जाहरवीर चौहान राजस्थान के वीर योद्धाओं में गिने जाते हैं। लोग उन्हें गोगाजी, वीर गोगाराणा, गुग्गा वीर, जाहरवीर, गोगा महाराज, राजा मण्डलिक आदि नामों से भी पुकारते हैं। जाहरवीर चौहान का जन्म राजस्थान में चूरू जिले के ददरेवा में चौहान वंश के शासक जेवरसिंह की पत्नी महारानी बाछल के गर्भ से भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि 935 ई० को हुआ था। गोगा वीर ने बहुत कम समय में ही अस्त्र-शस्त्र विद्याओं का प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया था। चौहान वंश में महाराज पृथ्वीराज चौहान के बाद जाहरवीर चौहान परम प्रतापी और भारतवर्ष में ख्याति प्राप्त राजा थे। उनका राज्य हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तक फैला था। भारतीय इतिहासकारों ने उनके जीवन को शौर्यता, वीरता, पराक्रम, धर्म परायण एवं धर्म रक्षा के लिए उच्च आदर्शों का प्रतीक माना है।
राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक शहर गोगामेड़ी है. यहां भादों कृष्णपक्ष की नवमी को गोगाजी महाराज का मेला भरता है. इन्हें हिन्दू और मुसलमान दोनो पूजते हैं. गुजरात मे रबारी जाती के लोग गोगाजी को गोगा महाराज केे नाम सेे बुलाते है.
राजस्थानी और शेखावाटी में लोकमान्यता व लोककथाओं के अनुसार गोगाजी माहराज को साँपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है. लोग उन्हें गोगाजी, गुग्गा वीर, जाहिर वीर,राजा मण्डलिक व जाहर पीर के नामों से पुकारते हैं. यह गुरु गोरक्षनाथ के प्रमुख शिष्यों में से एक थे. राजस्थान के छह सिद्धों में गोगाजी को समय की दृष्टि से प्रथम माना गया है.
गोगा जी का विवाह कोलूमंढ वर्तमान बीकानेर से चालीस मील दूर पश्चिम मे स्थित है के चौलुक्य (सोलंकी) वंश मे हुश था. उनकी रानी का नाम कसमलदे सिरियल था. तेरहवीं शताब्दी मे राठौड़ वंश के राव सीया जी का विवाह भी इसी कोलूमंढ मे हुआ था.
राजस्थान की लोकल मानयतावो के अनुसार वीर महापुरूष गोगाजी का जन्म गुरू गोरखनाथ के वरदान से हुआ था. कहा जाता है की वीर गोगाजी की माँ बाछल देवी निःसंतान थी. बाछल देवी जी संतान प्राप्ति के सभी यत्न करने के बाद भी संतान का सुख नहीं मिला तब किसी के बातये अनुसार बाछल देवी गुरू गोरखनाथ ‘गोगामेडी’ के टीले पर तपस्या कर रहे थे की शरण मे गईं. तब गुरू गोरखनाथ ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया और एक गुगल नामक फल प्रसाद के रूप में दिया. प्रसाद खाकर बाछल देवी गर्भवती हो गई और तदुपरांत गोगाजी का जन्म हुआ. गुगल फल के नाम से इनका नाम गोगाजी पड़ा.
राजस्थान के चूरू जिले के इस स्थान पर वीर गोगाजी महाराज की युद्ध करते हुए हुए सिर गिरा था. इस लिए इस स्थान को शिशमेड़ी कहा जाता है.
गोगामेड़ी हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील में है. यहाँ विश्व प्रसिद्ध गोरखनाथ तालाब भी स्थित है. नौलाब बाग़ गुरु गोरखनाथ का तपस्या स्थान था.
