चित नहीं हैं कि छात्रों को जनसंपर्क के बारे में कैसे पढ़ाया जाए। इसी तरह कोलकाता के एसआरएफटीआई के निदेशक प्रोफेसर हिमांशु खटुआ ने कहा कि कीट अनुशासन, बुनियादी ढांचा और विभिन्न सुविधाए आपूर्ति के क्षेत्र में एक अग्रणी संस्थान है।
उन्होंने छात्रों से आपसी संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि कीट का मीडिया छात्रों के कौशल विकास के लिए उन्हें टीवी चैनलों और रेडियो स्टेशनों, डिजिटल मीडिया और कीट के जनसंपर्क विभाग में अवसरों का उपयोग करना चाहिए।
कीट विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सस्मितारानी सामंत ने कहा कि मानव सभ्यता के प्रारंभ से लेकर आज तक योग पर बल दिया जाता रहा है। बाद की अवस्था में यह संबंध में परिवर्तित हो जाता है। हम केवल रिश्तों के लिए काम करते हैं। हम सीख रहे हैं और जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनसंपर्क इसका एक हिस्सा है। जनसंपर्क भारतीय समाज, भुवनेश्वर शाखा के उपाध्यक्ष सुधीर रंजन मिश्रा ने जनसंपर्क में काम करने वाले लोगोंके रोजमर्रा की जिंदगी में सामने आनेवाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
आयोजित कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं में कीट विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. ज्ञान रंजन मोहंती, रिवेंसा विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर सार्थक अभ्युदई, रामादेवी महिला विश्वविद्यालय सहायक प्रोफेसर नरसिंह माझी, बिड़ला ग्लोबल यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर ज्ञान रंजन मिश्रा और वरिष्ठ जनसंपर्क विशेषज्ञ धरित्री शतपथी उपस्थित थे।
कीट स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन के पाठ्यचर्या समन्वयक डॉ. राजीव पांडा ने स्वागत भाषण दिया जबकि डॉ. बिधुभुसन दास ने सम्मेलन के आयोजन पर प्रकाश डाला। डॉ अनिरुद्ध जेना ने धन्यवाद दिया।