मुंबई। कमला गोइन्का फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी श्री श्यामसुदंर गोइन्का द्वारा स्थापित ‘स्नेहलता गोइन्का व्यंग्यभूषण पुरस्कार 2018’ सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ जवाहर चौधरी तथा ‘रत्नीदेवी गोइन्का वाग्देवी पुरस्कार 2018’ सुप्रसिद्ध महिला साहित्यकार श्रीमती मधु कांकरिया को प्रदान किया गया.
वरिष्ठ पत्रकार श्री विश्वनाथ सचदेव की अध्यक्षता में व मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध साहित्यकार एनबीटी के संपादक श्री सुंदरचंद ठाकुर के सान्निद्ध्य में आयोजित एक विशेष समारोह में डॉ जवाहर चौधरी को 1 ,11,111/- रुपये नगद तथा श्रीमती मधु कांकरिया को 51000/- रुपये नगद के साथ शाल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह व पुष्पगुच्छ प्रदान कर सम्मानित किया गया.
फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी श्री श्यामसुदंर गोइन्का ने स्वागत भाषण व पुरस्कृत व्यक्तियों का परिचय दिया. पुरस्कार समिति के संयोजक श्री कन्हैयालाल सराफ ने अपने चिरपरिचित चुटीले अंदाज में कार्यक्रम का संचालन किया व आभार व्यक्त किया.
अपने आत्मकथन में डॉ जवाहर चौधरी व श्रीमती मधु कांकरिया ने श्री श्यामसुन्दर गोइन्का द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना की. समारोह के मुख्य अतिथि श्री सुंदरचंद ठाकुर ने श्री गोइन्का के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि पूर्ण निष्ठा और समर्पण के साथ साहित्य का निर्माण करना चाहिए . अपने अध्यक्षीय भाषण में श्री विश्वनाथ सचदेव ने कहा कि हिंदी के अलावा राजस्थानी व दक्षिण भारत की भाषाओँ के साहित्यकारों को पुरस्कार देकर सम्मानित करने का महान कार्य श्री गोइन्का कर रहे है, साहित्य का लक्ष्य ही जीवन के उदात्त, महान तथा सात्विक पक्ष का चित्रण करना है.
कार्यक्रम को सफल बनाने में श्रीमती ललिता गोइन्का, श्री विजय अग्रवाल व श्री कैलाश जाटवाला की अहम् भूमिका रही. इस गरिमापूर्ण समारोह में प्रतिबद्ध पत्रकार श्री हरी मृदुल, आचार्य दिव्यचेतनानंद, श्री सूरजप्रकाश, श्रीमती मधु अरोड़ा, श्री सुनील सिंह, श्री विशाल सिंह तथा शहर के प्रमुख साहित्यकार, पत्रकार, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लोग एवं गणमान्य नागरिक उपस्थिति थे.
इस अवसर पर कमला गोइन्का फाउंडेशन एवं मुंबई विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित व्यंग्य संगोष्ठी में ‘हिंदी व्यंग्य को समृद्ध करने में मुंबईकर का योगदान’ विषय पर वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ प्रेम जनमेजय के बीज वक्तव्य के साथ सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ सूर्यबाला, डॉ जवाहर चौधरी, डॉ वागीश सारस्वत, डॉ अनंत श्रीमाली तथा संगोष्ठी के संचालक श्री सुभाष काबरा ने अपनी रचनाओं का पाठ किया. समापन वक्तव्य डॉ करुणा शंकर उपाध्याय ने दिया.
मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुहास पेडणेकर ने समारोह की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाये प्रेषित की. इस अवसर पर फाउंडेशन की वार्षिक पत्रिका ‘हास्यम-व्यंग्यम’ व डॉ प्रेम जनमेजय द्वारा सम्पादित पत्रिका ‘व्यंग्य यात्रा’ का लोकार्पण भी किया गया.