गोगा नवमी: जिसे गुगा नौमी के नाम से भी जाना जाता है. गोगाजी माहराज – साप देवता की पूजा करने के लिए समर्पित है. गोगा नवमी भाद्रपद के हिंदू कैलेंडर महीने में कृष्ण पक्ष (चंद्रमा के अंधेरे पखवाड़े) की नवमी तिथि (9 वें दिन) पर मनाई जाती है. इस दिन गोगामेड़ी में मेला लगता है. गोगाजी को हिंदू मुस्लिम सिख के अनुयाई अलग अलग नाम से मानते है.
गोगा जी ने सोमनाथ पर आक्रमण करने वाले महमूद गज़नवी जैसे आततायी लुटेरों की सेना के छक्के छुड़ा दिए थे। आपका बड़ा बेटा सज्जन चौहान गज़नवी की सेनाओं को मरुस्थल में रास्ते से भटकाकर शत्रुओं का नाश कर दिया था और स्वयं भी शहीद हो गया था। गोगा जी के 21 पुत्रों, 46 पौत्रों एवं 108 प्रपौत्रों ने इस युद्ध में अपना बलिदान दिया था। चार पीढ़ियों का बलिदान एक साथ हुआ। मुगल शासकों के राज्य में आपके पराक्रम की चर्चा इतनी फैल गयी थी कि फिरोजशाह को आपके मुसलमान होने की अफवाह फैलानी पड़ी थी।
गोगा जी एक वीर योद्धा के साथ ही सच्चे गौभक्त भी थे। यहां तक कि गौ रक्षा के लिए आपको अपने चचेरे-मौसेरे भाईयों अरजन व सरजन से युद्ध करना पड़ा था। युद्ध में अरजन और सरजन मारा गया। आपकी माता बाछल अपने भानजों के मारे जाने से दुःखी हुईं और आपको ददेरवा छोड़कर जाने का आदेश दे दिया था। माताजी के आदेश का पालन करते हुए आपने अपना राज्य खुशी-खुशी त्याग दिया।
आपने हिन्दू धर्म की संस्कृति की रक्षा, गौ सेवा और राज्य की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया था।
वर्तमान समय में राजस्थान में रह रहे कुछ चौहान राजपूत वंश स्वयं को गोगाजी का वंशज बताते हैं जबकि कुछ मुस्लिम परिवार भी खुद को वीर गोगा जी चौहान के वंशज बताते हैं तथा स्वयं को चौहान मुस्लिम कहते है। तो आइए एक नजर इतिहास पर डालते हैं कि इतिहास के पन्नों में क्या लिखा है।
जब मुस्लिम आक्रमणकारियों के साथ युद्ध करते हुए गोगाजी वीरगति को प्राप्त हो गए थे, तब उनके बाद “ददरेवा” का शासन गोगाजी के भाई बैरसी ने अपने हाथ में लिया। राजा बैरसी के बाद यहां के उत्तराधिकारी उनके पुत्र उदयराज बने।
गोगाजी की वंशावली उनके भाई बैरसी से शुरू होती है। बैरसी के पुत्र उदयराज थे, उदयराज के पुत्र जसकरण थे, जसकरण के पुत्र केसोराई, इनके पुत्र मदनसी, उनके पुत्र विजयराज, उनके पुत्र पृथ्वीराज, उनके पुत्र गोपाल, उनके पुत्र लालचंद, उनके पुत्र अजयचंद, उनके पुत्र जैतसी थे। यह सभी पीढ़ी दर पीढ़ी ददरेवा पर शासन करते रहे और इस बात के प्रमाण हेतु अनेक शिलालेख भी मौजूद है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोगाजी के बाद 9 राणाओं ने ददरेवा पर गोगाजी के वंश के रूप में शासन किया था। परंतु उनके बाद 9वें शासक जैतसी चौहान को मुस्लिम बना दिया गया। उस समय के मुस्लिम बादशाह फिरोज़ शाह तुगलक उन्हें उठाकर ले गए तथा जबरदस्ती मुस्लिम बना दिया था।