मुंबई। हम अपनी संस्कृति और मूल्यों से दूर होते जा रहे हैं, अच्छाई की शुरुआत परिवार से होती है, हम बच्चों को ऐसा माहौल दें कि वे हमारी पंरपराओं, रीति-रिवाजों से जुड़ें, उनके प्रति उनमें आस्था पैदा हो।
ये विचार छत्तीसगढ़ के कृषि सचिव श्री त्रिलोक महावर ने मुंबई में महावर वैश्य समाज के वार्षिक उत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। उन्होंने अपने रोचक व प्रेरक वक्तव्य में समाज, परिवार, राष्ट्र व प्रशासन से जुड़े विभिन्न मुद्दों की चर्चा की।
उन्होंने बताया कि देश भर में महावर सरनेम के बहुत कम लोग प्रशासनिक सेवाओं में हैं, इसलिए मैने तय किया कि मैं अपने पारिवारिक कारोबार की जगह आईएएस बनूंगा। शुरु शुरु तो परिवार व समाज में मुझे इसको लेकर विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन जब मैं आईएएस बनकर कलेक्टर बना तो सभी लोगों ने मेरे हौसले की सराहना की।
उन्होंने कहा कि जब मैं आईएएस की तैयारी कर रहा था और बस से फार्म भरने जा रहा था तो धमतरी में मेरे परिचित बस में ही आ गए और कहने लगे जितने तू नौकरी में कमाएगा उतने तो मैं अपने नौकरों को तनख्वाह देता हूँ। तू चल और मेरी गादी पर बैठ और तुझे जितना और जैसा खर्च करना हो कर, लेकिन मैने उन्हें विनम्रतापूर्वक इंकार करते हुए कहा कि मैं तो अफसर ही बनूंगा। मैंने उनसे कहा कि मैं महावर सरनेम को एक नई पचान देना चाहता हूँ, इसलिए नौकरी ही करुंगा।
उऩ्होंने बताया कि मैं जब हरिद्वार गया तो वहाँ हमारी दस पीढ़ियों का इतिहास निकाला तो ये पता चला कि हम बनिए हैं मतलब है हम कुछ करके बने हैं जो कुछ बन जाता है वही बनिया होता है।
उन्होंने कहा कि मेरी बुआ जो गजियाबाद में रहती है, उनके परिवार में अचानक कोई समस्या आई तो उन्होंने मुझसे संपर्क किया और मैने तत्काल वहाँ के कलेक्टर से उनको मिलवाया और उनकी समस्या का समाधान किया।
उन्होंने महावर समाज के सभी युवाओँ से आग्रह किया कि वे अलग अलग प्रोफेशन में जाएँ और अपनी धाक जमाएँ।
उन्होंने कहा कि मैंने धमतरी में समाज के कार्यक्रम में 12वीं के बच्चों को बुलाया और उन्हें कहा कि तुम आगे क्या विषय लोगे अभी से तय करो, तुम बड़ा सोचो, तुम जितना बड़ा सोचोगे उतना तुम्हारा दिमाग खुला होगा। बड़ा सोचोगे तो बड़ा काम करोगे।
उन्होंने कहा कि एक कार्यक्रम में मैने बुजुर्गों का सम्मान किया तो मुझे मेरी दादी याद आ गई। यहाँ आए हुए बच्चे अपने दादा-दादी और नाना-नानी का सम्मान होते देखकर खुश हो रहे हैं। यही संस्कार बच्चों को मिलना चाहिए। जिस समाज में बुजुर्गों का सम्मान होता है, उसी समाज में परंपरा, संस्कृति और परिवार जीवित रह सकते हैं।
उन्होंने कहा कि मैं जब कलेक्टर था तो एक बुजुर्ग महिला की समस्या के बारे में पता चला तो मैं उसके घर गया, उस महिला ने मुझे अपनी टूटी खाट पर बिठाया और लड्डू खिलाकर आशीर्वाद दिया। एक बार मेरा एक्सीडेंट हो गया लेकिन उस बुजुर्ग महिला का आशीर्वाद ही था कि मैं उसमें बच गया।
उन्होंने कहा कि हमें बच्चों को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए समय आऩे पर वो भी बड़ा काम कर देते हैं। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया कि एक परिवार कार एक्सीडेंट में खाई में गिर गया, मगर एक छोटी बच्ची कार से निकलकर सड़क पर आई और मोबाईल की टॉर्च जलाकर मदद मांगने लगी तो उधर से गुजरने वाले एक परिवार ने उसको देखा और उसके माता-पिता को अस्पताल पहुँचाया।
उन्होंने कहा कि बच्चों को अच्छे संस्कार दोगे तो वे जिंदगी भर आपका साथ देंगे। संस्कार खाद पानी की तरह है। बच्चे मिट्टी के कच्चे घड़े जैसे हैं कुम्हार कच्ची मिट्टी को मनचाहा आकार दे सकता है मगर एक बार उसे पका दिया तो फिर कुछ नहीं किया जा सकता।
श्री महावर ने कहा कि मुझे और मेरे पिता को इस बात का गर्व है कि मेरे पिता को मेरे नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि जब मैं कुँवारा था तो समाज के लोग बार बार पूछते थे कि ‘वर’ कब बन रहे हो तो मैं कहता था कि मैं तो ‘महावर’ हूँ महावर पैरों में लगाया जाता है और महावर रचने के बाद जो खुशबू फैलाता है वो सबका मन हर लेती है।
उन्होंने समाज की युवा पीढ़ी से आव्हान किया कि कुछ बनिए ताकि आप समाज की पहचान बन सकें।
