लगभग एक सदी पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इंदौर से ही हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का आह्वान किया था। मगर 100 साल बाद भी उनकी ये इच्छा पूरी नहीं हो सकी है। हालांकि बीच-बीच में कुछ गंभीर प्रयास किए गए, लेकिन बात बनने के बजाय इस कदर बिगड़ी कि नई पीढ़ी के कई युवा शुद्ध हिंदी लिखना और बोलना ही भूलने लगे। इन्हें भाषाई स्तर पर अपनी जड़ों से जोड़ने और शुद्ध हिंदी सिखाने के उद्देश्य से ‘श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति’ द्वारा ‘हिंदी दिवस’ से एक विशेष अभियान की शुरुआत की जा रही है। इसमें स्कूली और महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के साथ-साथ अन्य लोग हिस्सा ले सकेंगे।
उक्त जानकारी प्रचार मंत्री अरविंद ओझा ने दी। उन्होंने बताया कि 14 सितंबर शाम 5 बजे से समिति परिसर से शुरू किए जा रहे इस अनूठे अभियान में शहर, प्रदेश और देश के हिंदी के नामवर विद्वान आम लोगों को हिंदी बोलने और लिखने का सही सलीका सिखाएंगे। शुरू-शुरू में ये आयोजन सप्ताह में एक दिन होगा। इसके बाद हिंदी विद्वानों और सीखने वालों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ इसे दैनिक रूप से नियत समय पर आयोजित किया जाएगा। इसमें सबसे ज्यादा जोर उन अंग्रेजी शब्दों के आसान समानार्थी बताने पर होगा, जिन्हें हिंदी बोलते या लिखते समय लोग अक्सर इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा हिंदी को शुद्ध रूप से बोलने के आधारभूत नियमों की जानकारी भी रुचिकर ढंग से दी जाएगी।
जोड़ेंगे अधिक से अधिक बच्चों और युवाओं को
समिति के प्रधानमंत्री प्रो. सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी के अनुसार हिंदी को लेकर कई लोगों का रवैया इतना लचर है कि उन्हें लगता है कि अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल किए बिना हिंदी बोली ही नहीं जा सकती है। मगर ऐसा सोचने वाले ये भूल जाते हैं कि जब अंग्रेज भारत नहीं आए थे, तब भी हमारे पूर्वज आपस में हिंदी में बहुत अच्छे ढंग से बात करते थे और अमूमन हर विषय पर सारगर्भित और अद्वितीय ग्रंथों की रचना भी करते थे। इस अभियान में हम अधिक से अधिक युवाओं और बच्चों को शामिल करना चाहते हैं। भविष्य में इन्हें ही हिंदी को आगे बढ़ाना है और बिडंबना ये है कि इन्हीं की हिंदी सबसे कमजोर है।
‘वीणा’ में व्याकरण पर विशेष सामग्री
देश की सबसे पुरानी हिंदी भाषी साहित्यिक पत्रिका ‘वीणा’ के संपादक राकेश शर्मा ने बताया कि हिंदी की व्याकरण दुरुस्त करने के लिए ‘हिंदी दिवस’ के मौके पर पत्रिका में एक नई शुरुआत की जा रही है। इसके तहत हर माह प्रकाशित होने वाले अंकों में हिंदी के प्रख्यात विद्वान लखनऊ के प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित पाठकों को हिंदी व्याकरण से जुड़ी रुचिकर जानकारियां क्रमबद्ध रूप में देंगे। इसकी शुरुआत सितंबर अंक से हो चुकी है और आगामी सूचना तक इसे जारी रखा जाएगा।