Saturday, November 23, 2024
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डेंगू बुखार के लिए रामबाण है बकरी का दूध

दुनिया भर में दूध मानव आहार का एक अनिवार्य हिस्सा है,दूध एक अत्यधिक पोषक तत्व है । यह मानव विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता ह क्योंकि यह विटामिन, खनिज ,प्रोटीन ,वसा, कार्बोहाइड्रेट और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है । यह मेटाबोलिज्म यानी चयापचय ( व्यक्ति में जीवन यापन के दौरान होने वाले रासायनिक क्रियाओं )को बढ़ाता है तथा प्रतिरक्षा में सुधार करता है । यही कारण है कि कई बीमारियों में यह लाभदायक है। जैसे कि गाय के दूध को ,’हीलिंग एजेंट’ माना जाता है उसी तरह बकरी के दूध का प्रयोग भी डेंगू बुखार के इलाज के लिए किया जाता है।
बकरी के दूध में कार्बोहाइड्रेट,आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम , फास्फोरस, पोटेशियम ,सोडियम ,जिंक, वसा ,प्रोटीन ,विटामिन ,खनिज, थाईमीन नियासिन और राइबोफ्लेविन तथा एंटीऑक्सीडेंट जैसे गुण होते हैं। इसीलिए यह प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने के लिए एवं डेंगू के उपचार में व्यापक रूप से लाभदायक साबित होता है। एडिज एजिप्टी मच्छर द्वारा पूरी दुनिया में डेंगू फैलाया जाता है। हर साल दुनिया में करोड़ों लोग इन मच्छरों से प्रभावित होते हैं और डेंगू के शिकार हो जाते हैं। यद्यपि डेंगू बहुत ही खतरनाक रोग है फिर भी इसका कोई विशिष्ट दवा नहीं है ।डेंगू के इलाज के लिए पपीते के पत्ते का रस, गिलोय का रस ,बकरी का दूध इत्यादि का प्रयोग किया जाता है परंतु घरेलू नुस्खा समझ कर इसे नजर अंदाज कर दिया जाता है।दवाओं के आधुनिक प्रणाली में बुखार, मतली ,उल्टी, सूजन आदि के लक्षण व उपचार देने के लिए डेक्सट्रोज के ड्रिप का उपयोग करते हैं ।
 प्लेटलेट्स की कमी होने की स्थिति में प्लेटलेट्स को ट्रांसफ्यूज कर देते हैं जिससे मरीज बहुत ही कमजोर हो जाता है, ऐसे में प्लेटलेट्स को बढ़ाने में बकरी का दूध मानव आहार का सबसे बड़ा और अनिवार्य हिस्सा है । लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी इसके जितना कारगर उपाय दूसरा नहीं होता । बकरी के दूध में छोटे कैसीइन व मिशेल होते हैं जो बेहतर व सुपाच्य होते हैं । इसमें इम्यूनो ग्लोबुलीन होता है जिससे डेंगू के मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है । मैग्नीशियम की प्रचुर मात्रा से हृदय की धड़कन को बनाए रखने में बेहद मददगार है तथा कोलेस्ट्रोल की मात्रा कम होने से धमनियों को लाभ मिलता है। इसमें एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण होता है जो शरीर की सूजन को कम करता है। इसमें लेक्टोज की मात्रा कम होने से यह आसानी से पच जाता है।  इस प्रकार बकरी के दूध में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्वों के कारण डेंगू से ग्रसित मरीज को एनीमिया होने से भी बचाता है अतः डेंगू से ग्रसित मरीजों को बकरी का दूध संजीवनी बूटी की तरह लाभ पहुंचाता है ।
डेंगू के कारण  इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है इसलिए कोई जोखिम न लेते हुए बकरी के दूध को पीने से पहले उबाल लेंऔर उबालने के बाद ही उसे पिए । डेंगू से लड़ने के लिए एक व्यक्ति को 1 दिन में लगभग 200 मिलीलीटर दूध का सेवन करना चाहिए । कच्चे दूध में कई हानिकारक कीटाणु या बैक्टीरिया हो सकते हैं इसलिए हमेशा सावधानी का प्रयोग करते हुए उगले दूध को पीना चाहिए।  बकरी के दूध को अन्य दूध की तरह  ही पीने के लिए ,चाय बनाने के लिए ,दही, पनीर ,मिठाई तथा आइसक्रीम आदि बनाकर खाने में उपयोग कर लाभ उठाया जा सकता है। इस प्रकार प्राकृतिक रूप से प्राप्त बकरी का दूध गाय के दूध की भांति  ही अमृत के समान लाभदाई है। इसके सेवन से डेंगू जैसी जानलेवा बीमारियों एवं प्लेटलेट्स की कमी के कारण होने वाले अन्य घातक बीमारियां जैसे ब्लड कैंसर एवं   मेगा एनिमिया आदि से भी बचने में सुरक्षा एवं प्रतिरक्षा प्रदान करता है।  जिन्हें एलर्जी  या कोई अन्य बीमारी हो वे बकरी का दूध  सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य ले लें। स्वस्थ रहें,  सजग रहें, प्रसन्न रहें और निरोग रहे क्योंकि कहा भी गया है “हेल्थ इज वेल्थ”स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा   धन है।

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