एक आईएएएस अधिकारी का ये वक्तव्य अपने आप में प्रेरक तो था कार्यक्रम में उपस्थित मुंबई के महावर समाज के लोगों के लिए भी एक यादगार अनुभव था।
कार्यक्रम में महावर समाज मुंबई के अध्यक्ष श्री डीसी गुप्ता ने समाज की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी देते हुए कहा कि मुंबई का महावर वैश्य समाज विगत 50 वर्षों से भी अधिक समय से समाज की सेवा में कार्यरत है। आज समाज के आजीवन सदस्यों की संख्या 2016 हो गई है। समाज के हित के लिए हम विभिन्न गतिविधियाँ संचालित करते आ रहे हैं। जिनमें से विशेषकर विधवा पेंशन, गरीब बच्चों की स्कूल व कॉलेज की फीस, मेडिक्लेम पॉलिसी के लिए सहायता देना जैसे प्रमुख कार्य हैं। इस वर्ष हमने मेडिक्लेम के प्रीमियम को 8000 रुपये के बढ़ाकर 10000 रुपये कर दिया है। महावर समाज के डिजिटल समाज की ओर अग्रसर करने के लिए onemahawar.com के नाम से पोर्टल बनाया है। इस पोर्टल से हम महावर वैश्य समाज के विश्व भर में रहने वाले लोगों को एक-दूसरे से जोड़ना चाहते हैं। भोजन के पश्चात इस विषय पर हम विस्तार से चर्चा करेंगे।
हमारे समाज की विभिन्न इकाइयाँ अपने –अपने क्षेत्र में बहुत ही सराहनीय कार्य कर रही है। महिला समिति विशेषकर दीपावली स्नेह मिलन समारोह का आय़ोजन करती है, जिसमें महिलाओं एवँ बच्चों के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
युवा समिति के विज़न 2040 की उद्घोषणा महावर पर्व 2018 के दौरान की थी। इस दिशा में उन्होंने कई सराहनीय कार्य किये हैं। महावर समाज की ब्राँड इमेज बनाने के लिए कई कार्य किए जा रहे हैं। इस समिति ने समुद्री तट की सफाई का भी कार्य किया है। समाज के लोगों में स्वास्थ्य तथा पर्यावरण एवँ वन्य जीव संरक्षण के प्रति जागरुकता बढ़ाने हेतु मुंबई के संजय गाँधी राष्ट्रीय उद्यान में महावर वाकथान का भी आयोजन किया गया।
उन्होंने बताया कि मंदिर समिति स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही है। इस समिति ने दहिसर में एक अच्छी खासी डिस्पेंसरी बनाई है, जिसमें पैथालॉजी, डेंटिस्ट, अस्थि रोग विशेषज्ञ, चरम रोग विशेषज्ञ, ईसीजी एवँ अनेय सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई है।
अखिल भारतीय महावर वैश्य सेवा संघ खाटू श्याम जी में एक भव्य भवन का निर्माण कर रहा है। मुंबई समाज ने इसके लिए 251000 की राशि दी है। समाज के विभिन्न लोगों ने भी इसके लिए अच्छा खासा सहयोग दिया है।
हमने पिछले वर्ष पहली बार संस्था के भूतपूर्व अध्यक्षों एवँ मंत्रियों का सम्मान किया था। स वर्ष हम समाज के उन सभी बुजुर्गों का सम्मान किया जो 80 वसंत देख चुके हैं।
हमारे समाज में प्रोफेशनल लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। मुंबई में इस समय 200 इंजीनियर, सीए, एमबीए आदि हैं। हम एक प्रोफेशनल सेल भी बना रहे हैं जिससे एक दूसरे की सहायता की जा सके। हमारा सपना पूरे विश्व के महावर समाज को एक मंच पर लाने का है।
हमने समाज के भाई-बहनों के लिए पिछले छः वर्षों से एक लिखित प्रतियोगिता की शुरुआत की है। 2014 में ‘नरेन्द्र मोदी सरकार के सामने चुनौतियाँ’, 2015 ‘में बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ’, 2016 में ‘मेक इन इंडिया’, 2017 में ‘डिजिटल समाज’, 2018 में ‘टर्म इंश्युरेंस का महत्व’ एवँ 2019 में ‘वाटर हार्वेस्टिंग’ जैसे विषयों पर लेख प्रतियोगिताओँ का आयोजन किया।
हम पिछले कुछ वर्षों से श्रेष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता का सम्मान कर रहे हैं। इस वर्ष ये सम्मान हमश्री सुभाष चन्द्र बद्रीप्रसाद गुप्ता को दे रहे हैं। इन्होंने विगत तीन दशकों से ज्यादा समय तक सक्रिय रहते हुए समाज की सेवा की है।
समारोह में श्री कांतिलाल मेहता अध्यक्ष आईवीएफ मुंबई श्री प्रमोद जी प्रादा, श्री केएम गुप्ता, श्री कृष्णकांत गुप्ता, श्री मनोहरलाल गुप्ता, श्री चन्द्रप्रकाश मोदी, श्री हेमराज गुप्ता एवँ श्री नीलेश वैश्य आदि उपस्थित थे।
इस समारोह में समाज के प्रतिभावन बच्चों का भी सम्मान किया गया।
दिन भर चले इस कार्यक्रम में समाज की विभिन्न प्रतिभाओं ने नृत्य, गायन व संगीत के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।